टाॅस्क फोर्स की रिपोर्टः चेन नहीं टूटा तो हर रोज होंगी 2320 मौतें, 15 सुझाव तत्काल लागू हों
The Lancet Covid 19 Commission की रिपोर्ट ने दो सिफारिशें की है जिसे तत्काल प्रभाव से अंजाम देने का सुझाव दिया गया है। पहला यह कि बड़े स्तर पर वैक्सीनेशन किया जाए ताकि कोरोना के खतरे को कम से कम किया जा सके। दूसरा यह कि कोविड चेन को किसी भी सूरत में तोड़ा जाए। टाॅस्क फोर्स के अनुसार कोरोना का दूसरा वेव पहले से काफी खतरनाक है।
नई दिल्ली। अगर भारत ने कोरोना की दूसरी लहर को तोड़ने में असफलता मिली तो आने वाले दिनों में स्थितियां भयावह होने वाली हैं। भारतीय टाॅस्क फोर्स- The Lancet Covid 19 Commission ने आगाह किया है कि चेन नहीं टूटा तो जून के पहले सप्ताह से हर दिन 2320 मौतों का ग्राफ सामने आ सकता है।
The Lancet Covid 19 Commission की रिपोर्ट ने दो सिफारिशें की है जिसे तत्काल प्रभाव से अंजाम देने का सुझाव दिया गया है। पहला यह कि बड़े स्तर पर वैक्सीनेशन किया जाए ताकि कोरोना के खतरे को कम से कम किया जा सके। दूसरा यह कि कोविड चेन को किसी भी सूरत में तोड़ा जाए। टाॅस्क फोर्स के अनुसार कोरोना का दूसरा वेव पहले से काफी खतरनाक है। नए मामलों के बढ़ने का दर भी काफी हाई है। रिपोर्ट के अनुसार पिछले बार 10 से 80 हजार मामले पहुंचने में 83 दिन लगे थे लेकिन इस बार यह संख्या महज 40 दिनों में पहुंच गई है। सबसे अहम यह कि दूसरी लहर में अधिकतर केस एसिम्टोमेटिक या मिल्ड एसिम्टोमेटिक हैं।
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टाॅस्क फोर्स ने दिए यह 15 सुझाव
प्रतिदिन पांच मिलियन वैक्सीनेशन का प्रतिदिन लक्ष्य तय हो। वैक्सीन के प्रति लोगों की झिझक कम करने के लिए जागरूकता अभियान चले।
माॅस्क पहनने के लिए विशेष अभियान चलाया जाए। हर जगह माॅस्क पहनने की अनिवार्यता के बारे में लोगों को बताई जाए। लोग एक दूसरे को जागरूक करें।
दो महीने तक किसी भी सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक ग्रुप्स के एक जगह एकत्र होने या सभा या कोई भी कार्यक्रम पर बैन लगे।
टेस्टिंग, ट्रेसिंग और कोविड पेशेंट को आईसोलेट करने के लिए जिम्मेदारियां तय हो। बिना किसी लापरवाही के इस काम को अंजाम दिया जाए।
अगर कोई कोविड पाॅजिटिव होता है तो उसके फार्म में यह काॅलम जरूर हो कि क्या उसने वैक्सीन का डोज लिया है। पहला या दोनों, इसका भी जिक्र होना चाहिए ताकि महामारी, वैक्सीन लेने के बाद भी संक्रमण के अध्ययन में जानकारियां सही मिल सके।
बाहर से आने वाले को अनिवार्य रूप से एक सप्ताह के लिए क्वारंटीन कर दिया जाए। आठवें दिन उसका आरटी-पीसीआर टेस्ट हो। इसके बाद एक सप्ताह का पुनः होम आईसोलेशन अगर टेस्ट नेगेटिव आया है तो।
घरेलू आवागमन पर किसी प्रकार का कोई प्रतिबंध न लगाया जाए। सिर्फ सेफ्टी प्रोटोकाल्स का पालन हो। हर जगह टेस्टिंग की सुविधा उपलब्ध हो। हर राज्य अपने यहां केस लोड और परिस्थितियों के मुताबिक प्रोटोकाॅल तय करे और सेफ्टी प्रतिबंध लगाए।
हर राज्य प्रवासी मजदूरों के लिए सेफ्टी के इंतजाम करे। मास्क या अन्य इक्वीपमेंट उपलब्ध कराए। टेस्टिंग व वैक्सीनेशन की उपलब्धता सुनिश्चित कराए। सबसे अधिक केस वाले जिलों में क्वारंटीन सेंटर बनाएं।
शिक्षकों व स्कूल स्टाॅफ का वैक्सीनेशन प्राथमिकता के आधार पर कराई जाए। अगले दो महीने शिक्षकों व स्टाॅफ का वैक्सीनेशन हो साथ ही दो महीने बाद सेफ तरीके से स्कूलों को खोलने की तैयारियां सुनिश्चित हो सके।
अधिक केस वाले क्षेत्रों में लोगों पर अधिक प्रतिबंधों को लादने की बजाय माइक्रो कंटेनमेंट जोन बनाए जाएं। इससे कामगारों, मजदूरों और गरीबों की आजीविका भी प्रभावित नहीं होगी और कोरोना को मात भी दे सकेंगे।
राष्ट्रीय या राज्य स्तर पर लाॅकडाउन की बजाय जहां मामले अधिक हैं उन क्षेत्रों पर फोकस कर वहां चेन को ब्रेक करने का उपाय निकाला जाए। लोगों को बाहर निकलने से परहेज करने के लिए जागरूक किया जाए। जहां संभव हो वहां वर्क फ्राम होम के लिए प्रेरित किया जाए।
फार्मास्युटिकल कंपनियों के लगातार संपर्क में रहने के साथ आवश्यक दवाओं और इक्वीपमेंट की सप्लाई निर्बाध हो इसके लिए इंतजाम किया जाए।
मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने पर जोर दिया जाए। मरीजों को समय से पहुंचाने की सुविधा के साथ छोटे या मध्यम श्रेणी के शहरों पर भी समस्त आवश्यक चिकित्सीय सुविधा, संसाधन मुहैया कराई जाए।