चीन की नींद उड़ाएगा भारत का नया टैंक, जानें कैसे पहाड़ी जंग में बनेगा गेम चेंजर

भारतीय सेना के लिए DRDO ने एक नया माउंटेन टैंक 'जोरावर' विकसित किया है। यह हल्के वजन और छोटे आकार के कारण पहाड़ी इलाकों में युद्ध के लिए गेम चेंजर साबित होगा। 25 टन वजनी इस टैंक को हवाई मार्ग से आसानी से पहुंचाया जा सकता है।

Vivek Kumar | Published : Sep 14, 2024 12:44 PM IST / Updated: Sep 14 2024, 06:19 PM IST

नई दिल्ली। भारत ने अपनी सेना (Indian Army) के लिए एक ऐसा टैंक (Zorawar Tank) बनाया है जिसका खौफ चीन को सताएगा। इसे ऊंचे पहाड़ी इलाके में लड़ाई को ध्यान में रखकर विकसित किया गया है। छोटे आकार, हल्का वजन और हवा के रास्ते ढोए जाने की क्षमता इसे पहाड़ी इलाके में होने वाली लड़ाई में गेम चेंजर बनाती है।

भारत सरकार की संस्था DRDO (Defence Research and Development Organisation) ने देश के पहले माउंटेन टैंक को विकसित किया है। इसे पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध से सबक लेकर तैयार किया गया है। रूस और यूक्रेन के बीच हो रही लड़ाई से सीखे गए सबक का भी इस्तेमाल हुआ है।

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हवाई रास्ते से जल्द युद्ध के मैदान में पहुंचेगा जोरावर टैंक

DRDO के इस माउंटेन टैंक का नाम जोरावर है। लड़ाई के दौरान टैंक को मोर्चे तक पहुंचाना बड़ा काम है। अधिक वजन के चलते इन्हें तेजी से ढोना मुश्किल होता है। इसके लिए रेलवे नेटवर्क का इस्तेमाल किया जाता है। जब लड़ाई ऊंचे पहाड़ी इलाके में हो तो बड़े आकार और अधिक वजन के चलते ऐसे टैंक उतना असर नहीं दिखाते।

इसी कमी को जोरावर टैंक में पूरा किया गया है। इसका वजन 25 टन है। इसे विमान में रखकर तेजी से हवाई रास्ते के जरिए युद्ध के मैदान के करीब पहुंचाया जा सकता है। छोटे आकार और कम वजन के चलते यह पहाड़ी इलाकों में अच्छा प्रदर्शन करता है। इसे चीन से लगी सीमा पर भारतीय सेना की जरूरतों को पूरा करने के लिए तैयार किया गया है। भारतीय सेना 350 जोरावर टैंक खरीदने वाली है। इनमें से अधिकतर को पहाड़ी इलाकों में तैनात किया जाएगा। इससे पहले DRDO ने 58.5 टन के अर्जुन टैंक को बनाया था। चीन के साथ तनाव के समय ऐसे टैंक की जरूरत महसूस हुई जो ऊंचे इलाकों में अच्छा काम कर सके।

क्यों खास है जोरावर टैंक?

जोरावर टैंक को कम वजन के चलते हेलिकॉप्टर की मदद से जल्दी से सीमा से लगे इलाकों में तैनात किया जा सकता है। इस काम के लिए भारत के पास चिनूक जैसे हेलीकॉप्टर हैं। यह टैंक उत्तरी सीमा पर खराब मौसम और कठिन परिस्थितियों में भी काफी कारगर साबित होगा।

जोरावर टैंक में सुरक्षा के लिए मजबूत कवच लगाया गया है। यह पानी में भी चल सकता है। जमीन पर इसकी रफ्तार लगभग 60 किलोमीटर प्रति घंटा है। इसमें 105 मिलीमीटर कैलिबर की गन के साथ कॉकरिल 3105 बुर्ज लगा है। इस पर मशीन गन और एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल भी लगाई जा सकती है।

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