जानें क्या है सिल्वर लाइन प्रोजेक्ट: केरल सरकार खर्च करेगी 63,941 Cr., 11 जिले-529.45 km सिर्फ 3.52 घंटे में

इस प्रोजेक्ट में राज्य के दक्षिणी छोर और राज्य की राजधानी तिरुवनंतपुरम को कासरगोड के उत्तरी छोर से जोड़ने के लिए राज्य के माध्यम से एक सेमी हाई-स्पीड रेलवे कॉरिडोर का निर्माण करना शामिल है। 

Asianet News Hindi | Published : Aug 9, 2021 8:53 AM IST / Updated: Aug 09 2021, 02:54 PM IST

तिरुवनन्तपुरम. केरल सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट सिल्वर लाइन (Silver Line project) के लिए भूमि अधिग्रहण ( acquiring land) शुरू करने को मंजूरी दे दी गई है। सेमी हाई-स्पीड रेलवे प्रोजेक्ट (semi high speed railway) का मुख्य उद्देश्य राज्य के उत्तरी और दक्षिणी छोर के बीच यात्रा के समय को कम करना है। 63,941 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली इस परियोजना को सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (LDF) सरकार द्वारा सबसे बड़े बुनियादी ढांचा उपक्रम माना जा रहा है। इस प्रोजेक्ट का विरोध भी किया जा रहा है। विरोध करने वालों का कहना है कि इस परियोजना के कारण 9 हजार बिल्डिंग गिराई जाएंगी और करीब 10 हजार परिवार को फिर से रिलोकेट किया जाएगा। 

सिल्वर लाइन प्रोजेक्ट क्या है?
इस प्रोजेक्ट में राज्य के दक्षिणी छोर और राज्य की राजधानी तिरुवनंतपुरम को कासरगोड के उत्तरी छोर से जोड़ने के लिए राज्य के माध्यम से एक सेमी हाई-स्पीड रेलवे कॉरिडोर का निर्माण करना शामिल है। 529.45 किलोमीटर लंबी लाइन का प्रस्ताव है। जिसमें 11 स्टेशनों के माध्यम से 11 जिलों को शामिल किया गया है। प्रोजेक्ट के पूरा होने पर कासरगोड से तिरुवनंतपुरम तक 200 किमी/ घंटा की यात्रा करने वाली ट्रेनों में चार घंटे से भी कम समय में यात्रा की जा सकती है। अभी इंडियन रेलवे नेटवर्क में इस दूरी के लिए करीब समय 12 घंटे लगते हैं। केरल रेल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (KRDCL) के इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए  2025 तक का समय निर्धारित किया गया है। KRDCL या K-Rail, केरल सरकार और केंद्रीय रेल मंत्रालय के बीच एक संयुक्त उद्यम है।

"

 

परियोजना की आवश्यकता क्यों थी?
शहरी नीति विशेषज्ञों द्वारा लंबे समय से यह तर्क दिया गया है कि राज्य में मौजूद रेलवे बुनियादी ढांचा भविष्य की मांगों को पूरा नहीं कर सकता है। अधिकांश ट्रेनें मौजूदा खंड पर बहुत अधिक कर्व और मोड़ के कारण 45 किमी/घंटा की औसत गति से चलती हैं। सरकार का दावा है कि सिल्वर लाइन प्रोजेक्ट समय की जरूरत है क्योंकि यह मौजूदा रेलवे खंड से यातायात का एक महत्वपूर्ण भार उठा सकती है और यात्रियों के लिए यात्रा को आसान और तेज बना सकती है। इससे सड़कों पर भीड़ कम होगी और हादसों और मौतों में भी कमी आएगी।

इसे भी पढ़ें- स्वदेशी विमान वाहक विक्रांत ने पूरा किया पहला समुद्री ट्रायल, वापस लौटा कोच्चि बंदरगाह

परियोजना की विशेषताएं क्या हैं?
केरल रेल के अनुसार, इस परियोजना में इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (ईएमयू) प्रकार की ट्रेनें होंगी जिनमें अधिमानतः नौ कारें होंगी और प्रत्येक को 12 कारों तक बढ़ाया जा सकता है। एक नौ-कार रेक में अधिकतम 675 यात्री बैठ सकते हैं। ट्रेनें मानक गेज ट्रैक पर 220 किमी प्रति घंटे की अधिकतम गति से दौड़ सकती हैं, चार घंटे से कम समय में किसी भी दिशा में यात्रा पूरी कर सकती हैं। दो टर्मिनलों सहित कुल 11 स्टेशन प्रस्तावित हैं, जिनमें से तीन एलिवेटेड, एक अंडरग्राउंड और बाकी ग्रेड पर होंगे। कॉरिडोर के प्रत्येक 500 मीटर पर सर्विस रोड के प्रावधान के साथ अंडर पैसेज होंगे।

सरकार का दावा है कि रेलवे लाइन ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करेगी। रो-रो सेवाओं के विस्तार में मदद करेगी, रोजगार के अवसर पैदा करेगी, हवाई अड्डों और आईटी कॉरिडोर को के साथ-साथ शहरों का तेजी से विकास करेगी।

रेलवे प्रोजेक्ट की वर्तमान में क्या रूपरेखा है?
सरकार की विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) के अनुसार, केरल रेलवे ने रूपरेखा प्रकाशित किया है। तिरुवनंतपुरम से शुरू होने वाली रेलवे लाइन में कोल्लम, चेंगन्नूर, कोट्टायम, एर्नाकुलम (कक्कानाड), कोचीन एयरपोर्ट, त्रिशूर, तिरूर, कोझिकोड, कन्नूर और कासरगोड में स्टेशन होंगे। कोझीकोड में प्रस्तावित स्टेशन भूमिगत होगा, तिरुवनंतपुरम, एर्नाकुलम और त्रिशूर में एलिवेटेड और रेस्ट ग्रेड पर होंगे। कोचीन इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (सीआईएल) पहले ही वहां स्टेशन के लिए 1 एकड़ जमीन की पेशकश कर चुका है।

सिल्वर लाइन प्रोजेक्ट की वर्तमान स्थिति क्या है?
राज्य कैबिनेट ने औपचारिक रूप से भूमि अधिग्रहण को मंजूरी देने के साथ महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को गति दी है। कुल 1,383 हेक्टेयर का अधिग्रहण करने की आवश्यकता है। जिसमें से 1,198 हेक्टेयर निजी भूमि होगी। सरकार की केंद्रीय निवेश शाखा केरल इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट फंड बोर्ड (KIIFB) से 2,100 करोड़ रुपये प्राप्त करने की प्रशासनिक मंजूरी को भी कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है।

इसे भी पढ़ें- Make in India for the World: पीएम मोदी बोले- Brand India के साथ नए सफर का है ये समय

पिछले साल जून में राज्य सरकार ने मामूली बदलाव के साथ डीपीआर को मंजूरी दी थी। केंद्र ने प्रोजेक्ट के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। केरल सरकार, केंद्र से इक्विटी फंड और बहुपक्षीय उधार एजेंसियों से ऋण का उपयोग करके रेलवे लाइन का निर्माण होने की उम्मीद है।

क्या प्रोजेक्ट को समय पर पूरा किया जा सकता है?
प्रोजेक्ट के लिए अनौपचारिक समय सीमा 2025 है, लेकिन कई लोग कहेंगे कि यह एक यथार्थवादी लक्ष्य नहीं है, केरल जैसे अत्याधिक घनी आबादी वाले राज्य में भूमि अधिग्रहण की श्रमसाध्य प्रकृति को देखते हुए। शहरी क्षेत्रों में भूमि अधिग्रहण, विशेष रूप से निजी से जमीन का अधिग्रहण परियोजना के लिए प्रमुख चुनौती बनी हुई है। प्रस्तावित मार्ग के रास्ते में राज्य के पारिस्थितिकी तंत्र को संभावित नुकसान का हवाला देते हुए पर्यावरणविदों द्वारा प्रोजेक्ट का विरोध भी है। वे राज्य की नदियों, धान के खेतों और आर्द्रभूमि पर अपरिवर्तनीय प्रभाव, भविष्य में बाढ़ और भूस्खलन को ट्रिगर करने से डरते हैं। पर्यावरण-विशेषज्ञों और कार्यकर्ताओं के एक मंच, केरल परिस्थिती ऐक्य वेदी ने सरकार से इस प्रोजेक्ट को छोड़ने और स्थायी समाधान तलाशने का आह्वान किया है। इसलिए, प्रोजेक्ट को गति देने के लिए इन चिंताओं को दूर करने और भूमि अधिग्रहण में तेजी लाने की सरकार की क्षमता पर निर्भर करेगा।

इसे भी पढ़ें- मुंबई के लोगों के लिए खुशखबरी: 15 अगस्त फिर कर सकेंगे लोकल ट्रेन में सफर, केवल इन्हें होगी यात्रा की अनुमति

Share this article
click me!