
नई दिल्ली. देश की राजधानी दिल्ली बीते कई दिनों से प्रदूषण से दो- दो हाथ कर रही है। इन सब के बीच प्रदूषण को लेकर सख्त सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई कर रहा है। जिसमें शुक्रवार कोर्ट में केंद्र सरकार ने हलफनामा दायर कर वायु प्रदूषण का डेटा दिया। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि एयर क्लीनिंग डिवाइस को लगाने के लिए कितना समय लगेगा? सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि चीन ने कैसे किया? कोर्ट में एक्सपर्ट ने बताया कि हमारे यहां 1 किलोमीटर वाला डिवाइस है, चीन में 10 किलोमीटर तक कवर करता है। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि आप छोटे इलाक़े को क्यों कवर करना चाहते हैं।
बढ़ते प्रदूषण से कोर्ट नाराज
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस समय दिल्ली में प्रदूषण का स्तर 600 एक्यूआई को पार कर गया है। घर के कमरों में भी ऐसी ही स्थिति है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वायु प्रदूषण से हर कोई प्रभावित हो रहा है। केंद्र सरकार ने कहा कि वायु प्रदूषण को लेकर एक साल की स्टडी की जरूरत पड़ेगी। कोर्ट ने कहा कि इतना समय? केंद्र ने कहा वो कोर्ट में जवाब दाखिल करेंगे। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को समय दिया है। एनसीआर के कई इलाकों में शुक्रवार सुबह हवा की गुणवत्ता गंभीर स्तर पर पहुंच गई। ज्यादातर इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स 700 के ऊपर दर्ज हुआ। दिल्ली में गुरुवार को एक्यूआई 472 था। दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद के स्कूलों में 14 और 15 नवंबर को छुट्टी घोषित की गई थी। प्रदूषण से निपटने के लिए केजरीवाल सरकार ने 4 नवंबर को ऑड-ईवन फॉर्मूला लागू किया था, आज इसका आखिरी दिन है।
यह है प्रदूषण का आंकड़ा
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक, सुबह दिल्ली के लोधी रोड इलाके में प्रदूषक कण पीएम2.5 और पीएम10 का स्तर 501 से ज्यादा है। इसी तरह आईटीओ इलाके में भी पीएम2.5 का स्तर 490 दर्ज हुआ। लोधी गार्डन और एम्स के आसपास धुंध और स्मॉग के बीच लोग मॉर्निंग वॉक करते नजर आए।
शहर 15 नवंबर (एक्यूआई) 14 नवंबर (एक्यूआई)
दिल्ली 712 472
नोएडा 650 488
गाजियाबाद 592 486
गुड़गांव 799 412
फरीदाबाद 554 437
एयर क्वालिटी इंडेक्स के मानक
एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) को 0-50 के बीच ‘बेहतर’, 51-100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 से 200 के बीच ‘सामान्य’, 201 से 300 के बीच ‘खराब’, 301 से 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 से 500 के बीच ‘गंभीर’ माना जाता है। वहीं, हवा में पीएम 10 का स्तर 100 और पीएम 2.5 60 माइक्रोग्राम प्रतिघन मीटर से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।