Economic survey 2022 : दो साल में हेल्थ सेक्टर का खर्च 73 फीसदी तक बढ़ा, शिक्षा के खर्च में 20 फीसदी तक वृद्धि

Economic survey 2022 : आर्थिक सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक इस वर्ष सामाजिक सेवाओं पर सरकारों को अधिक खर्च करना पड़ा। इन सेवाओं में शिक्षा, खेल, कला एवं संस्कृति, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा के साथ ही परिवार कल्याण, पेयजल, पोषण जैसी सेवाएं आती हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2021-22 में केंद्र एवं राज्य सरकारों का सामाजिक सेवाओं पर व्यय 71.61 लाख करोड़ रुपए रहने का बजट अनुमान है।

नई दिल्ली। कोविड 19 महामारी (Covid 19 pandemic) दौरान केंद्र और राज्य सरकारों का सामाजिक सेवा क्षेत्र में खर्च अनुमान से ज्यादा हुआ। वित्तीय वर्ष 2021-22 में सरकार ने इन क्षेत्रों में 71.61 करोड़ रुपए खर्च किए। पिछले वित्तीय वर्ष में इस सामाजिक सेवा क्षेत्र में 65.24 लाख करोड़ के खर्च का अनुमान था। लेकिन यह अनुमान से 9.8 फीसदी अधिक रहा। सर्वे के मुताबिक शिक्षा के क्षेत्र में सबसे ज्यादा खर्च किया गया।  

आर्थिक सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक इस वर्ष सामाजिक सेवाओं पर सरकारों को अधिक खर्च करना पड़ा। इन सेवाओं में शिक्षा, खेल, कला एवं संस्कृति, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा के साथ ही परिवार कल्याण, पेयजल, पोषण जैसी सेवाएं आती हैं।  
रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2021-22 में केंद्र एवं राज्य सरकारों का सामाजिक सेवाओं पर व्यय 71.61 लाख करोड़ रुपए रहने का बजट अनुमान है। इसमें शिक्षा क्षेत्र पर सर्वाधिक 6.97 लाख करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं, जबकि स्वास्थ्य पर 4.72 लाख करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। वित्त वर्ष 2020-21 से तुलना करें तो सामाजिक सेवा क्षेत्र पर 65.24 लाख करोड़ खर्च हुए थे। इसमें शिक्षा क्षेत्र पर 6.21 लाख करोड़ रुपए और स्वास्थ्य क्षेत्र पर 3.50 लाख करोड़ रुपये व्यय किए गए थे।

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तीन साल में 73 फीसदी तक बढ़ा स्वास्थ्य खर्च



आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक महामारी की मार हर क्षेत्र पर पड़ी, लेकिन स्वास्थ्य क्षेत्र पर इसकी सर्वाधिक मार पड़ी। महामारी के पहले 2019- 20 में स्वास्थ्य के क्षेत्र में 2.73 लाख करोड़ रुपए खर्च हुए थे, जबकि 2021-22 में इसके 4.72 लाख करोड़ रहने का अनुमान है। इस तरह यह खर्च करीब 73 फीसदी तक बढ़ गया है। इसी तरह इसी अवधि में शिक्षा पर खर्च 20 प्रतिशत तक बढ़ा है।  

कोविड लॉकडाउन के शिक्षा पर प्रभाव का आकलन नहीं  : आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि महामारी के दौरान बार-बार लगाए गए लॉकडाउन एवं बंदिशों के चलते शिक्षा के क्षेत्र पर प्रभाव पड़ा, लेकिन इसका वास्तविक आकलन कर पाना मुश्किल है, क्योंकि इस बारे में 2019-20 तक के ही आधिकारिक आंकड़े उपलब्ध हैं। महामारी की पहली लहर में बच्चों एवं युवाओं को संक्रमण से बचाने के लिए सभी स्कूलों एवं कॉलेज को बंद कर दिया गया था। बाद में बंदिशें थोड़ी कम हो गईं, लेकिन कोविड की तीसरी लहर आते ही फिर लगभग सभी राज्यों में स्कूल बंद हो गए। अब संक्रमण घटने पर कई राज्यों ने स्कूल खोलना शुरू किया है। 

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