सार

सियासी गलियारों में परदे के पीछे बहुत कुछ घटता है- ओपिनियन, साजिश, सत्ता का खेल और राजनीतिक क्षेत्र में आंतरिक तकरार। पेश है 'फ्रॉम द इंडिया गेट' का 27वां एपिसोड, जो आपके लिए लाया है पॉलिटिक्स की दुनिया के कुछ ऐसे ही चटपटे और मजेदार किस्से।

From The India Gate: सियासी गलियारों में परदे के पीछे बहुत कुछ होता है- ओपिनियन, साजिश, सत्ता का खेल और राजनीतिक क्षेत्र में आंतरिक तकरार। एशियानेट न्यूज का व्यापक नेटवर्क जमीनी स्तर पर देश भर में राजनीति और नौकरशाही की नब्ज टटोलता है। अंदरखाने कई बार ऐसी चीजें निकलकर आती हैं, जो वाकई बेहद रोचक और मजेदार होती हैं। पेश है 'फ्रॉम द इंडिया गेट' (From The India Gate) का 27वां एपिसोड, जो आपके लिए लाया है, सत्ता के गलियारों से कुछ ऐसे ही मजेदार और रोचक किस्से।

पूंजीवादी कॉमरेड..

इन दिनों केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के आगामी अमेरिकी दौरे की चर्चा काफी जोर-शोर से है। दरअसल, विजयन यहां केरल के प्रवासियों के सम्मेलन ‘लोक केरल सभा’ को संबोधित करने वाले हैं। हालांकि, कार्यक्रम से पहले ही 'कुर्सी' को लेकर विवाद छिड़ गया है। दरअसल, आरोप लग रहे हैं कि तीन दिन तक चलने वाले इस कार्यक्रम के दौरान सीएम पिनराई विजयन की कुर्सी के नजदीक बैठने या खड़े होने के लिए प्रवासियों से मोटी रकम वसूली जा रही है। इसके लिए तीन तरह के पास जारी किए गए हैं। इसमें गोल्ड पास की कीमत एक लाख डॉलर, सिल्वर की 50 हजार डॉलर और ब्रॉन्ज की 25 हजार डॉलर रखी गई है। खबर तो यहां तक है कि न्यूयॉर्क के मैनहट्टन में होने वाले इस सम्मेलन में पिनराई विजयन की कुर्सी के पास जगह पाने के लिए लोगों से 25 हजार से लेकर 1 लाख डॉलर तक वसूले जा रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर केरल में कामरेड्स विजयन के इस इवेंट को स्पॉन्सर करने और आर्थिक रूप से समर्थन देने के कदम को सही ठहरा रहे हैं। वैसे, अमेरिका में इस तरह पैसे उगाहने वाले आयोजन होना आम बात है, लेकिन सवाल इसलिए खड़े हो रहे हैं कि इस इवेंट का आकर्षण केंद्र एक कम्युनिस्ट नेता है, जो हर मिनट समाजवादी और सर्वहारा सिद्धांतों की कसम खाता है। बता दें कि इस इवेंट में मुख्यमंत्री के साथ कैबिनेट के प्रमुख सहयोगी भी होंगे। अब इंतजार है प्रायोजकों की लिस्ट आने का। सबसे बड़ी विडंबना यह है कि विजयन अपने अमेरिकी दौरे को क्यूबा की यात्रा के साथ भी जोड़ रहे हैं। क्यूबा में, विजयन और उनकी टीम सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र के बारे में अध्ययन करेगी। वैसे, पूंजीवाद और समाजवाद के बीच ये एक कठोर विरोधाभास की तरह है।

यथा राजा, तथा प्रजा..

प्रजा को अपने राजा का पूरी तरह अनुसरण करना चाहिए। लगता है कि केरल में लेफ्ट ट्रेड यूनियन के नेताजी ने इस पाठ को पूरी तरह आत्मसात कर लिया है। दरअसल, केरल में एक कम्युनिस्ट ट्रेड यूनियन नेता हाल ही में 50 लाख रुपये की मिनी कूपर कार खरीदने को लेकर चर्चा में हैं। जैसे ही, महंगी गाड़ी के साथ इन नेताजी की तस्वीर वायरल हुई, वे सोशल मीडिया पर लोगों के निशाने पर आ गए। चौतरफा छीछालेदर होने के बाद गरीब लोगों के इन नेताजी ने दावा किया कि ये लग्जरी कार उनकी पत्नी ने बैंक से लोन लेकर खरीदी है। लेकिन ट्रोलर्स हमेशा एक कॉमरेड को ट्रोल्स करते हैं कि उसके घरवालों ने क्यों और कैसे 50 लाख रुपये का मिनी कूपर खरीदी? वैसे, दिलचस्प बात ये है कि ये नई मिनी कूपर अब उनके गैराज में पहले से खड़ी लग्जरी कारों के बेड़े में शामिल हो जाएगी। कहा तो ये भी जा रहा है कि नेताजी ने हाल ही में अपने गैराज का विस्तार करने के लिए बगल में ही एक प्लॉट खरीदा था। अब, विडंबना ये है कि पार्टी ने अब तक उनसे औपचारिक रूप से स्पष्टीकरण नहीं मांगा है। हो सकता है कि पार्टी को किसी ऐसे कॉमरेड की तलाश हो, जिसने पहला पत्थर फेंकने का 'पाप' न किया हो।

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लेडी सिंघम..

तेलंगाना में खुद के होने का अहसास कराने के लिए जगनमोहन रेड्डी की बहन वाईएस शर्मिला की कोशिशें काफी साफ और मुखर हैं। ठीक उसी तरह, जैसे उन्होंने कुछ दिन पहले एक पुलिसवाले को थप्पड़ मारा था। हाल ही में शर्मिला की कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार से मिलने की अफवाहों ने कुछ इस तरह की संभावनाएं को बल दिया था कि शर्मिला की निगाहें अब तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद की कुर्सी पर टिकी हैं। कई लोगों को लगता है कि पीएससी के प्रश्न पत्रों के लीक होने के विरोध में एसआईटी ऑफिस पर धरना देने जैसे पल-पल के फैसलों के पीछे उनकी यही मंशा है। वैसे, कांग्रेस उन्हें तेलंगाना में एक पावर सेंटर के रूप में डेवलप तो करना चाहती है, लेकिन AICC को लगता है कि अभी इसके लिए उचित समय नहीं आया है। कांग्रेस चाहती है कि शर्मिला अपने पिता और यूनाईटेड आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाई एस राजशेखर रेड्डी की ख्याति का भरपूर फायदा उठाते हुए तेलंगाना में अपनी पार्टी का निर्माण करें। वैसे, 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद शर्मिला अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय करेंगी या नहीं, ये एक राजनीतिक मुद्दा बना हुआ है।

साहिब बीवी और गुलाम..

राजस्थान में दो सिविल सेवकों के बीच लव स्टोरी टूटने की कगार पर है। ऐसा कहा जाता है कि IPS अफसर की पत्नी ने अपने IFS अफसर पति को तलाक का नोटिस भिजवा दिया है। इससे उनके बैचमेट्स को गहरा झटका लगा है, जो उन्हें एक 'आइडियल ब्यूरोक्रेटिक कपल' के रूप में देखते थे। वैसे, इन दोनों ही अफसरों की तैनाती राज्स्थान के अलग-अलग जिलों में थी, लेकिन कहा जाता है कि उनके मुद्दे एक जैसे थे। महिला अफसर एक पावरफुल पर्सनैलिटी है, जिनकी छवि एक दबंग अधिकारी के तौर पर है। जबकि आईएफएस अफसर की पहचान एक सौम्य और सहयोगी व्यक्ति के तौर पर है। चर्चा तो ये भी है कि पति अलग नहीं होना चाहता, लेकिन पत्नी ने साफ कह दिया है कि पानी अब सिर से उपर जा चुका है। ये मामला अब सार्वजनिक हो चुका है, लेकिन कपल के अलग होने की असल वजह अब तक सामने नहीं आ पाई है।

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