सार

कोरोना महामारी के बीच वैक्सीन के बारे में कई सुखद रिसर्च भी सामने आ रहे हैं। मार्डना वैक्सीन बेहद कारगर साबित हो रहा अगर पहली डोज के बाद दूसरी डोज के बीच छह माह का गैप रखा जाए। एक रिसर्च में पाया गया है कि वैक्सीन 90 प्रतिशत अधिक प्रभावी है अगर छह महीना बाद दूसरी डोज लगाई जाए। 

न्यूयार्क। कोरोना महामारी के बीच वैक्सीन के बारे में कई सुखद रिसर्च भी सामने आ रहे हैं। मार्डना वैक्सीन बेहद कारगर साबित हो रहा अगर पहली डोज के बाद दूसरी डोज के बीच छह माह का गैप रखा जाए। एक रिसर्च में पाया गया है कि वैक्सीन 90 प्रतिशत अधिक प्रभावी है अगर छह महीना बाद दूसरी डोज लगाई जाए। 

प्री-क्लिनिकल रिसर्च में छह महीने गैप में मिला बेहतर रिजल्ट

मार्डना कंपनी के अनुसार प्री-क्लिनिकल रिसर्च में सार्स-सीओवी-2 पर वैक्सीन का दूसरा डोज/बूस्टर डोज काफी असरकारी रहा है। कंपनी ने अभी तक दुनिया में 132 मिलियन वैक्सीन की सप्लाई दी है। कंपनी के अनुसार मार्डना वैक्सीन दो सप्ताह में ही दूसरी डोज के साथ कोविड के सभी वेरिएंट पर प्रभावी है। 

मार्डना को मिला है अभी तक इमरजेंसी यूज का अप्रूवल

मार्डना वैक्सीन को अभी यूएस में इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति मिली है। यहां के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन से कंपनी अब फुल अप्रूवल के लिए काम कर रही है। कंपनी के अनुसार हम सभी मानकों पर खरा उतरने के लिए लगाताार काम कर रहे हैं और हमको कोविड-19 के खिलाफ एक बेहतर वैक्सीन बनाने की दिशा में सफलता भी मिली है। कंपनी के अनुसार हम कोविड के सभी वेरिएंट पर वैक्सीन के बूस्टर डोज पर भी रिसर्च कर रहे हैं। साथ ही हर उम्र्रवय पर रिसर्च की ओर आगे बढ़े हैं।

वैक्सीन को लगातार किया जा रहा बेहतर

मार्डना कंपनी के सीईओ स्टीफेन बैंसेल का कहना है कि हम लगातार प्रीक्लिनिकल स्टडी कर रहे ताकि कोरोना के नए वेरिएंट पर प्रभाव की जानकारी मिलती रहे और हम वैक्सीन को लोगों के लिए बेहतर करते रहें।

बच्चों पर भी वैक्सीन के असर पर स्टडी 

सीईओ ने बताया कि बच्चों पर भी स्टडी सेकेंड फेज में पहुंच चुकी है। हम 3000 ऐसे किशोरों जिनकी उम्र 12 से 17 साल के बीच है, पर ट्रायल कर रहे हैं। छह माह से 11 साल के बच्चों पर भी ट्रायल शुरू करेंगे।