IIT-Madras के शिक्षक ने पीएम को लिखा पत्र, जातिगत भेदभाव के चलते करेंगे भूख हड़ताल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे एक खुले पत्र में वीटिल ने लिखा कि एनसीबीसी को आईआईटी मद्रास में एससी/ एसटी/ओबीसी संकाय के लिए चल रहे विशेष भर्ती अभियान की गड़बड़ी की भी जांच करनी चाहिए। 

Asianet News Hindi | Published : Feb 5, 2022 8:27 PM IST

नई दिल्ली। आईआईटी-मद्रास (IIT-Madras) के पूर्व शिक्षक विपिन पी वीटिल ने कहा है कि अगर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) स्वतंत्र रूप से उस जातिगत भेदभाव की जांच नहीं करता है, जिसका उन्होंने संस्थान में कथित तौर पर सामना किया था तो वह 24 फरवरी से भूख हड़ताल पर चले जाएंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) को लिखे एक खुले पत्र में वीटिल ने लिखा कि एनसीबीसी को आईआईटी मद्रास में एससी/ एसटी/ओबीसी संकाय के लिए चल रहे विशेष भर्ती अभियान की गड़बड़ी की भी जांच करनी चाहिए। पीएम को लिखे पत्र में वीटिल ने IIT-मद्रास के ब्राह्मण संकाय सदस्यों और मुख्य रूप से ब्राह्मण प्रशासन पर जाति भेदभाव और उत्पीड़न का आरोप लगाया। वीटिल आईआईटी-एम के मानविकी और सामाजिक विज्ञान विभाग में सहायक प्रोफेसर थे। वह अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी से संबंधित हैं।

शिकायत के बाद किया गया परेशान
पीएम को संबोधित पत्र में वीटिल ने लिखा कि उन्होंने संस्थान में उत्पीड़न का सामना किया था। 2021 में एनसीबीसी में शिकायत दर्ज कराने के बाद से उन्हें परेशान किया जा रहा है। जबकि एनसीबीसी ने आईआईटी-मद्रास को एक जांच करने के लिए कहा है। वीटिल ने आरोप लगाया है कि उन्हें अक्टूबर 2021 से उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है। अक्टूबर 2021 में जांच समाप्त होने के बादे से आईआईटी-मद्रास के तत्कालीन निदेशक और मानविकी और सामाजिक विज्ञान विभाग के प्रमुख ने लगातार परेशान किया। 

पत्र में कहा गया है कि उन्होंने सभी शिकायत निवारण तंत्र को समाप्त कर दिया है। "मेरे पास हमारे गणतंत्र के लोगों की अंतरात्मा को पुकारने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।" बता दें कि वीटिल ने जून 2021 में मानविकी और सामाजिक विज्ञान विभाग के साथी संकाय सदस्यों पर जातिगत भेदभाव का आरोप लगाते हुए आईआईटी-मद्रास छोड़ दिया था।

उन्होंने अपनी याचिका में लिखा, "यह पत्र विभाग में मेरे द्वारा सामना किए गए सभी भेदभाव या संस्थान में हमारे जीवन को नियंत्रित और आकार देने वाली जाति की गतिशीलता को नहीं दर्शाता है। ये उम्मीद है कि जांच के दौरान हमारी बातचीत के दौरान सामने आएंगे।" बता दें कि 2015 में संस्थान के छात्रों के एक वर्ग ने प्रबंधन पर जातिगत भेदभाव का आरोप लगाया था। बाद में अंबेडकर पेरियार स्टडी सर्कल (एपीएससी) ने मान्यता रद्द कर दी थी। APSC अब IIT-मद्रास में एक स्वतंत्र छात्र निकाय के रूप में कार्य करता है।

 

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