सार
100 साल से भी अधिक पुराने मोरबी सस्पेंशन ब्रिज (Morbi suspension bridge) को मरम्मत के बाद फिर से खोला गया था। इसे फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं मिला था। बिना जांच किए कि पुल लोगों के लिए सुरक्षित है कि नहीं, उसे खोल दिया गया था।
मोरबी (गुजरात)। गुजरात के मोरबी में माच्छू नदी पर बने जिस सस्पेंशन ब्रिज के गिरने से 134 लोगों की मौत हुई उसे पांच दिन पहले ही मरम्मत के बाद फिर से खोला गया था। पुल लोगों के लिए सुरक्षित है इसकी जांच तक नहीं हुई थी और टिकट काटकर सैकड़ों लोगों को उसपर भेज दिया गया था।
हादसे के बाद जानकारी सामने आई है कि पुल को मरम्मत के बाद फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं मिला था। पुल की मरम्मत सात महीने तक चली थी। एक अधिकारी ने बताया कि पुल को नगर पालिका की ओर से फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं मिला था। इससे पहले ही निजी फर्म द्वारा उसे जनता के लिए खोल दिया गया। पुल 100 साल से भी ज्यादा पुराना था। रविवार शाम करीब छह बजे पुल लोगों से खचाखच भरा था तभी हादसा हो गया।
रिनोवेशन के बाद 26 अक्टूबर को खोला गया था पुल
मोरबी नगर पालिका के मुख्य अधिकारी संदीप सिंह जाला ने कहा कि पुल को संचालन और रखरखाव के लिए 15 साल के लिए ओरेवा कंपनी को दिया गया था। नवीनीकरण के चलते पुल को मार्च 2022 में जनता के लिए बंद कर दिया गया था। रिनोवेशन के बाद 26 अक्टूबर को गुजराती नव वर्ष दिवस पर पुल को खोल दिया गया था, लेकिन स्थानीय नगर पालिका की ओर से पुल के लिए फिटनेस सर्टिफिकेट जारी नहीं किया गया था।
यह भी पढ़ें- मोरबी हादसा : झूलते पुल के टूटने से BJP सांसद के 12 रिश्तेदारों की मौत, कहा- नहीं बख्शे जाएंगे लापरवाह
गौरतलब है कि 19वीं शताब्दी में बने मोरबी पुल को इंजीनियरिंग का चमत्कार कहा जाता था। 1922 तक मोरबी पर शासन करने वाले सर वाघजी ठाकोर ने पुल का निर्माण कराया था। दरबारगढ़ पैलेस को नजरबाग पैलेस से जोड़ने के लिए पुल बनाया गया था। 1.25 मीटर चौड़े पुल की लंबाई 233 मीटर थी।
यह भी पढ़ें- मौत का पुल: कहानी सैकड़ों जान लेने वाले मोरबी ब्रिज की, जानें सबसे पहले कब और किसने बनवाया था ये झूलता पुल