झारखंड चुनाव: झरिया में जीती वासेपुर की देवरानी, जेठानी को दी ऐसे पटखनी

धनबाद की झरिया सीट से सूर्यदेव सिंह की दोनों बहुएं एक दूसरे के सामने चुनावी मैदान में थी। जिसमें कांग्रेस की उम्मीदवार और देवरानी पूर्णिमा सिंह को जीत मिली है। जबकि बीजेपी उम्मीदवार और जेठानी रागिनी सिंह को हार का सामना करना पड़ा है। 

Asianet News Hindi | Published : Dec 24, 2019 4:26 AM IST

रांची. झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आ गए है। जिसमें भारतीय जनता पार्टी को करारा झटका लगा है और हार का सामना करना पड़ा है। लेकिन इन सब के बीच पूरे प्रदेश में सबसे चर्चित माने जाने वाली धनबाद की झरिया सीट का भी नतीजा सामने आया तो हर कोई चौंक गया। दरअसल, यहां एक ही परिवार की दो बहुएं यानी देवरानी जेठानी एक दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरी थीं। जिसमें देवरानी अपने जेठानी को बड़े अंतर से पटखनी दी है। 

4913 वोटों से हारीं जेठानी 

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झारखंड विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने पूर्णिमा सिंह को टिकट दिया था। जबकि भारतीय जनता पार्टी ने उनकी जेठानी रागिनी सिंह को टिकट दिया था। जिसके बाद दोनों चुनावी मैदान में एक दूसरे के सामने थी। जिसके बाद से यह सीट काफी चर्चा में थी। लेकिन चुनाव के नतीजों में देवरानी के आगे जेठानी टिक नहीं पाईं और उनको 4,913 मतों से हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस प्रत्याशी पूर्णिमा सिंह को 44,599 वोट, जबकि बीजेपी प्रत्याशी रागिनी सिंह को 39,686 वोट मिले। 

सूर्यदेव की हैं बहूएं 

गैंग्स ऑफ वासेपुर फिल्म में निभाया गया रामाधीर सिंह का किरदार 'सिंह मेंशन परिवार' के मुखिया सूर्यदेव सिंह के परिवार से ही प्रेरित था। हालांकि वासेपुर झरिया विधानसभा क्षेत्र में आता है, जबकि वासेपुर धनबाद का इलाका है। मात्र 10 किलोमीटर की दूरी होने की वजह से लोग इस सीट को फिल्म वासेपुर से जोड़ कर देख रहे थे। रिश्तों की तकरार चुनावी मैदान में दिखाने वाली दोनों बहूएं सूर्यदेव सिंह की है। 2014 में इस सीट पर जीत दर्ज करने वाले भारतीय जनता पार्टी के नेता संजीव सिंह इस समय जेल में हैं। उन पर अपने चचेरे भाई नीरज सिंह की हत्या का आरोप है। 

पिछली बार आमने- सामने थे दो भाई

कोयलांचल की सबसे चर्चित सीटों में गिनी जाने वाली झरिया विधानसभा सीट पर सूर्यदेव सिंह के परिवार के सदस्यों के बीच ही सियासी घमासान पहले भी देखने को मिला था। साल 2014 के चुनाव में इस सीट से बीजेपी के टिकट पर सूर्यदेव सिंह के पुत्र संजीव सिंह और कांग्रेस के टिकट पर उनके भतीजे नीरज सिंह ने चुनाव लड़ा था। तब चुनावी बाजी संजीव के हाथ लगी थी। 

जेल में हैं संजीव सिंह 

इसके बाद साल 2017 में नीरज सिंह की हत्या हो गई, जिसका आरोप संजीव सिंह पर लगा और वह फिलहाल जेल में हैं। इस बार बीजेपी ने संजीव सिंह की पत्नी रागिनी सिंह को उतारा, जिनके मुकाबले कांग्रेस ने नीरज सिंह की पत्नी पूर्णिमा सिंह को उतारकर एक बार फिर यहां की सियासी जंग को सिंह परिवार में ही समेट दिया। 

सूर्यदेव सिंह के भाई रह चुके हैं मंत्री 

'सिंह मेंशन' की नींव संजीव सिंह के पिता सूर्यदेव सिंह ने रखी थी। सूर्यदेव सिंह का परिवार कोयला के कारोबार का बेताज बादशाह माना जाता है। सूर्यदेव सिंह पांच भाइयों में सबसे बड़े और परिवार के मुखिया थे। उनके चार भाई राजनारायण सिंह, बच्चा सिंह, विक्रम सिंह और रामाधीर सिंह हैं। सूर्यदेव सिंह और राजन सिंह की मौत हो चुकी हैं, जबकि बच्चा सिंह झारखंड सरकार में मंत्री रह चुके हैं। रामाधीर सिंह उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। विक्रम सिंह का परिवार बलिया में ही रहता है। 

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