अंग्रेजों के जमाने की इंजीनियरिंग का अद्भुत नमूना था मोरबी पुल, राम-लक्ष्मण झूला की तरह करता था काम

Published : Oct 31, 2022, 12:07 PM ISTUpdated : Oct 31, 2022, 12:12 PM IST
अंग्रेजों के जमाने की इंजीनियरिंग का अद्भुत नमूना था मोरबी पुल, राम-लक्ष्मण झूला की तरह करता था काम

सार

गुजरात के मोरबी में रविवार शाम को नदी में गिरा पुल अंग्रेजों के जमाने की इंजीनियरिंग का अद्भुत नमूना था। यह उत्तराखंड में स्थित राम-लक्ष्मण झूला की तरह हवा में झूलता था। मोरबी पुल 100 साल से भी अधिक पुराना था।

मोरबी। गुजरात के मोरबी में माच्छू नदी पर बना सस्पेंशन ब्रिज (Morbi suspension bridge) रविवार शाम को टूटकर नदी में गिर गया था। घटना के वक्त पुल पर 400-500 लोग मौजूद थे। हादसे की वजह पुल पर क्षमता के अधिक लोगों का चढ़ना बताया जा रहा है। हादसे में 134 लोगों की मौत हुई है।

मोरबी पुल 100 साल से भी अधिक पुराना था। यह अंग्रेजों के जमाने की इंजीनियरिंग का अद्भुत नमूना था। यह उत्तराखंड में गंगा नदी पर बने राम-लक्ष्मण झूला जैसा था और उसी की तरह हवा में झूलता भी था। दोनों पुल का निर्माण एक जैसे तरीके से हुआ है। बड़ी संख्या में पर्यटक इस पुल को देखने आते थे। 

1887 के आसपास हुआ था पुल का निर्माण
मोरबी पुल गुजरात के पर्यटन स्थलों में शामिल था। इसका निर्माण 1887 के आसपास हुआ था। पुल की समय-समय पर मरम्मत की जाती थी। मार्च 2022 के बाद से इसे मरम्मत के लिए बंद रखा गया था। 26 अक्टूबर को इसे खोला गया था। 1.25 मीटर चौड़ा और 230 मीटर लंबा यह पुल दरबारगढ़ पैलेस और लुखधीरजी इंजीनियरिंग कॉलेज को जोड़ता था। 

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मोरबी की पहचान था पुल
नदी में गिरा पुल मोरबी जिले की खास पहचान था। इस पुल का निर्माण मोरबी के पूर्व शासक सर लखधीराजी वाघजी ने यूरोप की सबसे अच्छी तकनीक के इस्तेमाल से कराया था। हादसे की जांच के लिए गुजरात सरकार ने एसआईटी का गठन किया है। सरकार ने मृतकों के परिवारों को चार-चार लाख रुपए और घायलों को 50-50 हजार रुपए मुआवजा देने की घोषणा की है। वहीं, प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से मृतकों के परिवार को दो-दो लाख रुपए और घायलों को 50-50 हजार रुपए की मदद देने की घोषणा की गई है।

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