79 साल पहले: जानें क्यों जापान ने कोलकाता के हावड़ा ब्रिज को बनाया था निशाना, कई दिनों तक बरसाए थे बम

Japanese Air Force bomb Calcutta: भारत के इतिहास में 20 दिसंबर 1942 का दिन खास है। वजह है इस दिन जापान ने कोलकाता के हावड़ा ब्रिज पर कई बम बरसाए थे। लेकिन भारतीयों की एक चालाकी की वजह से बचा लिया गया।

Asianet News Hindi | Published : Dec 20, 2021 3:09 AM IST / Updated: Dec 20 2021, 08:46 AM IST

नई दिल्ली. 79 साल पहले 20 दिसंबर (20 December 1942) का ही दिन था। दूसरे विश्व युद्ध (Second World War) में कोलकाता (Kolkata) को भी निशाना बनाया गया था। 20 दिसंबर 1942 को जापान की इंपीरियल आर्मी एयरफोर्स (Imperial Army Air Force) ने कोलकाता पर बम गिराए। टारगेट पर हावड़ा ब्रिज (Howrah Bridge) था। लेकिन बम एक होटल पर जा गिरे। दरअसल, ब्रिटेन, अमेरिका सहित पश्चिमी देशों का गठबंधन जापान और जर्मनी जैसे देशों के खिलाफ युद्ध लड़ रहा था। भारत ब्रिटेन का उपनिवेश था। वह भारत की जमीन का इस्तेमाल युद्ध के दौरान अपने सहयोगियों तक मदद पहुंचाने में कर रहा था। नतीजा ये हुआ कि भारत पर भी बम गिराए गए। 

जापान ने कोलकाता पर  क्यों हमला किया?
एक अमेरिकी सेना के मिशन के लिए भारत ही प्रमुख हवाई मार्ग था, जिसे हंप के ऊपर उड़ान के रूप में जाना जाने लगा। आसान भाषा में कहें तो चीन को युद्ध का सामान ब्रिटेन, अमेरिका पहुंचाते थे। सामान पहुंचाने का एक ही रास्ता था जो भारत से होकर जाता था। जापान इस रास्ते को खत्म करना चाहता था। इसलिए उसने कोलकाता पर हमला किया। 

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20 दिसंबर 1942 को जापानी वायु सेना के बमबारी की, जिससे कई बिल्डिंग्स को नुकसान पहुंचा। अगले कुछ दिनों में शहर पर कई बार बमबारी की गई। अंधेरे की वजह से बम हावड़ा ब्रिज पर नहीं बल्कि एक होटल पर जा गिरा। तब युद्ध के दौरान रात में लाइट काट दी जाती थी, जिससे दुश्मन को भ्रमित किया जा सके। इस दौरान ब्रिटिश वायु सेना के पायलटों ने जापानी फ्लाइंग बोट बेस सहित कई जापानी लड़ाकू विमानों को नष्ट कर दिया, जिससे लंबी दूरी के हवाई हमले शुरू करने की जापानी क्षमता कम हो गई। 1943 तक लंदन ने भारत को राडार वाले रात के लड़ाकू विमानों को भेजकर सुरक्षा दी। अंग्रेजों ने जीत के लिए राडार से लैस रात के लड़ाकू विमानों को भी तैनात किया।

अगस्त 1943 में ब्रिटिश वायु सेना ने स्पिटफायर का इस्तेमाल शुरू किया। इन लड़ाकू विमानों की स्पीड ने कई जापानी विमानों को नीचे लाने में मदद की। कोलकाता की जापानी हवाई बमबारी 1944 तक छिटपुट रूप से जारी रही जब जापान ने अपने लड़ाकू विमानों को कहीं और तैनात किया। द्वितीय विश्व युद्ध अगले साल तक खत्म हो गया।

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