Joshimath का दर्द: प्यार से जिस घर को संवारा-सजाया, अब उसे अपने ही हाथों उजाड़ रहे

जोशीमठ में पलायन जारी है। बोझिल मन से लोग घरों को छोड़ तो रहे लेकिन जाते वक्त पीछे मुड़कर उस शहर, गलियों और घरों को निहारती आंखें यह सपना भी देख रहीं कि कभी न कभी वह अपनी जमीन पर लौटेंगे जरूर।

Dheerendra Gopal | Published : Jan 9, 2023 5:54 PM IST / Updated: Jan 10 2023, 09:34 AM IST

Joshimath ground report: बुजुर्ग परमेश्वरी देवी का अपने घर की दीवारों में आई दरारें देख कलेजा फटा सा जा रहा है। पाई-पाई जोड़कर एक आशियाना का सपना पूरा किया था। जीवन भर का बचत भी खर्च हो गया। लेकिन जीवन के अंतिम पड़ाव पर उनको अपना वह आशियाना छोड़कर जाना पड़ रहा। वह समझ नहीं पा रहीं कि इसे भाग्य का लिखा कहें या विकास की कीमत...। दिल पर पत्थर रखकर वह घर छोड़ रहीं। जाते-जाते कहती हैं कि घर छोड़कर कहीं जाने की बजाय यहां मरना पसंद करुंगी लेकिन..। यह कहते कहते उनकी आंखें नम हो जाती हैं। यह कहानी सिर्फ परमेश्वरी देवी की नहीं, जोशीमठ के हजारों परिवारों के हैं जो दिन रात एक खौफ में जी रहे। अपने घरों को एक कसक के साथ छोड़ रहे। घर की एक-एक दरारों मानों उनके शरीर पर हुई हैं।  

जोशीमठ उजड़ रहा। कभी यह क्षेत्र पर्यटकों से गुलजार रहता था। लेकिन अब पलायन का दंश झेल रहा। हर ओर दरारें, चेहरे पर खौफ और अपना घर छोड़ने का अफसोस। उत्तराखंड के मुख्य सचिव एसएस संधू ने जोशीमठ से लोगों को तत्काल निकालने का निर्देश देते हुए कहा कि हर मिनट महत्वपूर्ण है, जहां भूमि धंसने से संरचनाओं और सड़कों में दरारें पड़ गई हैं। चीफ सेक्रेटरी के आदेश का पालन कराने में प्रशासन लगा हुआ है। देश के सबसे खूबसूरत आध्यात्मकि स्थलों में एक जोशीमठ में हर ओर उदासी है। मनोहरबाग के सूरज कपरवान और उसका परिवार अभी भी अपने घर से निकलने का मन बना रहा है। हालांकि, कपरवान परिवार की तरह अन्य परिवार भी अपना घर छोड़ने के इच्छुक नहीं लेकिन...।

हर दिन घरों में पड़ रहे दरारों की संख्या बढ़ती जा रही। सोमवार को कस्बे के 68 और घरों में दरारें दिखीं। इसके साथ ही धंसने से प्रभावित घरों की संख्या बढ़कर 678 हो गई। आपदा प्रबंधन प्राधिकरण-चमोली के अनुसार सोमवार को 27 और परिवारों को सुरक्षित निकाल लिया गया। कुल मिलाकर 82 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।

जिला प्रशासन ने रहने के लिए असुरक्षित माने जाने वाले 200 से अधिक घरों पर रेड क्रॉस का निशान बना दिया है। इन घरों में रह रहे लोगों को अगले छह महीने तक चार हजार रुपये सहायता का आश्वासन भी सरकार की ओर से दिया गया है। लोगों की मदद के लिए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ को तैनात किया जा रहा है। वह लोगों की सहायता कर रहे। 

घर छोड़ने के साथ ही आजीविका का भी संकट गहराएगा

आशियाना उजड़ने के साथ जोशीमठ में रहने वालों पर आजीविका का भी संकट गहराने लगा है। फिलहाल, रिश्तेदार-परिचित या किसी सरकारी आश्रय में शरण लिए हुए हैं। कहीं कहीं शरण ली जिंदगियां अपने घरों की ओर लौटना चाहते हैं। लेकिन मजबूर हैं। सिंगधार की ऋषि देवी का घर धीरे-धीरे ढह रहा है। सुरक्षित स्थान पर पहुंचाए जाने के बावजूद वह आए दिन घर लौटती रहती है। वह आंगन में बैठी दरारों वाली दीवारों को निहारती है। गांधीनगर की रमा देवी घर तो नहीं जा पा रहीं लेकिन उनको उम्मीद है कि वह जरूर लौटेंगी। रमा देवी के परिवार को दहशत में घर छोड़ना पड़ा था। उन्होंने बताया कि पहले हमने बरामदे में सोना शुरू कर दिया क्योंकि हमारा कमरा बार-बार हिल रहा था। हम डर गए थे। एक रात बरामदे में दरारें आने के बाद हम किराए के मकान में जा रहे हैं।

बहरहाल, जोशीमठ में पलायन जारी है। बोझिल मन से लोग घरों को छोड़ तो रहे लेकिन जाते वक्त पीछे मुड़कर उस शहर, गलियों और घरों को निहारती आंखें यह सपना भी देख रहीं कि कभी न कभी वह अपनी जमीन पर लौटेंगे जरूर।

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