Kargil: दुश्मन से जंग में गवां दिया एक पैर, लेकिन फिर भी पीछे नहीं हटा ये सैनिक, दुश्मन को ऐसे चटाई धूल

1999 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुआ करगिल का युद्ध करीब ढाई महीने तक चला था। इस दौरान कई जवानों ने अपना बलिदान दिया। वहीं कुछ सैनिक ऐसे भी हैं, जिन्होंने जंग में दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए। ऐसे ही एक जवान हैं, सतेंद्र सांगवान। करगिल विजय दिवस पर जानते हैं उनकी कहानी। 

Asianet News Hindi | Published : Jul 25, 2022 3:48 PM IST / Updated: Jul 26 2022, 10:25 AM IST

Kargil Vijay Diwas: 23 साल पहले 1999 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुआ करगिल का युद्ध करीब ढाई महीने तक चला था। इस दौरान भारत के 562 जवान देश पर बलिदान हो गए थे। वहीं कुछ सैनिक ऐसे भी हैं, जिन्होंने जंग में दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए थे। हालांकि, इस दौरान वो बुरी तरह जख्मी हो गए थे, जिसके बाद हमेशा के लिए सेना से अनफिट हो गए। करगिल विजय दिवस के मौके पर हम बता रहे हैं एक ऐसे ही भारतीय जवान के बारे में जिसने अपना एक पैर खोने के बावजूद दुश्मन को नेस्तनाबूत कर दिया था। 

पाकिस्तानी चौकी को खत्म करने का ऑर्डर मिला : 
ये कहानी सेना से रिटायर हो चुके कैप्टन सतेंद्र सांगवान की है। सांगवान ने एक इंटरव्यू में बताया था कि करगिल में हमारे जवानों ने माइनस 19 डिग्री तापमान में भी दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए थे। सांगवान के मुताबिक, करगिल की जंग में उन्हें काली पहाड़ी को दुश्मन के कब्जे से छुड़ाने के आदेश मिले थे। उन्होंने अपनी 16-ग्रेनेडियर रेजीमेंट के कमांडो और सेकेंड राजपूताना रायफल के साथ 29 जून, 1999 को पहाड़ी पर बनी पाकिस्तानी चौकी को ध्वस्त कर उस पर कब्जा करने की कोशिश की। हालांकि, दुश्मनों की तरफ से हुई भारी गोलाबारी में राजपूताना रायफल के 3 अफसर बलिदान हो गए। 

रात के अंधेरे में ही दुश्मन को भागने पर किया मजबूर : 
कैप्टन सांगवान के मुताबिक, ये पूरी लड़ाई रात के अंधेरे में हो रही थी। ऐसे में ये भी पता नहीं चल पा रहा था कि फायरिंग किस तरफ से हो रही है। इसी बीच, उन्हें दाएं छोर से अटैक करने का ऑर्डर मिला। कमांडो के साथ वो पहाड़ी पर चढ़ने लगे। इसके बाद कुछ दूरी पर दुश्मन नजर आए तो उन्होंने गोलियां दागनी शुरू कर दीं। ये देख दुश्मन के पसीने छूट गए और वो वहां से भाग गए। 

माइन पर पैर पड़ा और मैं चट्टान से जा टकराया : 
सांगवान के मुताबिक, जब वो रात के अंधेरे में ऑपरेशन के बाद नीचे उतर रहे थे तभी उनका दायां पैर वहां बिछी माइन पर पड़ गया। इससे जोरदार धमाका हुआ और वो उछलकर एक चट्टान से जा टकराए। इसके बाद जब उन्होंने उठने की कोशिश की तो देखा कि उनका दायां पैर ब्लास्ट की वजह बुरी तरह जख्मी हो चुका है। दर्द की आवाज सुनकर कुछ साथ मेरी तरफ बढ़े, लेकिन मैंने उन्हें काली पहाड़ी पर कब्जा करने का ऑर्डर दिया। मुझे अपना पैर गंवाने के बाद भी जीत की खुशी थी। हालांकि, पैर खोने के बाद मैं सेना के लिए अनफिट हो चुका था। 

रिटायरमेंट के बाद अब ओएनजीसी में कर रहे काम : 
सेना से रिटायरमेंट के बाद कैप्टन सांगवान फिलहाल ओएनजीसी में काम कर रहे हैं। यहां उन्होंने बैडमिंटन खेलना शुरू किया। कैप्टन सांगवान पैरालिंपिक बैडमिंटन में नेशनल चैंपियन भी रह चुके हैं। नेशनल लेवल पर उन्होंने 8 स्वर्ण, 5 रजत और 5 कांस्य पदक के साथ कुल 18 पदक जीते हैं। इतना ही नहीं, कैप्टन सांगवान के नाम एवरेस्ट फतह का रिकॉर्ड भी है। 2017 में ओएनजीसी के दल प्रमुख होते हुए उन्होंने एवरेस्ट फतह किया था। 

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