From The India Gate: कहीं सीनियर लीडर बने 'कठपुतली' तो कहीं अपने ही नेता को पहचानने में खा गए गच्चा

Published : Jun 25, 2023, 03:55 PM ISTUpdated : Jun 25, 2023, 04:00 PM IST
From the india gate

सार

सियासी गलियारों में परदे के पीछे बहुत कुछ घटता है- ओपिनियन, साजिश, सत्ता का खेल और राजनीतिक क्षेत्र में आंतरिक तकरार। पेश है 'फ्रॉम द इंडिया गेट' का 30वां एपिसोड, जो आपके लिए लाया है पॉलिटिक्स की दुनिया के कुछ ऐसे ही चटपटे और मजेदार किस्से।

From The India Gate: सियासी गलियारों में परदे के पीछे बहुत कुछ होता है- ओपिनियन, साजिश, सत्ता का खेल और राजनीतिक क्षेत्र में आंतरिक तकरार। एशियानेट न्यूज का व्यापक नेटवर्क जमीनी स्तर पर देश भर में राजनीति और नौकरशाही की नब्ज टटोलता है। अंदरखाने कई बार ऐसी चीजें निकलकर आती हैं, जो वाकई बेहद रोचक और मजेदार होती हैं। पेश है 'फ्रॉम द इंडिया गेट' (From The India Gate) का 30वां एपिसोड, जो आपके लिए लाया है, सत्ता के गलियारों से कुछ ऐसे ही मजेदार और रोचक किस्से।

अपनी ही पार्टी में विद्रोह..

केरल की भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) को अपने ही अंदर विद्रोह का सामना करना पड़ रहा है। कई सच्चे `कॉमरेड' कुछ बड़े नेताओं के गलत कामों को उजागर करने के लिए पार्टी के ही सोशल मीडिया पेज का इस्मेमाल कर रहे हैं। यहां तक कि मेनस्ट्रीम मीडिया ने हाल ही में ली गईं तमाम हेडलाइंस पार्टी समर्थक फेसबुक पेजों जैसे चेम्बाडा कायमकुलम, कायमकुलम विप्लवम से उठाईं। ताजा उदाहरण SFI नेता निखिल थॉमस का मामला है, जिन्होंने पार्टी के एक मेंबर की सलाह पर एम.कॉम में एडमिशन के लिए फर्जी बी.कॉम डिग्री का इस्तेमाल किया। इस मामले को पहली बार एक पार्टी के फेसबुक पेज पर रिपोर्ट किया गया था। इसी तरह, अनुचित वीडियो कॉल करने वाले एक लोकल कमेटी मेंबर की `कहानी' भी सबसे पहले पार्टी के सोशल मीडिया पेज पर रिपोर्ट की गई थी। बाद में इस कॉमरेड को पार्टी से बाहर निकाल दिया गया। एक और कॉमरेड जो घरेलू हिंसा के लिए कुख्यात था, उसे भी ऐसे ही सोशल मीडिया पेज पर 'बेनकाब' किया गया था। साइबरस्पेस पर इस तरह के विद्रोह का सामना करते हुए पार्टी अब डिजिटल हाइजीन पर कामरेडों को ट्रेनिंग देने के लिए सोशल मीडिया एक्सपर्ट्स की मदद ले रही है। विडंबना ये है कि ये सबकुछ तब हो रहा है, जब पार्टी मेनस्ट्रीम मीडिया को सिद्धांतों और नैतिकता का उपदेश देने में बिजी है। हालात इतने गंभीर हो गए हैं कि CPI (M) मीडिया को पार्टी के खिलाफ रिपोर्ट करने पर गंभीर नतीजे भुगतने की चेतावनी दे रही है। पार्टी के बड़े नेता खुलेआम धमकियां दे रहे हैं। कई प्रमुख मीडिया घरानों को फर्जी मामलों, साइबर हमलों और धमकी का सामना करना पड़ रहा है।

सीनियर लीडर बने 'कठपुतली'

कर्नाटक कांग्रेस के नेता और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार का पॉलिटिकल फोकस अब तेलंगाना पर है। शिवकुमार ने अपने राष्ट्रीय नेतृत्व के नक्शेकदम पर चलते हुए तेलंगाना में रणनीति तय करते समय कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को कठपुतली बना दिया है। दरअसल, खड़गे ने हाल ही में माणिकराव ठाकरे को तेलंगाना का प्रभारी बनाया था। मनिकम टैगोर, जो राज्य के प्रभारी थे उन्हें गोवा शिफ्ट कर दिया गया। लेकिन डीके शिवकुमार को अपना गुरु मानने वाले ठाकरे ने तेलंगाना के बड़े नेताओं से कोई सलाह तक नहीं ली है। हाल ही में तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी (TPCC) प्रमुख रेवंत रेड्डी के नेतृत्व का विरोध कर रहे असंतुष्ट सांसद कोमाटिरेड्डी वेंकटरेड्डी ने शिवकुमार से मुलाकात की। ऑब्जर्वर्स का मानना ​​है कि कोमाटिरेड्डी अपने भाई राजगोपाल रेड्डी को कांग्रेस में वापस लाने के लिए शिवकुमार का इस्तेमाल कर रहे हैं। बता दें कि राजगोपाल रेड्डी ने BJP में शामिल होने के लिए कांग्रेस पार्टी और विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि, उनकी ये चाल नाकाम रही। इसके बाद वो दोबारा कांग्रेस में शामिल होने के लिए उठापटक कर रहे हैं। लेकिन समस्या ये है कि दोनों भाई रेवंत रेड्डी के नीचे काम नहीं करना चाहते हैं। कांग्रेस पार्टी में दोबारा एंट्री पाने के लिए दोनों भाई शिवकुमार का इस्तेमाल कर रहे हैं। शिवकुमार और आंध्र प्रदेश के सीएम जगनमोहन रेड्डी की बहन शर्मिला ने 2024 की रणनीति तय करने के लिए कई बैठकें की हैं। इससे ये तो साफ है कि रेवंत रेड्डी और माणिकराव ठाकरे तेलंगाना में अपनी पकड़ खोते जा रहे हैं।

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चुनाव जीतने की जुगत..

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार और AICC प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे गांधी परिवार के साथ मिलकर इस बात पर मंथन कर रहे हैं कि 2024 के लोकसभा चुनावों में राज्य से अधिक सीटें कैसे हासिल की जाएं। विधान परिषद के लिए विधायकों के चयन के लिए इस्तेमाल किए गए टेम्पलेट पर लोकसभा चुनावों में लाभ उठाने पर विचार किया जा रहा है। किसी भी सदन का सदस्य न होने के बावजूद एनएस बोसराजू को कांग्रेस आलाकमान ने लघु सिंचाई मंत्री बनाया। इस कदम का मकसद लक्ष्मण सावदी द्वारा खाली की गई अथानी सीट को जीतने के लिए बोसराजू का इस्तेमाल करना है। बता दें कि टिकट नहीं मिलने के बाद लक्ष्मण सावदी ने बीजेपी से इस्तीफा दे दिया था। डीके शिवकुमार ने सावदी के खिलाफ बेलगाम, चिक्कोडी और विजयपुर लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने का लक्ष्य रखा है। इसी तरह, कलबुर्गी सीट पर बाबूराव चिंचानसूर को जिताने के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे जोर लगा रहे हैं। ये फैसला कलबुर्गी में महत्वपूर्ण कोली और कब्बालिगा समुदाय के वोटों की मौजूदगी से प्रभावित दिखता है। इसके अलावा कांग्रेस बीजेपी के लिंगायत नेताओं पर भरोसा नहीं करेगी, ये संदेश देने के लिए आर. शंकर द्वारा खाली की गई सीट जगदीश शेट्टार को सौंपी गई है। ये रणनीति कितनी कारगर साबित होगी, ये तो 2024 में ही साफ हो पाएगा, लेकिन कांग्रेस में शामिल होने के लिए जोश में आए बीजेपी नेताओं की किस्मत बिल्कुल साफ है-नो मैन्स लैंड में सड़ना!

पैरों तले खिसकी जमीन..

रिश्वतखोरी विवाद में फंसने के बाद केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (KPCC) अध्यक्ष के सुधाकरन की गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस ने राज्य भर में विरोध-प्रदर्शन किया। कार्यकर्ताओं ने सड़कें जाम कर दीं, जिससे जनता परेशान हुई। इसी बीच, हरिप्पद में नेशनल हाईवे को जाम करने वाले प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने देखा कि राज्य सरकार की कार के साथ एक पुलिस पायलट जीप जा रही है। ये मानते हुए कि पुलिस एलडीएफ मंत्रालय के एक मंत्री को ले जा रही थी, प्रदर्शनकारी फौरन कार पर झपट पड़े। वे कार के सामने खड़े होकर नारेबाजी करने लगे। उनमें से कुछ ने `मंत्री' से बाहर निकलने और ये बताने की मांग की कि सुधाकरन को आखिर क्यों गिरफ्तार किया गया? इसी बीच, कार में बैठे शख्स ने केबिन की लाइटें जला दीं। प्रदर्शनकारियों के पांव तले तब जमीन खिसक गई, जब उन्हें पता चला कि सरकारी कार में सवार शख्स कोई और नहीं बल्कि उन्हीं के विपक्ष के नेता वीडी सतीशन थे। ये देखकर सभी कार्यकर्ता बेहद शर्मिंदा हुए। उनकी हालत देखकर सतीशन बाहर निकले और कार्यकर्ताओं से बात की। वैसे, ये भी एक संयोग ही है कि हरिप्पद पूर्व विपक्षी नेता रमेश चेन्निथला का होमटाउन है, जो सतीशन के लिए एक अवांछित व्यक्ति हैं। हरिप्पद में जो घटना घटी, वो महज एक संयोग हो सकता है।

एक्टर की पॉलिटिक्स में एंट्री..

लोकेश कनगराज के डायरेक्शन में बनी और एक्टर विजय द्वारा अभिनीत फिल्म 'लियो' का गाना 'नान रेडी' (मैं तैयार हूं) के बोल विजय के पॉलिटिक्स में एंट्री करने की पुष्टि करते हैं। तमिलनाडु में यूथ मीटिंग आयोजित करने के लिए विजय फैन्स एसोसिएशन अब पहले से कहीं ज्यादा एक्टिव है। इन मीटिंग्स में विजय राजनीति पर बात कर रहे हैं। हाल ही में कक्षा 10 और 12वीं की परीक्षाओं में टॉप करने वालों को सम्मानित करने के लिए आयोजित एक बैठक में विजय ने स्टूडेंट्स से अंबेडकर, पेरियार और कामराज के बारे में और अधिक पढ़ने का आग्रह किया। उन्होंने कहा- आप कल के वोटर्स हैं, जो नए नेताओं को चुनेंगे। लेकिन प्लीज, पैसे के लालच में न आएं। आपमें से कोई भी पैसे लेकर वोट नहीं देगा। वैसे, मेनस्ट्रीम पॉलिटिकल पार्टियां किसी भी सूरत में विजय को कभी हल्के में नहीं लेंगी। 2021 में उनके फैंस एसोसिएशन ने उन 169 सीटों में से 115 सीटें जीतीं, जिन पर उन्होंने चुनाव लड़ा था। दिलचस्प बात ये है कि वे सभी दलित समुदायों का प्रतिनिधित्व करने वाले निर्दलीय उम्मीदवार थे। हालांकि, इसमें कोई हैरानी नहीं कि विदुथलाई चिरुथिगल काची (VCK) के नेता थिरुमावलावन विजय की आलोचना कर रहे हैं। माना जा रहा है कि विजय 2026 के विधानसभा चुनाव में उतरेंगे और एक जबर्दस्त ताकत के रूप में उभरेंगे।

नेताजी की घबराहट..

कांग्रेस के दो दिग्गजों के बीच हाल ही में हुई बैठक ने एक युवा नेता के पेट में हलचल पैदा कर दी है, जो पार्टी में बदलाव के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, राजस्थान के सबसे बड़े नेता और राज्य पर नजर रखने वाले दिल्ली के एक सीनियर लीडर के बीच आधे घंटे की मुलाकात के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि सभी विरोधी आंदोलन जल्द ही धराशायी हो जाएंगे। हालांकि, मीटिंग में क्या हुआ, इसको लेकर अभी कोई डिटेल सामने नहीं आई है लेकिन राजस्थान के सीनियर लीडर पहले से कहीं ज्यादा आश्वस्त दिख रहे हैं। वहीं, युवा तुर्क इधर-उधर भागते नजर आ रहे हैं। आने वाले 30 दिनों में पता चल जाएगा कि 30 मिनट की बैठक में आखिर क्या रणनीति बनी।

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