भारत के 'डीपवॉटर' में बढ़ी वैश्विक ऊर्जा कंपनियों की दिलचस्पी, केंद्र की सकारात्मक नीतियां बनीं मददगार

भारत में तेल और प्राकृतिक गैस की खाेज के लिए सरकार ने अनुकूल वातावरण तैयार करने पर फोकस किया है। यही वजह है कि दुनियाभर की ऊर्जा कंपनियां भारत में डीपवॉटर एक्सप्लोरेशन में रुचि दिखा रही हैं। मैकेंजी की रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है।

 

Ganesh Mishra | Published : Feb 17, 2023 4:30 PM IST / Updated: Feb 17 2023, 10:06 PM IST

नई दिल्ली। एक तरफ जब दुनिया तेल और गैस की कीमतों में बढ़ोतरी के साथ वैश्विक ऊर्जा संकट का सामना कर रही है, तो वहीं दूसरी ओर दुनियाभर में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक भारत जीवाश्म ईंधन पर अपनी आयात निर्भरता को कम करने पर फोकस कर रहा है। वर्तमान में भारत अपनी तेल जरूरतों का 85 प्रतिशत आयात करता है। लेकिन भारत सरकार का लक्ष्य है कि वो भविष्य में आयातित कच्चे तेल पर अपनी निर्भरता 10 प्रतिशत तक कम करे। यही वजह है कि भारत अब तेल और प्राकृतिक गैस के उत्पादन को बढ़ावा देने की दिशा में काम कर रहा है। भारत में इसके लिए अनुकूल माहौल को देखते हुए वैश्विक ऊर्जा कंपनियों की दिलचस्पी अब यहां के 'डीपवॉटर एक्सप्लोरेशन' में बढ़ती जा रही है।

कई कंपनियां भारत की 'डीपवॉटर अपॉर्च्यूनिटीज' के लिए उत्सुक :

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महंगे एलएनजी (Liquefied Natural Gas) आयात पर निर्भरता कम करने के लिए मोदी सरकार सस्ती, टिकाऊ और सुरक्षित ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए नए आईओसी निवेश को आकर्षित करने पर फोकस कर रही है। सरकार ने घरेलू तेल और गैस की खोज को प्रतिस्पर्धी और सुलभ बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण सुधार भी किए हैं। ग्लोबल रिसर्च एंड कंसलटेंसी ऑर्गेनाइजेशन मैकेंजी (Mackenzie) की रिपोर्ट के मुताबिक, कई मल्टीनेशनल ऊर्जा कंपनियां भारत में मौजूद 'डीपवॉटर अपॉर्च्यूनिटीज' का फायदा उठाने के लिए उत्सुक दिख रही हैं।

 

डीपवॉटर एक्सप्लोरेशन के लिए मोदी सरकार के प्रयासों की तारीफ :

वुड मैकेंजी ने अपनी जनवरी 2023 की रिपोर्ट 'व्हाई आर द मेजर्स इन इंटरेस्ट इन डीपवाटर इंडिया?' में लिखा है- डीपवॉटर एक्सप्लोरेशन (पानी के अंदर खोज) के जरिए तेल और प्राकृतिक गैस की खोज को प्रतिस्पर्धी और सुलभ बनाने के लिए मोदी सरकार द्वारा किए गए उपाय वाकई प्रशंसनीय हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजारों की खुफिया रिपोर्ट देने वाली कंसल्टेंसी मैकेंजी ने कहा है कि उर्जा सेक्टर के दिग्गज एक्सॉनमोबिल, टोटल और शेवरॉन जैसे कंपनियां राज्य के स्वामित्व वाले तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) के साथ मिलकर डीपवॉटर अपॉर्च्यूनिटीज' तलाश रहे हैं।

डीपवॉटर एक्सप्लोरेशन के लिए आकर्षक जगह बना भारत :

मैकेंजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के विशाल ऊर्जा बाजार में और भी कई आकर्षण हैं। यह केवल स्केल और ग्रोथ तक ही सीमित नहीं है। रिपोर्ट में तेल की बड़ी कंपनियों के लिए उनकी रुचि के महत्वपूर्ण क्षेत्रों का भी उल्लेख किया गया है, जो भारत को डीपवॉटर एक्सप्लोरेशन के लिए एक आकर्षक जगह बनाता है। इसमें नए क्षेत्र तक पहुंच, नियामक संवर्द्धन, गैस प्राइसिंग और मार्केटिंग फ्रीडम भी शामिल है।

भारत सरकार टिकाऊ ऊर्जा आपूर्ति के लिए कर रही काम :

भारत में तेल और प्राकृतिक गैस खोजने में तमाम विदेशी कंपनियों की रुचि क्यों बढ़ रही है? इस विषय से जुड़े तमाम सवालों की लिस्टिंग करते हुए मैकेंजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है- ज्यादातर डीपवॉटर एरिया जो कि प्रतिबंधित थे, वो अब 2022 में खोजकर्ताओं के लिए सुलभ हो गए हैं। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि राजकोषीय और विनियामक संवर्धन के साथ भारत सरकार सस्ती और टिकाऊ ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए ज्यादा से ज्यादा ऑफशोर एक्सप्लोरेशन को बढ़ावा दे रही है।

पर्यावरण अप्रूवल को गति देने के लिए शुरू किया 'परिवेश' :

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2016 में हाइड्रोकार्बन अन्वेषण और लाइसेंसिंग नीति (HELP) ने इस क्षेत्र में इंट्रेस्ट को एक बार फिर जिंदा कर दिया। 2019 में फ्रंटियर ब्लॉक की शर्तों को और बढ़ाया गया, जिससे ऑस्ट्रेलिया और चीन की तुलना में एशिया-प्रशांत क्षेत्र प्रतिस्पर्धी बन गया। वुड मैकेंजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि अन्य नियामक सुधारों में 'परिवेश' शामिल है, जो पर्यावरण अप्रूवल को गति प्रदान करने के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल है।

इस वजह से आकर्षित हो रहीं कंपनियां :

मैकेंजी की रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि गैस मूल्य निर्धारण, 2016 से मार्केटिंग फ्रीडम और बदलते नियम वो महत्वपूर्ण कारण हैं, जिनकी वजह से भारत अंतरराष्ट्रीय तेल कंपनियों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। इसके अलावा इस रिपोर्ट में कहा गया है- गैस ट्रेडिंग के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल का उद्देश्य पारदर्शिता बढ़ाना है। ई एंड पी कंपनियां अब इंडियन गैस एक्सचेंज (IGX) पर नीलामी और व्यापार कर सकती हैं।

भारत में बन रही 13,000 KM गैस पाइपलाइन :

सप्लाई साइड के अलावा रिपोर्ट में गैस के उपयोग को बढ़ाने के लिए कुछ और चीजों पर जोर दिया गया है। इसमें कहा गया है कि भारत में 13,000 किमी की गैस पाइपलाइन निर्माणाधीन है, जो दूरदराज के क्षेत्रों में नए बाजार को सर्विस उपलब्ध कराएगी। इसमें कहा गया है कि "एक समान पाइप टैरिफ नीति का उद्देश्य लागत कम करके रिमोट एरिया के यूजर्स के लिए ज्यादा प्रतिस्पर्धी बनाना है।

 

पेट्रोलियम मंत्री ने शेयर की मैकेंजी की रिपोर्ट :

पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप एस पुरी ने ट्विटर पर 'वुड मैकेंज़ी' रिपोर्ट को शेयर करते हुए कहा- दुनिया मोदीजी के नेतृत्व को विश्वास और उम्मीदों के साथ देख रही है। बता दें कि ऊर्जा निगमों के तमाम बड़े अधिकारियों ने हाल ही में बेंगलुरू में 'इंडिया एनर्जी वीक 2023' में हिस्सा लिया। यहां उन्होंने प्रधानमंत्री के साथ ही ऊर्जा उद्योग के प्रतिनिधियों से बात की। इस दौरान भारत में डीपवॉटर एक्सप्लोरेशन के जरिए तेल और प्राकृतिक गैस की खोज को लेकर कई सकारात्मक चीजें निकलीं।

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