देश सेवा का जज्बा, सीमा पर तैनात होना चाहते हैं सेना के रिटायर्ड जवान, राष्ट्रपति को लिखा पत्र

रिटायर्ड जवानों ने प्रधानमंत्री की तारीफ करते हुए कहा कि देश के पीएम ने खुद लेह जाकर सैनिकों का हौसला बढ़ाया है। उनका मनोबल भी बढ़ाया है। इसलिए, रिटायर्ड अफसरों का कहना है कि वो भी राष्ट्रसेवा के लिए ग्राउंड ड्यूटी से लेकर सीमा पर सेवा देने के लिए तैयार हैं।

Asianet News Hindi | Published : Jul 5, 2020 1:34 AM IST

भोपाल. भारत-चीन के बीच बढ़ते विवाद ने देश की जनता के साथ-साथ सेना के रिटायर्ड सैनिकों की भी चिंता बढ़ा दी है। इसी वजह से रिटायर्ड सैनिक सेना की मदद के लिए आगे आ रहे हैं। आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के 20 से ज्यादा रिटायर्ड अधिकारियों ने इंदौर की रेसीडेंसी कोठी पर सांसद शंकर लालवानी से मुलाकात कर एक पत्र तीनों सेनाओं के प्रमुख राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नाम से उन्हें सौंपा है। इस पत्र में उन्होंने लिखा है कि भारत-चीन सीमा पर तैनात सेना की किसी भी तरह की मदद के लिए वो तैयार हैं। सरकार अगर चाहे तो उन्हें बॉर्डर पर भी तैनात कर सकती है।  

इतना ही नहीं रिटायर्ड जवानों ने प्रधानमंत्री की तारीफ करते हुए कहा कि देश के पीएम ने खुद लेह जाकर सैनिकों का हौसला बढ़ाया है। उनका मनोबल भी बढ़ाया है। इसलिए, रिटायर्ड अफसरों का कहना है कि वो भी राष्ट्रसेवा के लिए ग्राउंड ड्यूटी से लेकर सीमा पर सेवा देने के लिए तैयार हैं।

ड्यूटी के लिए खुशी-खुशी तैयार हैं रिटायर्ड अधिकारी 

बीएसएफ के रिटायर्ड अफसर ब्रिगेडियर अजय जैन ने मीडिया से बातचीत में बताया कि देश की 11 सशस्त्र सेनाएं होती हैं, जिनमें आर्मी, नेवी, एयरफोर्स, बीएसएफ, आईटीबीपी, सीआरपीएफ, सीआईएसएफ, असम राइफल, और कोस्ट गार्ड शामिल हैं। इनके रिटायर अधिकारियों से चर्चा की है कि ऐसे हालात में हम लोगों को क्या मदद करनी चाहिए। इस पर सबका कहना है कि 1971 के वार मे भी पूर्व सैनिकों ने ग्राउंड ड्यूटी की थी। इसके जवाब में रिटायर्ड अफसरों ने कहा कि वो भी इस बार ड्यूटी के लिए खुशी-खुशी तैयार हैं। 

इसके लिए एक फॉर्म बनाया गया है, जिसमें सबकी विलिंगनेस लेकर साइन करवा लिए गए हैं, और पूर्व अधिकारियों ने पत्र के माध्यम से देश के सर्वोच्च सेना पति महामहिम राष्ट्रपति को सांसद शंकर लालवानी के जरिए संदेश भिजवाया है।

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नेवी भी सेवा देने के लिए तैयार 

वहीं, नेवी से रिटायर फ्लाइट इंजीनियर एस.एल.शर्मा का कहना है कि चाइना जबरदस्ती हमारी टेरेटरी पर कब्जा करने कोशिश कर रहा है। हिन्द महासागर और प्रशांत महासागर में चाइना एक्टिव हो रहा है। ऐसे में नेवी के लोग भी अपनी सेवाएं देने के लिए तैयार हैं। उनका कहना है कि नेवी के जो लोग होते है वो टेक्निकल होते हैं। कोई अंडर वाटर प्लोटर है तो कोई गनर है। कोई हवाई जहाज का इंजीनियर है तो कोई ऑर्डिनेस का इंजीनियर है। सरकार को जहां जरूरत हो वो लोगों का उपयोग करें। उन्होंने राष्ट्रपति से निवेदन किया है कि उनकी भावनाओं का कद्र करते हुए रिटायर्ड लोगों की तैनाती की जाए। 

सांसद पत्र को लेकर गिया आश्वासन 

सांसद शंकर लालवानी का कहना है कि बीते दो महीने से एलएसी पर पड़ोसी देश चीन लगातार नाक में दम किए हुए है। कभी पेंगांग झील पर तो कभी सिक्किम में चीनी सैनिक जबरन घुसपैठ करने की अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। बातचीत से तनाव कम करने का ढोंग रचाने वाले चीन ने अचानक 15 जून को गलवान घाटी में यही हरकत करने की कोशिश की। हालांकि, सांसद का कहना है कि भारत अपनी सीमा की रक्षा के लिए सक्षम है। लेकिन, रिटायर्ड सैनिकों की ये पहल वाकई हौसला बढ़ाने वाली है।

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