अब दुश्मनों की खैर नहीं, जुलाई में भारत को मिलेंगे 4 राफेल विमान; अंबाला में होंगे तैनात

 जल्द ही भारतीय वायुसेना की ताकत में इजाफा होने वाला है। भारत को जुलाई तक चार राफेल फाइटर प्लेन मिल जाएंगे। इन्हें हरियाणा के अंबाला स्थित एयरबेस पर तैनात किए जाएंगे। भारत को पहले ये राफेल मई में मिलने थे, लेकिन कोरोना वायरस के संकट के चलते दो महीने देरी से मिलेंगे। 

नई दिल्ली. जल्द ही भारतीय वायुसेना की ताकत में इजाफा होने वाला है। भारत को जुलाई तक चार राफेल फाइटर प्लेन मिल जाएंगे। इन्हें हरियाणा के अंबाला स्थित एयरबेस पर तैनात किए जाएंगे। भारत को पहले ये राफेल मई में मिलने थे, लेकिन कोरोना वायरस के संकट के चलते दो महीने देरी से मिलेंगे। 

न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, भारत में आने वाले चार प्लेनों में तीन दो सीटों वाले ट्रेनिंग प्लेन होंगे। जबकि एक फाइटर जेट होगा। भारत ने फ्रांस से 36 राफेल का सौदा किया है। 

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2022 तक मिलेंगे 36 राफेल
राफेल आने से भारत की वायुसेना की शक्ति में काफी गुना तक इजाफा हो जाएगा। दसॉल्ट के साथ हुए 59 हजार करोड़ रुपए के इस समझौते के तरह भारत को 2022 तक 36 राफेल मिलेंगे। यह विमान भारत के लिए काफी खास है। 

हथियार प्रणाली
राफेल आधुनिक विमान है। इसकी हथियार प्रणाली पाकिस्तान के एफ-16 से ज्यादा शक्तिशाली और ताकतवर है। इसका रडार सिस्टम 84 किमी तक टारगेट को आसानी से डिटेक्ट करता है। यह 100 किमी दायरे में 40 टारगेट को एकसाथ डिटेक्ट कर सकता है। 
 

300 किलोमीटर दूर जमीन पर भी साध सकता है निशाना 
राफेल का मिसाइल सिस्टम काफी आधुनिक और बेहतर है। यह विमान हवा से हवा और हवा से जमीन पर सटीक निशाना साधने वाले हथियारों को अपने साथ ले जाने में सक्षम है। इसमें तैनात  मीटिअर मिसाइल 150 किमी दूरी तक हवा में टारगेट पर सटीक निशाना लगा सकती है। मीटिअर से क्रूज मिसाइलों पर भी निशाना लगाया जा सकता है। इसमें लगीं स्कैल्प मिसाइलें 300 किमी दूर जमीन पर स्थित टारगेट पर भी सटीक निशाना लगा सकती हैं। इन मिसाइलों से विमान जमीन से हो रहे हमले से भी सुरक्षित रखती हैं। 

अन्य खासियतें
1- स्पीड - 2222  किमी/घंटा 
2- कितनी ऊंचाई तक भर सकता है उड़ान- 15,240 मीटर (50 हजार फीट)
3- मीटिअर मिसाइल:  150 किमी (हवा से हवा में)
4- स्कैल्प मिसाइल : 300 किमी (हवा से जमीन में)

सुरक्षित एयरस्पेस भेदने की क्षमता
राफेल में किसी भी सुरक्षित एय़रस्पेस को भेदने की क्षमता है। इसे समझने के लिए भारतीय पायलटों को कम से कम 5-6 महीने की ट्रेनिंग लेनी पड़ेगी। 

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