हमारे देश को तोड़ा जा रहा है। पिछले दिनों देश के कई हिस्सों में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया, तमाम इमारतों को भी तोड़ा गया। देश में इन व्यवधानों और तबाहियों को देखते हुए, एक बार फिर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप करने का महत्व सामने आया है।
हमारे देश को तोड़ा जा रहा है। पिछले दिनों देश के कई हिस्सों में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया, तमाम इमारतों को भी तोड़ा गया। देश में इन व्यवधानों और तबाहियों को देखते हुए, एक बार फिर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप करने का महत्व सामने आया है। हमें अपने देश का दोबारा निर्माण शुरू करना चाहिए और यह बुनियादी सुविधाओं के साथ होना चाहिए।
इसके अलावा, आर्थिक मंदी को देखते हुए इंफ्रास्ट्रक्चर में डेवलपमेंट आर्थिक वृद्धि, विकास और खपत बढ़ाने के लिए अहम भूमिका निभा सकता है। सरकार को हमेशा ही इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर की क्षमताओं का एहसास रहा है। हाल ही के बजट में हमने देका कि सरकार ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर में 1.70 लाख करोड़ रुपए लगाने की योजना है। इससे हाईवे कंस्ट्रक्शन के कामों को तेजी दी जाएगी।
अगर हम आर्थिक सर्वे 2017-18 को देखें तो इसमें साफ तौर पर कहा गया है कि बुनियादी ढांचे, विशेष रूप से परिवहन, ऊर्जा, संचार, आवास और स्वच्छता और शहरी बुनियादी ढांचा क्षेत्र पर और अधिक निवेश होना चाहिए। यहां तक कि ग्लोबल इन्फ्रास्ट्रक्चर आउटलुक ने भी कहा है कि मांग में वृद्धि होगी और समृद्धि से अगले 25 सालों में इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में निवेश की मांग बढ़ेगी। यह अनुमान है कि भारत को इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट और 2040 तक देश की आर्थिक वृद्धि और समृद्धि बढ़ाने के लिए करीब 4.5 ट्रिलियन डॉलर निवेश की जरूरत है। हालांकि, हम मौजूदा ट्रेंड देखें तो भारत में 4.5 ट्रिलियन डॉलर की तुलना में हर साल 3.9 ट्रिलियन डॉलर ही निवेश की संभावनाएं हैं।
हम सबको पता है कि रोड और हाईवे के विकास से व्यापार और वाणिज्य में काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इससे देश का आर्थिक विकास होगा। हमारे देश के लिए जरूरी सड़कों का निर्माण करें तो NHAI के पास आवश्यक रूप से धन की कमी होगी। इसलिए तय समय में इन सड़कों का काम पूरा करने के लिए NHAI को और फंड की जरूरत होगी। तो, इस मामले में एकमात्र विकल्प है कि पहले से जारी प्रोजेक्ट के लिए फंडिंग हो, जिससे NHAI इस क्षेत्र में प्राइवेट निवेशकों का ध्या आकर्षित कर सकें।
पिछले साल दिसंबर में भारत सरकार ने NHAI को इन्फ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट ट्रस्ट बनाने के लिए निर्देश दिए थे, जिससे सभी नेशनल हाईवे के प्रोजेक्ट पूरे हो सकें। ये इंवेस्टमेंट म्यूचुअल फंड्स की तरह काम करेंगे, जहां निवेशक अपनी छोटी सी राशि को भी जमा कर सकें और इससे नकदी प्रवाह को भी मदद मिलेगी। इस कदम से NHAI को उन सभी राजमार्गों को पूरा करेगी, जिनके पास एक साल के लिए टोल हैं और NHAI को टोल वसूलने का अधिकार है। इस इंवेस्टमेंट से, हम और अधिक निवेशकों को आकर्षित कर सकते हैं। वे 20 से 30 सालों तक के लिए एक पूंजी निवेश कर सकते हैं, इससे उन्हें आगे लाभ भी होगा।
यह कदम खुदरा घरेलू बचत और विशेष संस्थानों जैसे म्युचुअल फंड, पीएफआरडीए, आदि को इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में निवेश के लिए प्रेरित करेगा। हम सभी जानते हैं कि सड़क और राजमार्ग एक अर्थव्यवस्था के लिए एक जीवन रेखा के रूप में कार्य करते हैं। यह कदम निश्चित रूप से हाईवे के नेटवर्क को बढ़ाएगा और देश के हर हिस्से तक विश्वस्तरीय हाईवे पहुंचेंगे।
इस तरह के विमुद्रीकरण से देश को तेज गति से विकसित होने में मदद मिलेगी। इसमें फंड को लेकर आने वालीं बाधाएं दूर हो जाएंगी। इस प्रकार से विकास परियोजनाओं में निजी निवेशकों को आकर्षित करने से आर्थिक गति के लिए निवेश में होने वाली कमी को भी पूरा किया जा सकता है।
कौन हैं अभिनव खरे?
अभिनव खरे एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ हैं, वह डेली शो 'डीप डाइव विद अभिनव खरे' के होस्ट भी हैं। इस शो में वह अपने दर्शकों से सीधे रूबरू होते हैं। वह किताबें पढ़ने के शौकीन हैं। उनके पास किताबों और गैजेट्स का एक बड़ा कलेक्शन है। बहुत कम उम्र में दुनिया भर के 100 से भी ज्यादा शहरों की यात्रा कर चुके अभिनव टेक्नोलॉजी की गहरी समझ रखते है। वह टेक इंटरप्रेन्योर हैं लेकिन प्राचीन भारत की नीतियों, टेक्नोलॉजी, अर्थव्यवस्था और फिलॉसफी जैसे विषयों में चर्चा और शोध को लेकर उत्साहित रहते हैं। उन्हें प्राचीन भारत और उसकी नीतियों पर चर्चा करना पसंद है इसलिए वह एशियानेट पर भगवद् गीता के उपदेशों को लेकर एक सफल डेली शो कर चुके हैं।
मलयालम, अंग्रेजी, कन्नड़, तेलुगू, तमिल, बांग्ला और हिंदी भाषाओं में प्रासारित एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ अभिनव ने अपनी पढ़ाई विदेश में की हैं। उन्होंने स्विटजरलैंड के शहर ज्यूरिख सिटी की यूनिवर्सिटी ETH से मास्टर ऑफ साइंस में इंजीनियरिंग की है। इसके अलावा लंदन बिजनेस स्कूल से फाइनेंस में एमबीए (MBA) भी किया है।