एमएसपी पर लिखित में भरोसा, कुर्क नहीं होगी जमीन, केंद्र सरकार ने किसानों को लिखित में दिए ये 10 भरोसे

कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का प्रदर्शन 14वें दिन भी जारी है। केंद्र सरकार ने किसानों की मांगों को लेकर लिखित में 10 प्रस्ताव भेजे थे। हालांकि, किसानों ने इन्हें ठुकरा दिया। किसानों का कहना है कि इसमें कुछ भी नया नहीं है। इसके अलावा किसानों ने 12 दिसंबर से दिल्ली जयुपर, दिल्ली आगरा हाईवे जाम करने, सभी टोल प्लाजाओं को फ्री कराने के लिए कहा है। 

Asianet News Hindi | Published : Dec 9, 2020 1:25 PM IST / Updated: Dec 09 2020, 06:56 PM IST

नई दिल्ली. कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का प्रदर्शन 14वें दिन भी जारी है। केंद्र सरकार ने किसानों की मांगों को लेकर लिखित में 10 प्रस्ताव भेजे थे। हालांकि, किसानों ने इन्हें ठुकरा दिया। किसानों का कहना है कि इसमें कुछ भी नया नहीं है। इसके अलावा किसानों ने 12 दिसंबर से दिल्ली जयुपर, दिल्ली आगरा हाईवे जाम करने, सभी टोल प्लाजाओं को फ्री कराने के लिए कहा है। साथ ही किसान 14 अगस्त से देशव्यापी प्रदर्शन करेंगे। आईए जानते हैं कि किसानों की क्या मांगें हैं और उन पर सरकार ने लिखित में क्या प्रस्ताव दिए थे।

ये हैं किसानों की समस्याएं

- कृषि सुधार कानूनों को रद्द करें।
- सरकारी एजेंसी को उपज बेचने का विकल्प खत्म हो जाएगा। फसलों का कारोबार निजी हाथों में चला जाएगा।
- किसानों की जमीन पर बड़े उद्योगपति कब्जा कर लेंगे। किसान अपनी जमीन खो देगा।
- आशंका है कि मंडी समितियों यानी APMC के तहत बनी मंडियां कमजोर होंगी और किसान प्राइवेट मंडियों के चंगुल में फंस जाएगा।
- नए कानून में किसानों की जमीन की कुर्की हो सकती है।
- कोई विवाद हो जाए, तो नया कानून कहता है कि किसान सिविल कोर्ट में नहीं जा सकते।
- रजिस्ट्रेशन की बजाय पैन कार्ड दिखाकर फसल खरीद होगी, तो धोखा भी होगा।
- एयर क्वालिटी मैनेजमेंट ऑफ एनसीआर ऑर्डिनेंस 2020 को खत्म किया जाए, क्योंकि इसके तहत पराली जलाने पर जुर्माना और सजा हो सकती है।
- एग्रीकल्चर एग्रीमेंट के रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था नहीं है।
बिजली संशोधन विधेयक 2020 को खत्म किया जाए।

सरकार ने समस्याओं पर भेजे थे ये 10 प्रस्ताव

1. कानून किसानों के ऐतराज वाले प्रावधानों पर सरकार विचार करने को तैयार।
2- सरकारी खरीद की व्यवस्था में दखल नहीं देगी सरकार।  MSP सेंटर्स राज्य सरकारें बना सकती हैं। मंडिया बनाने की भी छूट। 
3- यह साफ किया जाएगा कि किसान की जमीन पर ढांचा बनाए जाने की स्थिति में फसल खरीददार उस पर कोई कर्ज नहीं ले सकेगा और न ही ढांचे को अपने कब्जे में रख सकेगा।
4- कानून में बदलाव किया जा सकता है, ताकि राज्य सरकारें प्राइवेट मंडियों का रजिस्ट्रेशन कर सकें। ऐसी मंडियों से राज्य सरकारें सेस भी वसूल सकेंगी।
5. नए कानून की धारा-15 में यह साफ लिखा है कि वसूली के लिए किसान की जमीन कुर्क नहीं हो सकती। खरीददार के खिलाफ तो बकाया रकम पर 150% जुर्माना लग सकता है, लेकिन किसानों पर पेनल्टी लगाने का प्रावधान नहीं है। फिर भी कोई सफाई चाहिए, तो उसे जारी किया जाएगा।
6. सिविल कोर्ट में जाने का विकल्प भी दिया जा सकता है।
7. राज्य सरकारों को यह अधिकार दिया जा सकता है कि वे फसल खरीदने वालों के लिए रजिस्ट्रेशन का नियम बना सकें।
8. किसानों की आपत्तियों को दूर किया जाएगा।
9. जब तक राज्य सरकारें रजिस्ट्रेशन का सिस्टम नहीं बनातीं, तब तक यह व्यवस्था की जाएगी कि एग्रीकल्चर एग्रीमेंट होने के बाद 30 दिन के अंदर उसकी एक कॉपी एसडीएम ऑफिस में जमा कराई जाए।
10. किसानों के बिजली बिल के पेमेंट की मौजूदा व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं होगा।

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