70 साल के PFI लीडर ने घर को ही 'जेल' बनाकर रहने की जताई इच्छा, कोर्ट ने कहा-हम आपको अस्पताल भेजेंगे

Published : Dec 19, 2022, 01:52 PM IST
70 साल के PFI लीडर ने घर को ही 'जेल' बनाकर रहने की जताई इच्छा, कोर्ट ने कहा-हम आपको अस्पताल भेजेंगे

सार

 निचली अदालत के आदेश के खिलाफ PFI के पूर्व प्रेसिडेंट ईअबूबकर की याचिका( plea) पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार(19 दिसंबर) को तल्ख टिप्पणी की। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि जेल में बंद अबू अबूबकर को इलाज मुहैया कराया जाएगा, लेकिन उन्हें हाउस अरेस्ट में नहीं रखा जाएगा। 

नई दिल्ली. निचली अदालत(trial court) के आदेश के खिलाफ प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (Popular Front of India-PFI) के पूर्व अध्यक्ष ई अबूबकर( E Abubacker) की याचिका( plea) पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार(19 दिसंबर) को तल्ख टिप्पणी की। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि जेल में बंद अबू अबूबकर को इलाज मुहैया कराया जाएगा, लेकिन उन्हें हाउस अरेस्ट में नहीं रखा जाएगा। पढ़िए क्या है पूरा मामला..


1. जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और तलवंत सिंह की अध्यक्षता वाली बेंच ने टिप्पणी की, "जब आप मेडिकल जमानत(medical bail) मांग रहे हैं, तो हम आपको आपके घर क्यों भेजें? हम आपको अस्पताल भेजेंगे।"

2. पिछले महीने वकील ने कहा था कि 70 वर्षीय अबूबकर को कैंसर और पार्किंसंस रोग है। वह बहुत दर्द में हैं, जिसके लिए तत्काल चिकित्सकीय देखरेख की जरूरत है।

3.अबूबकर को इस साल की शुरुआत में प्रतिबंधित संगठन PFI पर भारी कार्रवाई के दौरान केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा गिरफ्तार किया गया था। इस समय अबूबकर न्यायिक हिरासत में है।

4. बेंच ने सोमवार को टिप्पणी की कि कानून में हाउस अरेस्ट का कोई प्रावधान नहीं है। साथ ही निर्देश दिया कि अबूबकर को 22 दिसंबर को ऑन्कोसर्जरी रिव्यू(oncosurgery review) के लिए सुरक्षित रूप से कस्टडी में एम्स ले जाया जाए और परामर्श के समय उनके बेटे को उपस्थित रहने की अनुमति भी दी जाए।

5. दिल्ली हाईकोर्ट ने साफ कहा-"हम आपको हाउस अरेस्ट नहीं दे रहे हैं। कानून में हाउस अरेस्ट का कोई प्रावधान नहीं है। माननीय सुप्रीम कोर्ट के पास जो शक्तियां हैं, जो इस कोर्ट के पास नहीं हैं।"

6. दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा-"हमें इसमें कुछ भी उचित नहीं दिखता, क्योंकि किसी सर्जरी की सिफारिश नहीं की गई है। सबसे पहले तो हम आपको हाउस अरेस्ट नहीं दे सकते। यदि आपकी मेडिकल कंडीशन में अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता है, तो हम अस्पताल में भर्ती होने का निर्देश दे सकते हैं। हम एक अटेंडेंट को अनुमति दे सकते हैं। हम किसी और चीज की अनुमति नहीं दे रहे हैं। वह चिकित्सा उपचार के हकदार हैं और हम प्रदान करेंगे।"

7.अदालत ने मामले को अगले साल जनवरी में विचार के लिए लिस्टेड किया है। कोर्टने जेल मेडिकल सुपरिटेंडेंट को एम्स के ऑन्कोसर्जरी विभाग के साथ परामर्श पर एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।

8.अबूबकर की ओर से पेश वकील अदित पुजारी ने तर्क दिया कि उन्हें निरंतर आब्जर्वेशन और ट्रीटमेंट की आवश्यकता है। अगर उन्हें हाउस अरेस्ट भी कर दिया जाता है, तो जांच एजेंसी को कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

9.NIA की ओर से पेश स्पेशल पब्लिक प्रोसीक्यूटर अक्षय मलिक ने कहा कि आरोपी को बेस्ट पॉसिबल ट्रीटमेंट दिया जा रहा था। वह 22 दिसंबर को एक ऑन्कोलॉजिस्ट से मिलने वाला था। पिछले हफ्ते कहा था कि अबूबकर बिल्कुल ठीक हैं और उनका इलाज चल रहा है।

10. पिछले महीने कोर्ट ने जोर देकर कहा था कि अभियुक्त को अपेक्षित चिकित्सा प्रदान की जाएगी, जबकि इस दलील को खारिज कर दिया था कि उसे हाउस अरेस्ट में भेजा जाना चाहिए।

11. कोर्ट ने तर्क दिया-"हम ऐसा करने के इच्छुक नहीं हैं। एम्स देश का एक प्रमुख अस्पताल है। यदि आप इसे हाउस अरेस्ट के बहाने के रूप में उपयोग कर रहे हैं, तो हम इसकी अनुमति नहीं दे रहे हैं। कोर्ट ने कहा था कि हमें सिर्फ उनकी मेडिकल कंडीशन की चिंता है।"

12.कोर्ट ने यह भी कहा कि वह मेडिकल ट्रीटमेंट की अपील पर सुनवाई करने जा रही है और आरोपी नियमित जमानत के लिए ट्रायल कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है। एनआईए ने कहा था कि एजेंसी आरोपी के इलाज का विरोध नहीं कर रही है और मामले की जांच जारी है।

13. बता दें कि 28 सितंबर को लगाए गए राष्ट्रव्यापी प्रतिबंध( nationwide ban) से पहले 11 राज्यो में बड़े पैमाने पर छापे के दौरान कई राज्यों में बड़ी संख्या में कथित पीएफआई कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया या गिरफ्तार किया गया था।

14. जांच एजेंसी ने केरल, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, असम, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, पुडुचेरी, दिल्ली और राजस्थान सहित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से PFI नेताओं की गिरफ्तारियां की थीं।

15. केंद्र सरकार ने 28 सितंबर को कड़े आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए(anti-terror law UAPA) के तहत पीएफआई और उसके कई सहयोगी संगठनों पर ISIS जैसे ग्लोबल टेरर ग्रुप्स के साथ लिंक होने का आरोप लगाते हुए 5 साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया था।

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