केंद्र पर लगाया वादा खिलाफी का आरोप, 31 जनवरी को देशभर में विरोध दिवस, पहली फरवरी से UP में किसान आंदोलन

बीकेयू नेता युद्धवीर सिंह ने कहा कि अब तक केंद्र सरकार ने एमएसपी पर कोई समिति गठित नहीं की है। ना ही सरकार पक्ष की ओर से एमएसपी या अन्य मांगों पर बात करने के लिए कोई संपर्क किया गया है।

Asianet News Hindi | Published : Jan 15, 2022 4:35 PM IST

नई दिल्ली। किसान 31 जनवरी को विरोध दिवस (Kisan Protest) मनाएगा। भारतीय किसान संघ (BKU) ने शनिवार को सिंघू बार्डर (Singhu Border) पर ऐलान करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने उनकी मांगों का अभी तक जवाब नहीं दिया है। किसान अपनी मांगों को लेकर विरोध दिवस मनाएंगे।

एमएसपी पर न कोई समित न हमसे किया संपर्क

बीकेयू नेता युद्धवीर सिंह ने कहा कि अब तक केंद्र सरकार ने एमएसपी (MSP) पर कोई समिति गठित नहीं की है। ना ही सरकार पक्ष की ओर से एमएसपी या अन्य मांगों पर बात करने के लिए कोई संपर्क किया गया है। 
युद्धवीर सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार ने केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी (Ajay Mishra Teni) को भी नहीं हटाया है। MoS का बेटा लखीमपुर खीरी घटना में शामिल था।

जवाब नहीं मिला तो 31 जनवरी को विरोध दिवस

किसान नेता ने कहा कि अगर केंद्र सरकार हमारी मांगों का जवाब नहीं देती है, तो हम 31 जनवरी को 'विरोध दिवस' मनाएंगे। उन्होंने सरकार को किसान आंदोलन स्थगित करने की याद दिलाते हुए कहा कि 11 दिसंबर को हमारा आंदोलन स्थगित कर दिया गया था। सरकार ने अभी तक हमारी मांगों का जवाब नहीं दिया है, हम 31 जनवरी को देश भर में सरकार पर पुतले जलाएंगे।

1 फरवरी से यूपी में किसान आंदोलन

किसान संगठनों की ओर से युद्धवीर सिंह ने बताया कि बीकेयू एक फरवरी से उत्तर प्रदेश में फिर से आंदोलन शुरू करेगा। बीकेयू नेता राकेश टिकैत ने कहा कि हम 21 जनवरी से 3-4 दिनों के लिए उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जाएंगे और प्रभावित किसानों के परिवारों से मिलेंगे। हम चर्चा करेंगे और अपने आंदोलन की आगे की कार्रवाई पर रणनीति बनाएंगे।

किसानों ने केंद्र की चिट्ठी मिलने के बाद आंदोलन की थी स्थगित

दिसंबर 2021 में संयुक्त किसान मोर्चा ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर एक समिति बनाने और उनके खिलाफ मामलों को तुरंत वापस लेने के वादे के साथ केंद्र से एक पत्र प्राप्त करने के बाद अपने साल भर के आंदोलन को स्थगित करने की घोषणा की थी। लोकसभा और राज्यसभा दोनों ने शीतकालीन सत्र के पहले दिन 29 नवंबर को कृषि कानून निरसन विधेयक पारित किया। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने भी तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की प्रक्रिया को पूरा करने वाले विधेयक को अपनी सहमति दी थी। किसान 26 नवंबर, 2020 से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर कृषि कानूनों का विरोध कर रहे थे।

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