EWS कोटा से एससी, एसटी और ओबीसी को बाहर किए जाने पर दक्षिण राज्यों में विरोध करेगी कांग्रेस, बन रही रणनीति

कांग्रेस महासचिव प्रभारी जयराम रमेश ने कहा कि पार्टी ने 2004 से लगातार यह रुख अपनाया है कि किसी का भी आरक्षण प्रभावित हुए बिना ईडब्ल्यूएस को आरक्षण मिले। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्ग के लिए मौजूदा आरक्षण को प्रभावित किए बिना सभी समुदायों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए शिक्षा और रोजगार में आरक्षण मिलना चाहिए।

Dheerendra Gopal | Published : Nov 12, 2022 4:57 PM IST / Updated: Nov 12 2022, 11:26 PM IST

नई दिल्ली। ईडब्ल्यूएस कोटा से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी को बाहर किए जाने पर कांग्रेस जल्द ही आपत्ति दर्ज कराने पर विचार कर रही है। ईडब्ल्यूएस कोटा दस प्रतिशत आरक्षित है। दक्षिण राज्यों में कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर विरोध करने पर विचार करने के साथ कानूनी राय भी ले रही है। कांग्रेस ने कहा कि एक बार समीक्षा प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद फैसला किया जा सकता है कि क्या पार्टी किसी कानूनी उपाय का सहारा लेगी।

बिना किसी का आरक्षण प्रभावित हुए ईडब्ल्यूएस को मिले आरक्षण

कांग्रेस महासचिव प्रभारी जयराम रमेश ने कहा कि पार्टी ने 2004 से लगातार यह रुख अपनाया है कि किसी का भी आरक्षण प्रभावित हुए बिना ईडब्ल्यूएस को आरक्षण मिले। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्ग के लिए मौजूदा आरक्षण को प्रभावित किए बिना सभी समुदायों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए शिक्षा और रोजगार में आरक्षण मिलना चाहिए। 

सुप्रीम कोर्ट ने 3-2 बहुमत से कोटा रखा बरकरार

कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को ईडब्ल्यूएस कोटा को बरकरार रखा है। जनवरी 2019 में संसाद में पारित इस संशोधन में पांच जजों की संविधान पीठ ने 3-2 की बहुमत से ईडब्ल्यूएस कोटा को जारी रखने का फैसला सुनाया है। तीन न्यायाधीशों ने राय दी है कि ईडब्ल्यूएस श्रेणी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी को बाहर कर सकती है। इसके लिए तीनों जजों ने अलग-अलग वजहें बताई है। जबकि दो जजों ने राय दिया कि एससी, एसटी और ओबीसी को ईडब्ल्यूएस श्रेणी से बाहर करना असंवैधानिक है।

कांग्रेस कर रही है संविधान पीठ के फैसले पर स्टडी

जयराम रमेश ने कहा कि पांच न्यायाधीशों में से प्रत्येक ने बड़ी संख्या में मुद्दों को उठाया है। कांग्रेस इस पूरी प्रोसिडिंग को स्टडी कर रही है। एक राष्ट्रीय पार्टी होने के नाते इसे सभी राज्यों की चिंताओं के प्रति सम्मान और संवेदनशील होना चाहिए और संतुलन बनाकर काम करना चाहिए। दरअसल, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के बहिष्कार का मुद्दा दक्षिण भारत में कई वर्गों में चिंता का विषय बन गया है।

उधर,कांग्रेस सांसद पी चिदंबरम ने एक ट्वीट में कहा कि मैं एआईसीसी के बयान का स्वागत करता हूं कि पार्टी आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की समीक्षा करेगी। उन्होंने कहा कि नए आरक्षण से एससी, एसटी और ओबीसी को बाहर करने से लोगों में व्यापक चिंता है। सिन्हो आयोग के अनुसार, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग की 82 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा से नीचे है। गरीब एक वर्ग है। क्या कानून 82 प्रतिशत गरीबों को बाहर कर सकता है? यह एक सवाल है। इसकी वस्तुनिष्ठ और निष्पक्षता से जांच की जानी चाहिए। इससे पहले, कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम और ज्योतिमणि के साथ-साथ प्रवक्ता उदित राज ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इस मामले पर पार्टी से अलग राय रखी थी।

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