किसानों ने सरकार का प्रस्ताव ठुकराया, बोले- 12 दिसंबर को दिल्ली-जयुपर, दिल्ली-आगरा हाईवे करेंगे जाम

कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का 14वां दिन भी कुछ रिजल्ट हासिल नहीं कर सका। सरकार ने कृषि कानूनों में बदलाव का लिखित प्रस्ताव किसानों तक भेजा था। इसे किसानों ने ठुकरा दिया। किसान कानून रद्द करने की मांग पर अड़े हैं।

नई दिल्ली. कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का 14वां दिन भी कुछ रिजल्ट हासिल नहीं कर सका। सरकार ने कृषि कानूनों में बदलाव का लिखित प्रस्ताव किसानों तक भेजा था। इसे किसानों ने ठुकरा दिया। किसान कानून रद्द करने की मांग पर अड़े हैं। किसान कानूनों के विरोध में 14 दिसंबर को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करेंगे। इसके साथ ही सिंघु बॉर्डर पर भी प्रदर्शन जारी रहेगा।

प्रस्ताव पर चर्चा के बाद किसानों ने किए ये ऐलान

 - किसानों ने सरकार के 21 पॉइंट का लिखित प्रस्ताव ठुकराया। इसमें सरकार ने कृषि कानूनों में बदलाव का प्रस्ताव भेजा था। 
- किसान संगठनों का कहना है कि सरकार के प्रस्ताव में कुछ भी नया नहीं है।
- कानूनों के विरोध में 14 दिसंबर को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करेंगे। जिला मुख्यालयों का घेराव किया जाएगा।
- सिंघु बॉर्डर पर भी प्रदर्शन जारी रहेगा।
- किसानों ने कहा, आंदोलन को और तेज किया जाएगा। इसके अलावा अडानी अंबानी के उत्पादों और भाजपा नेताओं का बॉयकट करेंगे।
- 12 दिसंबर को दिल्ली-जयुपर, दिल्ली-आगरा हाईवे जाम करेंगे किसान। 
- किसानों ने कहा- जब तक सरकार कानूनों को वापस नहीं लेती, एक एक कर दिल्ली की सड़कों को जाम किया जाएगा।

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अमित शाह ने संभाला था मोर्चा
मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किसान नेताओं के एक समूह से मुलाकात की थी। 13 किसान नेताओं को शाह के साथ इस बैठक के लिए बुलाया था। किसान नेताओं में आठ पंजाब से थे जबकि पांच देश भर के अन्य किसान संगठनों से संबंधित थे। बैठक में शामिल नेताओं में अखिल भारतीय किसान सभा के हन्नान मोल्लाह और भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत भी शामिल रहे। अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने कहा, "शाह जी ने कहा कि सरकार जिन संशोधनों के पक्ष में हैं उन्हें कल लिखित में देगी। हम लिखित संशोधनों को लेकर सभी 40 किसान यूनियनों से चर्चा करने के बाद बैठक में शामिल होने के बारे में फैसला लेंगे।"

इन संशोधनों पर सरकार राजी

1. सरकार कृषि कानून में संशोधन करके उन्‍हें किसी भी परेशानी में कोर्ट जाने की इजाजत दे सकती है. मौजूदा कानून में ऐसा नहीं है।

2. किसान पंजीकरण व्‍यवस्‍था की मांग कर रहे हैं. जबकि प्राइवेट प्‍लेयर पैन कार्ड का इस्‍तेमाल करते हैं. सरकार द्वारा किसानों की यह मांग मानी जा सकती है।

3. न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य यानी एमएसपी यानी को लेकर किसान नेताओं का कहना है कि गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को हुई बैठक में एमएसपी प्रणाली और मंडी सिस्‍टम में किसानों के अनुसार कुछ बदलाव की बात कही है।

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