चुनाव आयोग ने बीजेपी नेताओं की शिकायत पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को नोटिस जारी कर दस मई तक जवाब मांगा है। अपनी अध्यक्षता वाली कमेटी से अपने लिए खनन पट्टा आवंटन करने और सारी मंजूरियों को देने पर उन पर कार्रवाई की मांग की गई है।
नई दिल्ली। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मुश्किलें बढ़ती दिख रही है। एक साल पहले खुद को खनन पट्टा आवंटित करने के मामले में चुनाव आयोग ने नोटिस भेजा है। आयोग ने पीपुल्स रिप्रेजेंटेटिव एक्ट के तहत दस मई तक जवाब मांगा है। बीजेपी नेताओं की शिकायत के बाद चुनाव आयोग ने पिछले सप्ताह राज्य के मुख्य सचिव द्वारा भेजे गए दस्तावेजों के सत्यापन के बाद नोटिस जारी किया है।
राज्य के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि उनहोंने दस्तावेजों का अध्ययन किया है और पाया है कि यह सब वास्तविक है। प्रथम दृष्टया मामला जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 9ए के तहत बनता है। अधिकारी ने बताया कि अगर सीएम चाहें तो चुनाव आयोग द्वारा उनकी व्यक्तिगत सुनवाई की जाएगी।
मुख्यमंत्री अपनी मां के इलाज के लिए हैदराबाद
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपनी मां के स्वास्थ्य की जांच के लिए हैदराबाद में हैं। वह दो दिनों से हैदराबाद में हैं। चुनाव आयोग ने उनके दिल्ली के आवास पर नोटिस चस्पा किया है। हालांकि, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आफिस से कोई बयान नहीं आया है।।
सोरेन सरकार को लग सकता है झटका
यह नोटिस सोरेन सरकार के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है। दिसंबर 2019 में कांग्रेस के साथ मिलकर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने सरकार बनाई थी और हेमंत सोरेन सीएम बने थे। जानकार बता रहे हैं कि चुनाव आयोग के नोटिस के बाद जांच शुरू होगी जिस वजह से सोरेन की मुश्किलें बढ़ेगी तो सरकार पर भी खतरा मंडराने लगेगा।
सोरेन देश के टॉप कानून विद् से ले रहे सलाह
सोरेन मामले में पूर्व एससी न्यायाधीश अशोक गांगुली, नेशनल एकेडमी ऑफ लीगल स्टडीज एंड रिसर्च के वाइस चांसलर फैजान मुस्तफा और ईसीआई के पूर्व अधिकारी एसके मेंदीरत्ता जैसे वरिष्ठ कानूनी विशेषज्ञों के साथ परामर्श कर रहे हैं।
क्या है मामला?
दरअसल, यह मामला राज्य की राजधानी रांची के बाहरी इलाके में एक सरकारी जमीन पर सोरेन के नाम पर पत्थर उत्खनन पट्टे के लिए कथित तौर पर सैद्धांतिक मंजूरी देने से संबंधित है। इस पट्टे के आवंटन में खान और पर्यावरण विभागों द्वारा मंजूरी दे दी गई थी। सबसे अहम की दोनों की अध्यक्षता खुद मुख्यमंत्री कर रहे थे।
पूर्व सीएम रघुवर दास ने उठाया था मामला
इस साल 10 फरवरी को पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास ने यह मामला उठाया था। दास और वर्तमान विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में एक भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने 11 फरवरी को राज्यपाल से मुलाकात की थी। प्रतिनिधिमंडल ने हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग की थी। राज्यपाल ने शिकायत को ईसीआई को भेज दिया, जिसने पहले मुख्य सचिव को खुद सीएम को भेजने से पहले नोटिस जारी किया।
सोरेन दे चुके हैं सफाई
अदालत में, सोरेन ने कहा है कि मुनाफा कमाने का कोई सवाल ही नहीं है क्योंकि खदान के संचालन के लिए पत्र कभी जारी नहीं किया गया था। संयोग से, ऐसी बड़ी अटकलें थीं कि सोरेन इस सप्ताह के अंत में राजधानी की अपनी यात्रा के दौरान अमित शाह जैसे भाजपा नेताओं से मुलाकात करेंगे। हालांकि, उनके कार्यालय ने कहा कि इस तरह का कोई अप्वाइंटमेंट नहीं फिक्स किया गया है। उनके गठबंधन सहयोगी कांग्रेस पार्टी ने सीएम के समर्थन में रैली की है।
यह भी आरोप सोरेन पर...
मुख्यमंत्री पर खुद को लीज देने के अलावा रांची के एक औद्योगिक पार्क में अपनी पत्नी कल्पना सोरेन की फर्म को 11 एकड़ जमीन आवंटित करने का भी आरोप है। सोरेन ही उद्योग विभाग के मुखिया हैं।