SC ने कृषि कानूनों पर रोक लगाई, बातचीत के लिए 4 सदस्यों की कमेटी बनाई, 2 महीने में सौंपेगी रिपोर्ट

कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन जारी है। इसी बीच मंगलवार को लगातार दूसरे दिन कृषि कानूनों को रद्द करने और किसान आंदोलन से जुड़ीं याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि हम इस मुद्दे को हल करने के लिए कमेटी बनाने जा रहे हैं। 

नई दिल्ली. कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन जारी है। इसी बीच मंगलवार को लगातार दूसरे दिन कृषि कानूनों को रद्द करने और किसान आंदोलन से जुड़ीं याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान चीफ जस्टिस एसए बोबडे की बेंच ने कृषि कानूनों के अमल पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। इसी के साथ किसानों के मुद्दे को हल करने के लिए चार सदस्यों की कमेटी बनाई है। इसमें तेजिंदर सिंह मान, अशोक गुलाटी समेत चार लोग शामिल हैं।

कमेटी में ये चार लोग शामिल 

Latest Videos

1. जितेंद्र सिंह मान (प्रेसिडेंट, भारतीय किसान यूनियन)
2. डॉ. प्रमोद कुमार जोशी (इंटरनेशनल पॉलिसी हेड) 
3. अशोक गुलाटी (एग्रीकल्चर इकोनॉमिस्ट)
4. अनिल धनवत (शेतकरी संगठन, महाराष्ट्र)

जो हल चाहता है वो कमेटी के पास जाएगा- चीफ जस्टिस
इससे पहले चीफ जस्टिस ने कहा, हम इस मुद्दे को हल करने के लिए कमेटी बनाने जा रहे हैं। हम यह नहीं सुनना चाहते कि किसान कमेटी के पास नहीं जाएंगे। हम इस मामले को हल करना चाहते हैं। अगर किसान भी इस पर हल चाहते हैं तो वे यह नहीं कह सकते कि कमेटी के पास नहीं जाएंगे। 

ये भी पढ़ें : ये कैसा पाखंडः कृषि बिलों के विरोधी कांग्रेस से पवार तक कभी इन्हें बता चुके हैं किसान हितैषी, ये रहा सबूत

हम कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगाएंगे- चीफ जस्टिस

एसए बोबडे और जस्टिस एएस बोपन्ना और वी रामासुब्रमण्यन की बेंच ने तीन कृषि कानून, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम 2020 के किसानों (सशक्तीकरण और संरक्षण) समझौता, किसान व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम और उत्पादन आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन पर अगले आदेश तक रोक लगाई।


किसान कमेटी के सामने नहीं जाएंगे- याचिकाकर्ता

कृषि कानूनों के खिलाफ याचिका लगाने वाले वकील एम एल शर्मा-  किसान किसी कमेटी के सामने नहीं जाना चाहते। सिर्फ कानूनों को रद्द करवाना चाहते हैं। किसानों को कॉरपोरेट हाथों में छोड़ देने की तैयारी। किसानों की जमीन छीन ली जाएगी। 
चीफ जस्टिस - हम अंतरिम आदेश में कहेंगे कि जमीन को लेकर कोई कांट्रेक्ट नहीं होगा। 


हम पीएम से नहीं कहेंगे वे बैठक में आएं- सुप्रीम कोर्ट

एम एल शर्मा- किसान यह भी कह रहे हैं कि सब आ रहे हैं, पीएम बैठक में क्यों नहीं आते।
चीफ जस्टिस-  हम प्रधानमंत्री से इस बारे में नहीं कह सकते क्योंकि वह इस मामले में पक्षकार नहीं हैं। वहीं, सॉलिसीटर जनरल ने कहा, कृषि मंत्री बात कर रहे हैं। उनका विभाग है। 

ये भी पढ़ें :  कृषि कानून ही नहीं, मोदी सरकार की इन 5 योजनाओं की भी हुई थी आलोचना, जो करोड़ों लोगों को पहुंचा रहीं मदद


हमारे सामने कानून की वैधता का सवाल- सुप्रीम कोर्ट

एम एल शर्मा- किसान कल मरने की बजाय आज मरने को तैयार हैं।
चीफ जस्टिस - हम इसे जीवन-मौत के मामले की तरह नहीं देख रहे। हमारे सामने कानून की वैधता का सवाल है। कानूनों के अमल को स्थगित रखना हमारे हाथ में है। लोग बाकी मसले कमेटी के सामने उठा सकते हैं।



कोर्ट सिर्फ सकारात्मकता को शह दे रहा- चीफ जस्टिस
किसान आंदोलन के खिलाफ लगाई गई याचिका पर वकील हरीश साल्वे ने कहा, आंदोलन में वैंकूवर के संगठन सिख फॉर जस्टिस के बैनर भी लहरा रहे हैं। यह संगठन अलग खालिस्तान चाहता है। कोर्ट की कार्रवाई से यह संकेत नहीं जाना चाहिए कि गलत लोगों को शह दी गई है।

चीफ जस्टिस ने कहा, हम सिर्फ सकारात्मकता को शह दे रहे हैं। 

ये भी पढ़ें : वाह रे कांग्रेसः सोनिया-राहुल चाहते थे किसानों का भला करने जल्द लाया जाए कृषि कानून, अब उसी का कर रहे विरोध


भारतीय किसान यूनियन-भानू के वकील एपी सिंह ने कहा, किसानों ने कहा है कि वे बुजुर्गों, महिलाओं, बच्चों को वापस भेजने को तैयार हैं।

चीफ जस्टिस: हम रिकॉर्ड में लेकर इस बात की तारीफ करना चाहते हैं।

ये भी पढ़ें :   कुछ लोग किसानों को बदनाम कर राजनीति चमका रहे हैं..पीएम ने कहा- किसानों के विश्वास पर कोई आंच नहीं आएगी


सोमवार को सुनवाई में क्या क्या हुआ था
 

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को लगाई थी फटकार 

- चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा था, अगर केंद्र सरकार कृषि कानूनों को लागू करने पर रोक नहीं लगाना चाहती तो हम इन पर रोक लगाएंगे। सरकार जिस तरह से इस मामले में डील कर रही है, उससे हम निराश हैं।
- चीफ जस्टिस - हमें नहीं पता कि सरकार की किसानों से क्या बातचीत चल रही है। क्या कृषि कानून कुछ समय के लिए रोके नहीं जा सकते? कुछ लोग आत्महत्या कर चुके हैं। बुजुर्ग और महिलाएं आंदोलन में शामिल हैं। आखिर चल क्या रहा है? कृषि कानूनों को अच्छा बताने वाली एक भी अर्जी नहीं आई।
- हम कानूनों को असंवैधानिक करार नहीं दे रहे। हम बस उसके अमल पर रोक की बात कर रहे हैं। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि आप मसला सुलझाने में नाकाम रहे। - सरकार को जिम्मेदारी लेनी होगी। कानूनों की वजह से आंदोलन हुआ और आंदोलन अब आपको खत्म कराना है।


ये भी पढ़ें : सोनिया ने मोदी सरकार को याद दिलाया 'राजधर्म', बोलीं- 50 किसानों की जान गई, बिना शर्त वापस लें कानून

​​​​​​​ये भी पढ़ें :  सरकार और किसानों के बीच हर बार बातचीत क्यों हो रही फेल? इन बातों को समझने से ही बनेगी बात


किसानों से कही थीं ये बातें

- हमें आशंका है कि किसी दिन वहां हिंसा भड़क सकती है। आंदोलन वैसे ही चले जैसे गांधी जी सत्याग्रह करते थे।
- लोग आत्महत्या कर रहे हैं। वे ठंड से जूझ रहे हैं। उनके खानपान का ध्यान कौन रख रहा है? बुजुर्ग लोग और महिलाएं सड़कों पर हैं। बुजुर्गों को किसान आंदोलन में क्यों शामिल किया गया है? हालांकि, ये एक अलग मुद्दा है।
- अगर कुछ गलत हुआ तो हम सभी जिम्मेदार होंगे। हम नहीं चाहते कि किसी तरह के खूनखराबे का कलंक हम पर लगे। केंद्र सरकार को पूरी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। आप कानून ला रहे हैं, इसलिए आप ही बेहतर समझते हैं। 
- मुझे किसानों से यह कहने दीजिए कि देश के चीफ जस्टिस चाहते हैं कि प्रदर्शनकारी किसान अपने घर लौट जाएं। 
 

Share this article
click me!

Latest Videos

Arvind Kejriwal की Sanjeevani Yojana और Mahila Samman Yojana पर Notice जारी, क्या है मामला
LIVE🔴: केसी वेणुगोपाल, जयराम रमेश और पवन खेड़ा द्वारा प्रेस वार्ता
Delhi CM Atishi होंगी गिरफ्तार! Kejriwal ने बहुत बड़ी साजिश का किया खुलासा । Delhi Election 2025
Delhi Election 2025 से पहले आम आदमी पार्टी के खिलाफ कांग्रेस ने खोला मोर्चा, शीशमहल पर भी उठाए सवाल
ऐसा क्या बोले राजनाथ सिंह सभा में लगने लगे 'योगी बाबा' के नारे #Shorts #rajnathsingh