From The India Gate: कहीं 'चैट G-P-T' के भरोसे पार्टी, तो कहीं दिखी बागी नेता की पॉलिटिकल 'केमेस्ट्री'

सियासी गलियारों में परदे के पीछे बहुत कुछ घटता है- ओपिनियन, साजिश, सत्ता का खेल और राजनीतिक क्षेत्र में आंतरिक तकरार। पेश है 'फ्रॉम द इंडिया गेट' का 33वां एपिसोड, जो आपके लिए लाया है पॉलिटिक्स की दुनिया के कुछ ऐसे ही चटपटे और मजेदार किस्से।

From The India Gate: सियासी गलियारों में परदे के पीछे बहुत कुछ होता है- ओपिनियन, साजिश, सत्ता का खेल और राजनीतिक क्षेत्र में आंतरिक तकरार। एशियानेट न्यूज का व्यापक नेटवर्क जमीनी स्तर पर देश भर में राजनीति और नौकरशाही की नब्ज टटोलता है। अंदरखाने कई बार ऐसी चीजें निकलकर आती हैं, जो वाकई बेहद रोचक और मजेदार होती हैं। पेश है 'फ्रॉम द इंडिया गेट' (From The India Gate) का 33वां एपिसोड, जो आपके लिए लाया है, सत्ता के गलियारों से कुछ ऐसे ही मजेदार और रोचक किस्से।

पॉलिटिक्स का चैट G-P-T..

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वैसे, राजस्थान में ये समझने के लिए किसी AI (Artificial Intelligence) की जरूरत नहीं है कि G का मतलब गहलोत, P का मतलब पायलट और T का मतलब टैक्टिक्स है। राजस्थान में राज करने को लेकर अब तक दोनों नेताओं के बीच जमकर खींचतान चल रही थी, लेकिन दिल्ली में एक बैठक के बाद इन्होंने एक संघर्ष विराम समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। G-P समझौता एक ऐसे परिदृश्य की परिकल्पना करता है, जहां आगामी विधानसभा चुनाव में दोबारा जीत का आश्वासन देने के उद्देश्य से दोनों नेता पार्टी का नेतृत्व करने के लिए हाथ मिलाते हैं। कुल मिलाकर लग रहा है कि नई सरकार के पायलट सचिन होंगे और मौजूदा सीएम को अब दिल्ली में 'बड़ी' भूमिका मिलेगी। हालांकि, गहलोत खेमा इस फॉर्मूले को लेकर असमंजस में है, वहीं सचिन के फॉलोअर्स का मानना ​​है कि अगर पार्टी सत्ता में वापसी करती है तो भी उनकी राह आसान नहीं होगी। उन्हें लगता है कि पायलट सरकार में गहलोत एयर ट्रैफिक कंट्रोलर के इन-चार्ज की भूमिका निभाते रहेंगे।

मौके का फायदा..

कर्नाटक के इतिहास में पहली बार विधानसभा और विधान परिषदों में विपक्ष में लीडरशिप वैक्यूम है। हालांकि, बीजेपी ने 66 सीटें जीतीं, लेकिन JDS के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी (केवल 19 सीटों के साथ) अंतरिम रूप से विपक्ष की भूमिका निभा रहे हैं। एचडी कुमारस्वामी कांग्रेस सरकार पर 'ट्रांसफर डील' और 'YST' का आरोप लगाने में मुखर रहे हैं। कुमारस्वामी के मुताबिक, YST का मतलब किसी राजनीतिक रिश्तेदार को भुगतान की जाने वाली `ट्रांसफर फीस' का एक हिस्सा है। बता दें कि कुमारस्वामी ने कांग्रेस पर लगाए गए आरोपों को साबित करने के लिए एक ऑडियो क्लिप होने का दावा भी किया है। वहीं, बीजेपी राजनीतिक लाभ हासिल करने की कोशिश में कुमारस्वामी के आरोपों को दोहरा रही है। ये बात अलग है कि पार्टी सक्रिय विपक्ष की भूमिका निभाने के लिए संघर्ष कर रही है। हालांकि, कुमारस्वामी की पहल ने बीजेपी सदस्यों सहित कई लोगों को जेडीएस के साथ समझौते के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया है। उन्हें लगता है कि बीजेपी नई सरकार को अस्थिर करने के लिए कुमारस्वामी की कोशिश में और ताकत झोंक सकती है।

तमिलनाडु का राजनीतिक रंगमंच..

जैसे-जैसे तमिलनाडु का राजनीतिक रंगमंच 2024 के मेगा शो के लिए तैयार हो रहा है, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अन्नामलाई, जो कि रामेश्वरम से अपनी पदयात्रा शुरू करने के लिए तैयार हैं, वो खुद उत्तर से एक नायक की उम्मीद कर रहे हैं। अन्नामलाई पहले ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को अपनी यात्रा को हरी झंडी दिखाने के लिए आमंत्रित कर चुके हैं। अब वे एक और केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण को राज्य की राजनीति में उतारने के लिए पार्टी पर दबाव डाल रहे हैं। (विडंबना ये है कि केरल बीजेपी भी 2024 में सीताराम की पार्टी से मुकाबला करने के लिए सीतारमण को मैदान में उतारने पर विचार कर रही है।) अन्नामलाई को उम्मीद है कि अगर जरूरी हुआ तो ये स्क्रिप्ट उनकी पार्टी को तमिलनाडु में बिना किसी गठबंधन के अकेले जाने में मदद करेगी। क्योंकि संभावित गठबंधन सहयोगी AIADMK, पट्टाली मक्कल काची (PMK) और तमिल मनीला काची (TMK) अभी भी किसी उलझन में नहीं दिख रहे हैं। समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने पर AIADMK की राय अलग है। अगर AIADMK अकेले चुनाव लड़ने का फैसला करती है, तो बीजेपी को PMK और TMK के साथ गठबंधन करना होगा। लेकिन अन्नामलाई की सोच इससे बिल्कुल अलग है और वे राज्य में अपनी ताकत दिखाना चाहते हैं। ऐसे में बड़े सपने देखने के लिए रामेश्वरम से बेहतर कोई दूसरी जगह नहीं हो सकती। क्योंकि यहीं पर सभी यात्राएं समाप्त होती और नई शुरू होती हैं।

बागी नेता की पॉलिटिकल केमेस्ट्री..

ये मामला सही केमेस्ट्री बैठने का है। कांग्रेस नेता से वामपंथी (Leftist) बने केवी थॉमस केमेस्ट्री के प्रोफेसर भी हैं। ऐसे में वो ये बात भलीभांति जानते हैं कि जिंदगी की पतझड़ में खुद को प्रासंगिक बनाने के लिए सही फॉर्मूला क्या है। पूर्व केंद्रीय मंत्री, संसद सदस्य और कांग्रेस पार्टी का प्रतिनिधित्व करने वाले केरल विधानसभा के सदस्य केवी थॉमस तब वामपंथ की ओर चले गए, जब उन्हें पार्टी और उसकी लीडरशिप में बराबर हिस्सेदारी से वंचित कर दिया गया। हालांकि, थॉमस के इस कदम पर कांग्रेस पार्टी ने उन पर एक्शन लिया। थॉमस अब भी सफेद खादी शर्ट और धोती पहने एक कांग्रेसी की तरह जिंदगी जी रहे हैं। लेकिन, उनका दिल अब वामपंथ के लिए धड़कता है। हालांकि, मेट्रो-मैन ई श्रीधरन की मदद से केवी थॉमस के केरल सेमी-स्पीड रेलवे प्रोजेक्ट K-रेल को आगे बढ़ाने की पहल ने एक बार फिर कांग्रेसियों की भौंहें चढ़ा दी हैं। बता दें कि पिछले विधानसभा चुनाव में श्रीधरन को बीजेपी उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारा गया था। 

दरअसल, दिल्ली में केरल सरकार के विशेष प्रतिनिधि और पूर्व कांग्रेस नेता केवी थॉमस ने हाल ही में मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के आशीर्वाद से ई श्रीधरन के घर पर उनसे मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान थॉमस ने सिल्वरलाइन रेल प्रोजेक्ट में संशोधन के लिए श्रीधरन से सुझाव मांगे। बाद में उन्होंने केरल सरकार को एक डिटेल रिपोर्ट सौंपी। माना जा रहा है कि इस मुलाकात के बाद ई श्रीधरन ने केरल सरकार के सामने एक वैकल्पिक रेल परियोजना पेश की, जिसे बाद में हाई स्पीड ट्रैक के रूप में अपग्रेड किया जा सकता है। इस तरह, केवी थॉमस का फॉर्मूला एलडीएफ सरकार को अपने असफल K-रेल प्रोजेक्ट को लागू करने में मदद कर रहा है। वैसे, केरल में अब तक वंदे भारत की चमक का आनंद ले रही बीजेपी के लिए ये फायदे की बात हो सकती है, क्योंकि वो इस K-रेल प्रोजेक्ट को केंद्र सरकार की परियोजना बताने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेगी। दूसरी तरफ, अचानक हुए इस घटनाक्रम ने K-रेल के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे कांग्रेसियों को सकते में डाल दिया है। पार्टी पहले ही दावा कर चुकी है कि केरल जब 2024 के लोकसभा चुनावों की ओर बढ़ रहा है, तब ये नया प्रस्ताव वाम और भाजपा के बीच एक 'ओवर ब्रिज' का काम कर रहा है।

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