जिलानी का बड़ा आरोप, 'अयोध्या पर फैसले के खिलाफ बयान ना देने के लिए प्रशासन दबाव डाल रहा'

अयोध्या में जमीन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर रविवार को लखनऊ में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) मीटिंग हुई। बैठक के बाद पर्सनल लॉ बोर्ड ने अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर करने का फैसला किया है।

Asianet News Hindi | Published : Nov 17, 2019 10:50 AM IST / Updated: Nov 17 2019, 04:30 PM IST

लखनऊ. अयोध्या में जमीन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर रविवार को लखनऊ में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) मीटिंग हुई। बैठक के बाद पर्सनल लॉ बोर्ड ने अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर करने का फैसला किया है। इस दौरान सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी ने अयोध्या प्रशासन पर बड़ा आरोप लगाया।

जिलानी ने कहा कि अयोध्या से आए कुछ लोगों ने उन्हें जानकारी दी है कि फैसले के खिलाफ बयान देने के लिए रोका जा रहा है। अयोध्या प्रशासन और पुलिस मस्जिदों के इमामों और अन्य लोगों पर बयान ना देने के लिए दबाव डाल रही है। दरअसल, जिलानी से इकबाल अंसारी को लेकर सवाल किया गया था।

AIMPLB की प्रेस कॉन्फ्रेंस की 10 बड़ी बातें-
इससे पहले मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उसमें अयोध्या पर फैसले का भी जिक्र किया गया।

1- AIMPLB ने कहा,  बाबरी मस्जिद की तामीर बाबर के कमांडर मीर बाकी द्वारा 1528 में हुई थी जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी कबूल किया है।
2. मुसलमानों द्वारा दिए गए सबूत के मुताबिक, 1857 से 1949 बाबरी मस्जिद की तीन गुंबद वाली इमारत और मस्जिद का अंदरूनी हिस्सा मुसलमानों के कब्जे और इस्तेमाल में रहा है। इसे भी सुप्रीम कोर्ट ने माना है।
3- 'बाबरी मस्जिद में आखिरी नमाज 16 सितंबर 1949 को पढ़ी गई थी, सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को माना है।'
4- 'गुंबद के नीचे जन्मभूमि का प्रमाण नहीं मिला है, इस बात को भी सुप्रीम कोर्ट ने माना था।'
5- '1949 में मस्जिद में मूर्ति रखे जाने को सुप्रीम कोर्ट ने गैरकानूनी बताया है।'
6- 'सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को भी माना कि मस्जिद को किसी मंदिर को तोड़कर नहीं बनाया गया था।'
7- 'सुप्रीम कोर्ट ने माना कि ASI की रिपोर्ट से यह साबित नहीं हो पाया कि मस्जिद का निर्माण किसी मंदिर को तोड़कर किया गया था।'
8- 'फैसले में कई अंतर्विरोध, जब बाहर से लाकर मूर्ति रखी गई तो उन्हें देवता कैसे मान लिया गया।' 
9- 'मस्जिद के लिए दूसरी जगह जमीन स्वीकार नहीं करेगा मुस्लिम पक्ष।'
10- 'मस्जिद की जमीन के बदले में मुसलमान कोई अन्य जमीन कबूल नहीं कर सकते।'

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