हिमालय के जोशीमठ पर मंडरा रहा प्रकृति का बड़ा खतरा, घरों में पड़ रही दरारें, जानिए चौंकाने वाली खबर

 हिमालय के जोशीमठ शहर पर एक बड़ा प्राकृतिक खतरा मंडरा रहा है। यहां की जमीनों में लगातार दरारें पड़ रही हैं। सरकार बड़े स्तर पर यहां के लोगों को दूसरी जगहों पर शिफ्ट कर रहा है। यह भूकंप का अति संवेदनशील इलाका है।

गोपेश्वर (Gopeshwar). हिमालय के जोशीमठ शहर पर एक बड़ा प्राकृतिक खतरा मंडरा रहा है। यहां की जमीनों में लगातार दरारें पड़ रही हैं। सरकार बड़े स्तर पर यहां के लोगों को दूसरी जगहों पर शिफ्ट कर रहा है। बता दें कि 7 फरवरी, 2021 की सुबह चमोली में करीब 10 बजे समुद्र तल से करीब 5600 मीटर की ऊंचाई पर 14 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का ग्लेशियर टूटकर गिर गया था। इससे धौलीगंगा और ऋषिगंगा में भयंकर बाढ़ आ गई थी। तब भी जोशीमठ में प्रलय हुई थी। पढ़िए क्या है मामला?


उत्तराखंड के चमोली जिले में 6,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित, बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब के मार्ग पर स्थित जोशीमठ शहर हाई रिस्क वाले भूकंपीय 'जोन-V' में आता है। डिस्ट्रिक्ट डिजास्टर मैनेजमेंट अफिसर एनके जोशी ने बताया कि अब तक शहर के विभिन्न क्षेत्रों में 561 घरों में दरारें आ चुकी हैं। इनमें रविग्राम में 153, गांधीनगर में 127, मनोहरबाग में 71, सिंहधार में 52, परसारी में 50, अपर बाजार में 29, सुनील में 27, मारवाड़ी में 28 और लोअर बाजार में 24 मकान शामिल हैं। 

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उन्होंने कहा कि घरों को हुए नुकसान की मात्रा अलग-अलग है। अब तक सबसे अधिक प्रभावित घरों में से 29 परिवारों को शहर से अस्थायी रूप से सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया गया है।यदि आवश्यक हुआ, तो और परिवारों को निकाला जा सकता है। अधिकारी ने कहा कि जिन स्थानों पर उन्हें स्थानांतरित किया गया है, उनमें नगर पालिका भवन, एक प्राथमिक विद्यालय भवन, मिलन केंद्र और जोशीमठ गुरुद्वारा शामिल हैं। जोशी ने कहा कि कुछ परिवारों को फिलहाल उनके रिश्तेदारों के यहां भी स्थानांतरित कर दिया गया है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि जोशीमठ में स्थिति पर कड़ी नजर रखी जा रही है और स्थिति का आकलन करने के लिए वह स्वयं वहां का दौरा करेंगे। अधिकारियों ने कहा कि उच्च जोखिम वाले भूकंपीय 'जोन-5' में आने वाली जगह का सर्वेक्षण करने के लिए विशेषज्ञों की एक टीम भी गठित की गई है। यहां से करीब 30 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।

बता दें कि जोन-V में पूरा पूर्वोत्तर भारत, जम्मू और कश्मीर के कुछ हिस्से, लद्दाख के कुछ हिस्से, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात में कच्छ का रण, उत्तर बिहार के कुछ हिस्से और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह शामिल हैं। यहां 9 और उससे तीव्रता का भूकंप भी आने का खतरा होता है।

भारत का कौन-सा राज्य भूकंप के किस जोन में
भू वैज्ञानिकों के अनुसार भारत में हर जगह भूकंप का खतरा बना रहता है, लेकिन कुछेक राज्य ही ऐसे हैं, जो सेंसेटिव जोन में आते हैं। यानी यहां तीव्रता के भूकंप आने की डर हमेशा रहता है। भारत को चार हिस्सों यानि जोन में बांटा गया है। जैसे जोन-1, जोन-2, जोन-3, जोन-4 तथा जोन-5। इसमें सबसे कम खतरे वाला जोन-2 है, जबकि जोन-5 में सबसे अधिक खतरा होता है।

जोन-एक: पश्चिमी मध्यप्रदेश, पूर्वी महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक और उड़ीसा के हिस्से। यहां भूकंप का खतरा बेहद कम होता है।

जोन-दो: तमिलनाडु, राजस्थान और मध्यप्रदेश का कुछ हिस्सा, पश्चिम बंगाल और हरियाणा। यहां अकसर भूकंप की आशंका बनी रहती है।

जोन-तीन: केरल, बिहार, पंजाब, महाराष्ट्र, पश्चिमी राजस्थान, पूर्वी गुजरात, उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश का कुछ हिस्सा। यहां भी भूकंप के झटके महसूस होते रहते हैं।

जोन-चार : मुंबई, दिल्ली जैसे महानगर, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पश्चिमी गुजरात, उत्तरांचल, उत्तरप्रदेश के पहाड़ी इलाके और बिहार-नेपाल सीमा के इलाके। इस जोन में भी भूकंप का खतरा हमेशा मंडराता रहता है।

जोन-पांच : गुजरात का कच्छ इलाका, उत्तरांचल का एक हिस्सा और पूर्वोत्तर के ज्यादातर राज्य सबसे खतरनाक जोन में शामिल हैं। यहां बड़े भूकंप का खतरा बना रहता है।

अब जानिए किस तीव्रता के भूकंप से कितना नुकसान

2.0 तीव्रता. रिएक्टर स्केल पर इस तीव्रता के भूकंप रोज करीब आठ हजार आते हैं, लेकिन ये महसूस नहीं होते।

2.0 से लेकर 2.9 की तीव्रता: रोज करीब हजार झटके आते हैं, लेकिन ये भी महसूस नहीं होते।

3.0 से लेकर 3.9 की तीव्रता: रिक्टर स्केल पर इस तीव्रता के झटके साल में करीब 49 हजार बार आते हैं। ये भी महसूस नहीं होते, पर मामूली नुकसान कर देते हैं।

4.0 से 4.9 की तीव्रता: साल में लगभग 6200 बार दर्ज किए जाते हैं। ये झटके महसूस होते हैं और नुकसान भी कर देते हैं।

5.0 से 5.9 तीव्रता: ये साल में लगभग 800 बार महसूस होते है। ये नुकसान पहुंचाते हैं।

6.0 से 6.9 तक की तीव्रता: साल में लगभग 120 बार दर्ज किए जाते हैं। ये 160 किलोमीटर तक के दायरे में बड़ा नुकसान कर देते हैं।

7.0 से लेकर 7.9 तक की तीव्रता: ये तबाही का कारण बनते हैं। ये साल में लगभग 18 बार आते हैं।

8.0 से लेकर 8.9 तक की तीव्रता: यह भूकंप सैकड़ों किलोमीटर के क्षेत्र में भयंकर तबाही ला देता है। हालांकि  ये साल में कभी-कभार ही आते हैं।

9.0 से लेकर 9.9 तक की तीव्रता: यह भूकंप विनाश ला देता है। हजारों किलोमीटर के क्षेत्र में तबाही आ जाती है। ये 20 साल में एक बार आने की आशंका होती है।

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