जामिया के आंदोलनकारी स्टूडेंट्स ने मीडियाकर्मियों को बनाया निशाना, जानें क्या कहते हैं ट्विटर यूजर

नागरिकता संशोधन कानून (सीएएए) के विरोध में जामिया मिल्लिया इस्लामिया के स्टूडेंट्स का विरोध लगातार उग्र होता गया। चौथे दिन लगातार प्रदर्शन जारी रहने और मीडियाकर्मियों से हुए टकराव के बाद विश्विद्यालय को 5 जनवरी तक के लिए बंद कर दिया गया है और साथ ही छात्राओं को भी हॉस्टल खाली करने के लिए कहा गया है।

Asianet News Hindi | Published : Dec 17, 2019 5:16 AM IST / Updated: Dec 17 2019, 11:13 AM IST

नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून (सीएएए) के विरोध में जामिया मिल्लिया इस्लामिया के स्टूडेंट्स का विरोध लगातार उग्र होता गया। चौथे दिन लगातार प्रदर्शन जारी रहने और मीडियाकर्मियों से हुए टकराव के बाद विश्विद्यालय को 5 जनवरी तक के लिए बंद कर दिया गया है और साथ ही छात्राओं को भी हॉस्टल खाली करने के लिए कहा गया है। बता दें कि प्रदर्शनकारी छात्र-छात्राओं ने कवरेज करने के लिए पहुंचे मीडियाकर्मियों को भी निशाना बनाया। इसमें दो मीडियाकर्मियों को गंभीर चोटें आईं। प्रदर्शनकारियों में शामिल लोगों ने एक महिला मीडियाकर्मी से भी दुर्व्यवहार किया और उनका कैमरा व मोबाइल फोन छीनने की कोशिश की। कहा जा रहा है कि स्टूडेंट्स के इस आंदोलन में स्थानीय लोग भी शामिल हो गए हैं।

यह भी कहा जा रहा है कि इसमें कुछ आसामाजिक तत्व भी घुस गए हैं जो माहौल को अराजक बनाने की कोशिश कर रहे हैं। सोशल मीडिया खासकर ट्विटर पर इस आंदोलन के पक्ष और विरोध में जम कर पोस्ट्स की जा रही हैं। कुछ ट्विवटर यूजर्स का कहना है कि ऐसा देखा गया है कि हुड़दंग मचाने वाले असामाजिक तत्व इस आंदोलन में शामिल हो कर इसका बेजा फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं। जामिया में लाइव रिपोर्टिंग के दौरान प्रदर्शनकारियों ने एबीपी के संवाददाता से बदतमीजी की। क्या ये लोग स्टूडेंट्स हैं या उनमें शामिल असामाजिक तत्व?  

हेमिर देसाई नाम के एक ट्विटर यूजर ने लिखा है कि जामिया के स्टूडेंट्स उस मीडिया पर हमलावर हो रहे हैं जो उनके कथित शांतिपूर्ण प्रदर्शन को आईना दिखाने की कोशिश कर रहा है। इन्होंने कई उन पत्रकारों को अपने पोस्ट में टैग किया है जो जामिया के आंदोलनकारी छात्रों का समर्थन कर रहे हैं। इन्होंने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को भी टैग करते हुए उन्हें पत्रकारों पर आंदोलनकारी छात्रों द्वारा किए गए हमले की निंदा करने को कहा है और आंदोलनकारी छात्रों को अर्बन नक्सल बताया है। बता दें कि मशहूर गीतकार और बॉलीवुड सेलिब्रिटी जावेद अख्तर ने ट्वीट किया था कि देश के कानून के अनुसार किसी भी परिस्थिति में पुलिस यूनिवर्सिटी अथॉरिटीज की इजाजत के बिना कैंपस में नहीं जा सकती, जामिया कैंपस में बिना इजाजत पुलिस ने जाकर हर यूनिवर्सिटी के लिए एक खतरनाक उदाहरण पेश किया है। इस पर आईपीएस अधिकारी संदीप मित्तल ने ट्वीट का जवाब देते हुए लिखा है कि जावेद अख्तर को उन कानूनों के बारे में विस्तार से बताना चाहिए और एक्ट का नाम व सेक्शन नंबर भी लिखना चाहिए, ताकि उन लोगों की जानकारी बढ़ सके। 

वहीं, अनुराग सिंह नाम के एक ट्विटर यूजर ने लिखा है कि ये स्टूडेंट्स प्रोटेस्ट क्यों कर रहे हैं, जबकि नागरिकता संशोधन विधेयक, 2019 से उनका कोई नुकसान होने नहीं जा रहा है। उन्होंने कई ट्वीट कर यह बतलाया है कि इस यूनिवर्सिटी को सरकार से कितनी ज्यादा आर्थिक सहायता मिल रही है और इसके बावजूद यहां की शैक्षणिक उपलब्धियां जरा भी उल्लेखनीय नहीं हैं। उन्होंने आंकड़ों का हवाला देकर ट्वीट करते हुए लिखा है कि यहां पीएच.डी. का एक औसत स्टूडेंट रिसर्च पूरा करने में साढ़े सात साल से ज्यादा समय लगाता है। क्या यह शिक्षा व्यवस्था के साथ मजाक नहीं है? उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए लिखा है कि जामिया मिल्लिया प्रत्येक स्टूडेंट पर सालाना 3 लाख 23 हजार रुपए खर्च करती है। क्या यह देश के संसाधनों की बर्बादी नहीं है? उन्होंने 31 मार्च, 2018 तक जामिया मिल्लिया के कुल खर्चों का ब्योरा देते हुए इसे 599 करोड़ बताया है, जिसमें 370 करोड़ रुपए सब्सिडी पर खर्च हुए हैं। उन्होंने यह भी लिखा है कि जामिया में जो रिसर्च हुए हैं, उनमें सबसे ज्यादा सऊदी अरब की यूनिवर्सिटीज और संस्थानों के जर्नल्स में प्रकाशित हुए हैं।

बी'हैविन नाम के ट्विटर यूजर ने एक खास ही बात सामने लाई है। उसने एक तस्वीर ट्वीट किया है, जिसमें एक ही लड़की 13,14 और 15 दिसबंर को हुए प्रदर्शनों के दौरान प्रमुख रूप से दिखाई पड़ रही है। उसने लिखा है कि यह महज एक संयोग है या इसे भी मीडिया ने प्लान्ट किया है। वह लड़की एक ही तरह का हिजाब पहने पुलिस से टकराव के दौरान हर जगह आगे दिखती है। इस यूजर ने लिखा है कि जैसे ही बरखा दत्त इस मामले में आईं, वह समझ गया कि अब कुछ खास होगा। उसने लिखा है कि जो लड़की हिजाब और चश्मे में हर जगह पुलिस से टकराव के दौरान आगे-आगे दिख रही है, उसे जल्दी ही इससे अलग कर दिया जाएगा। उसका कहना है कि लडीला सखालून नाम की एक लड़की केरल में इस्लाम के प्रचार-प्रसार में लगी हुई है, वह भी जामिया आंदोलन में शामिल होने के लिए आ चुकी है। वह कन्नूर की ग्रैजुएट स्टूडेंट बताई जाती है। वह भी इस आंदोलन के दौरान सबसे आगे देखी गई है।

वहीं, देसी मोजितो नाम के एक ट्विटर यूजर ने एक वीडियो पोस्ट किया है। इसमें इस आंदोलन के मजहबी रंग पकड़ते जाने का स्पष्ट खतरा दिखाई पड़ रहा है। इसमें कहा जा रहा है - हिंदुओं से आजादी, सिर्फ अल्लाह का नाम रहेगा। यूजर का कहना है कि एक तरफ जहां आंदोलन के दौरान इस तरह के मजहबी नारे लगाए जा रहे हैं, वहीं इसे सेक्युलर प्रोटेस्ट बताया जा रहा है और आंदोलन का मकसद भी धर्मनिरपेक्षता की रक्षा करना बताया गया है। 
 

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