ग्लोबल वैक्सीन निर्माताओं के मनमाने शर्तों को भारत मानने को बाध्य नहीं, GoI की शर्तों पर ही होगी आपूर्ति

प्रियम गांधी की किताब A Ntion to Protect में विशेष रूप से मनसुख मंडाविया का भी जिक्र है। कोविड की दूसरी लहर के दौरान मनसुख मंडाविया के भूमिका का भी जिक्र किया गया है। 

नई दिल्ली। दुनिया के शीर्ष वैक्सीन निर्माताओं (top global manufacturers) की आब्जेक्शनल नियम व शर्तों (Objectional terms and conditions) को भारत सरकार (GoI) ने स्वीकार करने से इनकर कर दिया है। ये वैक्सीन कंपनियां अपनी आपत्तिजनक शर्तों को मनवाना चाहती थीं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ.मनसुख मंडाविया (Dr.Mansukh Mandaviya) ने कहा कि वैक्सीन के वैश्विक आपूर्तिकर्ता कंपनियों की मनमानी स्वीकार करने के लिए देश की सरकार बाध्य नहीं होगी।

किताब का विमोचन करने पहुंचे थे स्वास्थ्य मंत्री

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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ.मंडाविया शुक्रवार को प्रियम गांधी मोदी (Priyam Gandhi Modi) द्वारा लिखित ए नेशन टू प्रोटेक्ट (A Nation to Protect) नामक पुस्तक का विमोचन करने पहुंचे थे। किताब का विमोचन करने के बाद भारत में कोविड वैक्सीन आपूर्ति (Covid vaccine supply) के बारे में भी बातचीत की है। 

पुस्तक के विमोचन के अवसर पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हमने उन्हें भारत में व्यापार करने के लिए कहा था लेकिन भारत के नियमों और शर्तों पर। हमने अनुबंध में देयता छूट और अन्य आपत्तिजनक शर्तों को स्पष्ट रूप से अस्वीकार कर दिया है। वे संप्रभु गारंटी छूट भी चाहते थे। पीएम मोदी ने वैक्सीन निर्माता कंपनियों का दौरा किया, वैज्ञानिकों और निर्माताओं को प्रेरित किया। हमने नौ महीने में देश में मेक इन इंडिया वैक्सीन लॉन्च (Make in India Vaccine) की।

हम अपनी धरती पर वैक्सीन निर्माण के लिए आमंत्रित करते

नीति आयोग (NITI Ayog) के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ वी के पॉल ने कहा कि हमने हमेशा अन्य वैक्सीन निर्माताओं को अपनी धरती पर टीके विकसित करने और निर्माण करने के लिए हमारे साथ हाथ मिलाने के लिए आमंत्रित किया। हम हमेशा से यह संदेश देते रहे हैं। लेकिन उनकी शर्तें देयता छूट और संप्रभु प्रतिरक्षा छूट पर थीं जिन्हें सरकार ने स्वीकार नहीं किया था, और इसलिए बातचीत कभी भी शुरू नहीं हो सकी। उस समय तक हमारे पास टीकों की अपनी उदार आपूर्ति थी।

प्रियम गांधी की तीसरी किताब है ए नेशन टू प्रोटेक्ट

ए नेशन टू प्रोटेक्ट, प्रियम गांधी मोदी की तीसरी किताब है। उन्होंने कहा कि देश ने COVID महामारी के खिलाफ अच्छी तरह से लड़ाई लड़ी। पुस्तक पिछले दो वर्षों में COVID-19 के खिलाफ भारत की लड़ाई में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व पर प्रकाश डालती है।

किताब में मनसुख मंडाविया का भी जिक्र

प्रियम गांधी की किताब में विशेष रूप से मनसुख मंडाविया का भी जिक्र है। कोविड की दूसरी लहर के दौरान मनसुख मंडाविया के भूमिका का भी जिक्र किया गया है। COVID-19 की दूसरी लहर के दौरान रसायन और उर्वरक मंत्री के रूप में डॉ.मनसुख मंडाविया ने बहुत अहम भूमिका निभाई थी, जब भारत आवश्यक दवाओं और रेमेडिसविर की आपूर्ति से जूझ रहा था।

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