किसानों ने थाली बजाकर मन की बात का विरोध किया, बोले- जैसे पीएम ने कोरोना भगाया, हम कानून भगा रहे

कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का प्रदर्शन 31वें दिन भी जारी है। इससे पहले शनिवार को किसान संगठनों की बैठक में सरकार के बातचीत के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया है। किसानों ने बातचीत के लिए 29 दिसंबर को 11 बजे का समय तय किया है। अब बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार किसानों के प्रस्ताव पर कल तक जवाब दे सकती है। 

Asianet News Hindi | Published : Dec 27, 2020 2:50 AM IST / Updated: Dec 27 2020, 02:15 PM IST

नई दिल्ली. कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का प्रदर्शन 31वें दिन भी जारी है। किसानों ने रविवार को थाली बजाकर पीएम मोदी के मन की बात का विरोध किया। किसानों ने कहा, जैसे पीएम ने थाली बजाकर कोरोना भगाया, वैसे ही हम कृषि कानूनों को भगा रहे हैं। इससे पहले शनिवार को किसान संगठनों की बैठक में सरकार के बातचीत के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया है। किसानों ने बातचीत के लिए 29 दिसंबर को 11 बजे का समय तय किया है। अब बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार किसानों के प्रस्ताव पर कल तक जवाब दे सकती है। 

इससे पहले सरकार ने किसान संगठनों को चिट्ठी लिखी थी। इसमें सरकार ने बातचीत का प्रस्ताव रखा था। सरकार ने कहा था कि वह खुले मन से चर्चा के लिए तैयार है। इस पर किसान संगठनों ने बैठक के बाद इस पर सहमति जताई है। हालांकि, किसानों ने बातचीत के लिए शर्तें रखी हैं। 

राहुल गांधी ने किसानों का किया समर्थन 
 

किसान संगठनों ने रखीं ये शर्तें
बैठक के बाद स्वराज इंडिया के प्रमुख योगेंद्र यादव ने कहा था, किसानों का प्रस्ताव है कि तीन कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए अपनाई जाने वाली क्रियाविधि, सभी किसानों और कृषि वस्तुओं के लिए स्वामीनाथन कमीशन द्वारा सुझाए लाभदायक एमएसपी पर खरीद की कानूनी गांरटी देने की प्रक्रिया और प्रावधान ही इस बैठक का एजेंडा हो। 

हनुमान बेनीवाल ने एनडीए छोड़ी
उधर, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी प्रमुख हनुमान बेनीवाल ने एनडीए छोड़ने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने कहा, केंद्र सरकार कृषि बिलों को वापिस न लेने पर अड़ी हुई है। ये तीनों बिल किसानों के खिलाफ हैं इसीलिए मैंने NDA छोड़ दी है, परन्तु कांग्रेस के साथ किसी प्रकार का गठबंधन नहीं करूंगा

3 कानून कौन से हैं, जिसका किसान विरोध कर रहे हैं 

1- किसान उपज व्‍यापार एवं वाणिज्‍य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020  

अभी क्या व्यवस्था थी- किसानों के पास फसल बेचने के ज्यादा विकल्प नहीं है। किसानों को एपीएमसी यानी कृषि उपज विपणन समितियों में फसल बेचनी होती है। इसके लिए जरूरी है कि फसल रजिस्टर्ड लाइसेंसी या राज्य सरकार को ही फसल बेच सकते हैं। दूसरे राज्यों में या ई-ट्रेडिंग में फसल नहीं बेच सकते हैं। 
 



किसान क्यों कर रहे विरोध ? 
किसानों का कहना है कि MSP का सिस्टम खत्म हो जाएगा। किसान अगर मंडियों के बाहर उपज बेचेंगे तो मंडियां खत्म हो जाएंगी।


2-  किसानों (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) का मूल्‍य आश्‍वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020

अभी क्या व्यवस्था है- यह कानून किसानों की कमाई पर केंद्रित है। अभी किसानों की कमाई मानसून और बाजार पर निर्भर है। इसमें रिस्क बहुत ज्यादा है। उन्हें मेहनत के हिसाब से रिटर्न नहीं मिलता।


किसान क्यों कर रहे विरोध ?
कॉन्ट्रैक्ट या एग्रीमेंट करने से किसानों का पक्ष कमजोर होगा। छोटे किसान कैसे कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग करेंगे? विवाद की स्थिति में बड़ी कंपनियों को फायदा होगा।

3- आवश्‍यक वस्‍तु (संशोधन) विधेयक, 2020

अभी क्या व्यवस्था है- अभी कोल्ड स्टोरेज, गोदामों और प्रोसेसिंग और एक्सपोर्ट में निवेश कम होने से किसानों को लाभ नहीं मिल पाता। अच्छी फसल होने पर किसानों को नुकसान ही होता है। फसल जल्दी सड़ने लगती है।

किसान क्यों कर रहे विरोध ?
बड़ी कंपनियां आवश्यक वस्तुओं का स्टोरेज करेगी। इससे कालाबाजारी बढ़ सकती है।

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