पहली बार भारत में बने तोप से दी गई सलामी, 48KM तक मार करता है यह स्वदेशी हॉवित्जर

देश अपनी आजादी का 75वां वर्षगांठ मना रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले पर तिरंगा झंडा फहराया। आज पहली बार स्वदेशी तोप से 21 तोपों की सलामी दी गई।

Asianet News Hindi | Published : Aug 15, 2022 1:05 AM IST / Updated: Aug 15 2022, 01:12 PM IST

नई दिल्ली। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) लाल किले (Red Fort) पर तिरंगा झंडा फहराया। इस दौरान 21 तोपों की सलामी दी गई। पहली बार स्वदेशी तोप से सलामी दी गई। इसके लिए DRDO द्वारा बनाए गए स्वदेशी हॉवित्जर गन का इस्तेमाल हुआ। इसे ATAGS (Advanced Towed Artillery Gun System) कहा जाता है। 

48KM है रेंज
DRDO द्वारा बनाए गए इस तोप की गिनती दुनिया की सबसे लंबी दूरी तक मार करने वाली तोपों में होती है। इसका रेंज 48 किलोमीटर है। माइनस 30 डिग्री की ठंड हो या 75 डिग्री की गर्मी, यह हर मौसम में काम करता है। चीन से लगी एलएसी से लेकर राजस्थान के रेतीले मैदान तक इस तोप का इस्तेमाल किया जा सकता है। यह 155 एमएम कैलिबर की तोप है। इससे 155 एमएम के गोले दागे जा सकते हैं। 

हर मिनट 5 गोले दागता है यह तोप
डीआरडीओ द्वारा बनाया गया यह तोप हर मिनट 5 गोले दाग सकता है। दिन हो या रात, यह हर वक्त काम करता है। रात में निशाना लगाने के लिए तोप में थर्मल साइट सिस्टम दिया गया है। इसके बैरल की लंबाई 8060 मिलीमीटर है। हल्के वजन के चलते इसे ऊंचे रणक्षेत्र में तैनात किया जा सकता है।

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ब्लैंक गोले होंगे फायर
15 अगस्त के कार्यक्रम में सलामी के दौरान तोप से ब्लैंक गोले फायर किए जाते हैं। इन गोलों में सिर्फ बारूद होता है कोई प्रोजेक्टाइल नहीं होता। गोले दागने पर सिर्फ धमाके होते हैं। एक गोले का वजन 11.5 किलो होता है। पिछले 74 सालों से 15 अगस्त के कार्यक्रम में ब्रिटेन में बनी तोपों का इस्तेमाल होता था। केंद्र सरकार मेड इन इंडिया को बढ़ावा दे रही है। इसलिए लाल किले पर देश में बने तोपों से सलामी देने का फैसला किया गया है।

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