इसरो ने लॉन्च किया ओशनसैट और 8 अन्य उपग्रह, जानें किस काम आता यह सैटेलाइट

इसरो के रॉकेट PSLV-C54 द्वारा आज 9 उपग्रहों को अंतरिक्ष में पहुंचाया गया। इनमें मुख्य पेलोड इसरो का ओशनसैट उपग्रह था। यह अर्थ ऑबरवेशन सैटेलाइट है। इसके साथ 8 नैनो सैटेलाइट को भी अंतरिक्ष भेजा गया।

चेन्नई। इसरो (Indian Space Research Organisation) द्वारा शनिवार को ओशनसैट समेत आठ सैटेलाइड्स को अंतरिक्ष में भेजा गया। शुक्रवार को इसके लिए काउंटडाउन शुरू हुआ था। सभी उपग्रहों को श्रीहरिकोटा से इसरो के रॉकेट PSLV-C54 द्वारा लॉन्च किया गया। PSLV (Polar Satellite Launch Vehicle) का यह 56वां उड़ान है। 

रॉकेट ने 11:56 बजे चेन्नई से 115 किलोमीटर दूर स्थित सतिश धवन स्पेस सेंटर श्रीहरिकोटा के फर्स्ट लॉन्चपैड से उड़ान भरा। रॉकेट का मुख्य पेलोड ओशनसैट उपग्रह था। यह ऑर्बिट-1 में रॉकेट से अलग हुआ। इसके बाद आठ अन्य नैनो-रॉकेट्स को अन्य कक्षाओं में स्थापित किया गया। 

Latest Videos

अर्थ ऑबरवेशन सैटेलाइट है ओशनसैट
ओशनसैट एक अर्थ ऑबरवेशन सैटेलाइट है। इसका काम अंतरिक्ष में चक्कर लगाते हुए धरती की तस्वीरें लेना है। ओशनसैट समुद्र विज्ञान और वायुमंडलीय अध्ययन के काम आता है। यह सैटेलाइट समुद्री मौसम का पूर्वानुमान लगाने में सक्षम है। इसकी मदद से चक्रवात संबंधी सूचना मिलेगी। इसके साथ ही सैटेलाइट की मदद से भारत के समुद्री क्षेत्र में मौजूद संसाधनों का भी पता लगाया जाएगा। 

ओशनसैट को रॉकेट के उड़ान भरने के करीब 20 मिनट बाद 742 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित कक्षा में स्थापित किया गया। ओशनसैट के अलग होने के बाद रॉकेट नीचे की ओर आया और 516 किलोमीटर की ऊंचाई पर पहले नैनो सैटेलाइट को स्थापित किया। 528 किलोमीटर की ऊंचाई तक सभी नैनो सैटेलाइट को स्थापित किया गया। 

इन नैनो सैटेलाइट्स को भेजा गया अंतरिक्ष 
भूटान के लिए इसरो ने नैनो सैटेलाइट-2 (आईएनएस-2बी) को अंतरिक्ष में पहुंचाया। इसमें नैनोएमएक्स और एपीआरएस-डिजिपीटर नाम के दो पेलोड हैं। नैनोएमएक्स का निर्माण स्पेस एप्लिकेशन सेंटर द्वारा किया गया है। यह मल्टीस्पेक्ट्रल ऑप्टिकल इमेजिंग सैटेलाइट है। इसकी मदद से धरती की तस्वीर ली जाएगी। एपीआरएस-डिजिपीटर को संयुक्त रूप से सूचना प्रौद्योगिकी और दूरसंचार विभाग भूटान और यू आर राव सैटेलाइट सेंटर बेंगलुरु द्वारा विकसित किया गया है। 

यह भी पढ़ें- आज ही के दिन 73 साल पहले भारत के संविधान को किया गया था स्वीकार, बनाने में लगे थे 2 साल 11 महीने 18 दिन

'आनंद' उपग्रह पिक्सेल द्वारा विकसित किया गया है। पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित होने वाला यह माइक्रो-सैटेलाइट एक टेक्नोलॉजी डेमोस्टेटर है। इसकी मदद से मिनिएचर अर्थ ऑब्जर्वेशन कैमरा की क्षमता और व्यावसायिक इस्तेमाल का प्रदर्शन किया जाएगा। स्पेस स्टार्ट-अप ध्रुव स्पेस द्वारा बनाए गए दो थाइबोल्ट उपग्रहों को भी अंतरिक्ष में पहुंचाया जाएगा। इसके साथ ही अमेरिका के स्पेसफ्लाइट द्वारा बनाए गए टेक्नोलॉजी डेमोस्टेटर उपग्रह एस्ट्रोकास्ट को भी अंतिरक्ष में भेजा जा रहा है।

यह भी पढ़ें- ये हैं दुनिया के 10 सबसे बड़े विमान, पहले नंबर वाला रूस की बमबारी में हो गया तबाह

Read more Articles on
Share this article
click me!

Latest Videos

बदल गया दिल्ली के सराय काले खां चौक का नाम, जानें क्या है नया नाम? । Birsa Munda Chowk
Maharashtra Election 2024: 'कटेंगे-बटेंगे' के खिलाफ बीजेपी में ही उठने लगे सवाल। Pankaja Munde
महाराष्ट्र में हुई गृहमंत्री अमित शाह के बैग और हेलीकॉप्टर की तलाशी #Shorts #amitshah
UPPSC Student Protest: डिमांड्स पूरी होने के बाद भी क्यों जारी है छात्रों का आंदोलन, अब क्या है मांग
जमुई में हाथ जोड़कर आगे बढ़ रहे थे PM Modi फिर ये क्या बजाने लगे? झूमते दिखे लोग । PM Modi Jamui