90 बार पुलिस को फोन किया, बचाने कोई नहीं आया, रॉड से पिटने के बाद लड़कियों ने बताई दर्दभरी कहानी

जेएनयू में रविवार को हुई हिंसात्मक घटना में पुलिस पर बड़ी लापरवाही का आरोप लगाया जा रहा है। बताया जा रहा कि हिंसा की घटना सामने आने के बाद रजिस्ट्रार की सलाह पर स्टूडेंट्स ने कई बार 100 नंबर डायल किया। पीसीआर को 90 से ज्यादा कॉल की गई। छात्रों का आरोप है कि बावजूद इसके पुलिस ने मदद करने में देरी पहुंचाई। 

Asianet News Hindi | Published : Jan 6, 2020 8:16 AM IST / Updated: Feb 05 2022, 03:23 PM IST

नई दिल्ली. जेएनयू में रविवार शाम हुई हिंसा के बाद से पूरे घटनाक्रम की सच्चाई सामने आती जा रही है। एक ओर जहां दिल्ली क्राइम ब्रांच की टीम इस मामले की जांच में जुटी हुई है। दरअसल, रविवार की देर शाम लाठी-डंडे, हॉकी स्टिक से लैस नकाबपोश हमलावरों ने यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स और टीचरों को बेरहमी से पीटा। इस घटना में छात्रसंघ अध्यक्ष आईशी घोष समेत 20 से ज्यादा छात्र और टीचर गंभीर रूप से घायल हुए। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक 150 से ज्यादा हमलावरों नें छात्रों पर कहर बरपाया है। 

90 से ज्यादा बार पुलिस को किया फोन

छात्रों की माने तो पिछले कई दिनों से जारी तनातनी ने हिंसा का रूप ले लिया। जिसके बाद रविवार को हिंसात्मक घटना घटित हुई। इन सब के बीच पुलिस पर बड़ी लापरवाही की बात सामने आ रही है। बताया जा रहा कि हिंसा की घटना सामने आने के बाद रजिस्ट्रार की सलाह पर स्टूडेंट्स ने कई बार 100 नंबर डायल किया। पीसीआर को 90 से ज्यादा कॉल मिलीं लेकिन स्टूडेंट्स का आरोप है कि कई कॉल करने के बावजूद पुलिस देरी से पहुंची और हिंसा रोकने के बजाय चुप्पी साधी रही। पुलिस ने कहा कि यूनिवर्सिटी प्रशासन के कहने पर हम अंदर आए। कुछ नकाबपोश देखे गए हैं, जिनकी पहचान की जाएगी। जेएनयू प्रशासन ने कहा कि रात में भी नकाबपोश कैंपस में लोगों पर हमले करते रहे।

गृहमंत्री ने तलब की रिपोर्ट 

जेएनयू के शिक्षकों ने कहा कि विश्वविद्यालय के इतिहास में ऐसी हिंसा पहली बार हुई है। इससे पहले ऐसी घटनाएं नहीं घटित हुई थी। वहीं, इस मामले में  केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पुलिस कमिश्नर को फोन कर स्थिति की जानकारी ली। एचआरडी मिनिस्ट्री ने भी यूनिवर्सिटी प्रशासन से रिपोर्ट तलब कर ली है। इस बीच जेएनयू में छात्रों पर हुए हमले की जांच के लिए दिल्ली पुलिस ने एक स्पेशल टीम गठित की है। दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने इस जांच के आदेश दिए हैं। दिल्ली पुलिस की ज्वाइंट कमिश्नर शालिनी सिंह यह जांच कर रही हैं। 

पुलिस ने क्या कहा ?

उधर, पुलिस के आने में देरी के सवाल पर संयुक्त पुलिस आयुक्त (दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र) देवेंद्र आर्य ने कहा, ‘विश्वविद्यालय प्रशासन ने हमसे आग्रह किया, इसके बाद पुलिस टीम ने विश्वविद्यालय परिसर में प्रवेश किया।’ आर्य ने कहा कि पुलिस टीम ने परिसर में फ्लैग मार्च किया। पुलिस परिसर के अंदर के हालात देखकर अपना काम करेगी। देर रात जेएनयू के छात्रों ने दिल्‍ली पुलिस के साथ बैठक करके मांग की कि घायलों को चिकित्‍सा सहायता दी जाए और जिन लोगों ने हिंसा की है, उन्‍हें अरेस्‍ट किया जाए।

ढूंढे जा रहे इन चार सवालों के जवाब 

कौन थे नकाबपोश बदमाश ?

यूनिवर्सिटी में खुलेआम घूमते और तोड़फोड़ करते नकाबपोशों की तस्वीरें सामने आ चुकी हैं। लेकिन ये नकाबपोश कौन थे और कहां से आए थे इसका जवाब दिल्ली पुलिस और जेएनयू प्रशासन को जल्द से जल्द सामने लाना होगा। जिन्होंने जेएनयू के नाम पर हिंसा काला टिका लगाया है। 

कैंपस में कैसे हुए दाखिल ? 

जेएनयू के गेटों पर कड़ी सुरक्षा रहती है, कोई भी बाहरी शख्स कैंपस में दाखिल नहीं हो सकता है। ऐसे में कहा जा रहा कि बाहर से आए हमलावरों ने इस घटना को अंजाम दिया है। ऐसे में यह सवाल उठ रहा कि बाहरी लोग कैंपस के भीतर कैसे दाखिल हुए। इसके साथ ही अगर ये लोग बाहरी थे तो इतनी बड़ी तादाद में लाठी-डंडों और रॉडों के साथ कैसे और कहां से यूनिवर्सिटी में घुस आए। 

कहां था जेएनयू का सुरक्षा बल ?

जेएनयू कैंपस के साबरमती हॉस्टल और टी प्वाइंट के पास तकरीबन 3 घंटे तक हमलावार अपना कहर बरपाते रहे । ऐसे में यह सवाल उठ रहा कि इस दौरान यूनिवर्सिटी प्रशासन क्या कर रहा था। खासतौर से कैंपस में बड़ी तादाद में सिक्यॉरिटी गार्ड्स तैनात रहते हैं, वे सब इस दौरान क्या कर रहे थे। उन्होंने हमलावरों को रोकने या पकड़ने की कोशिश क्यों नहीं की।

पुलिस ने क्यों नहीं दिखाई तेजी ?

पुलिस के मुताबिक जेएनयू से शाम 4 बजे से ही पीसीआर कॉल्स आनी शुरू हो गई थीं। पुलिस को 90 से ज्यादा पीसीआर कॉल्स की गईं। स्टूडेंट्स का आरोप है कि अगर यूनिवर्सिटी प्रशासन और पुलिस पहले एक्शन में आ जाती घटना को कंट्रोल किया जा सकता था।

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