कोलकाता में महिला डॉक्टर की हत्या के मामले में सीएम ममता बनर्जी और उनकी पुलिस ने कई बड़ी गलतियां की हैं। पहले मामले को आत्महत्या बताकर दबाने की कोशिश की गई फिर जांच में लापरवाही हुई।
कोलकाता। कोलकाता के सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (RG Kar Hospital) में ड्यूटी के दौरान महिला डॉक्टर से रेप और हत्या (Kolkata doctor murder case) के मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाई। बलात्कार-हत्या को आत्महत्या बताने से लेकर प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई, अपराध स्थल के पास बदलाव करने की जल्दबाजी से लेकर आलोचकों को धमकाने तक ममता बनर्जी और उनकी पुलिस ने 10 बड़ी गलतियां की हैं। आइए इनपर डालते हैं एक नजर...
1. महिला डॉक्टर की हत्या को बताया आत्महत्या
9 अगस्त को अस्पताल में महिला डॉक्टर का अर्धनग्न शव मिला था। पूरे शरीर पर जख्म के निशान थे। इसके बाद भी मामले को दबाने की कोशिश की गई। इस भयावह घटना को आत्महत्या बताने का प्रयास किया गया। शुरू में अस्पताल के अधिकारियों ने बताया था कि डॉक्टर ने आत्महत्या कर ली है। पोस्टमार्टम से पता चला कि उसके साथ एक से अधिक लोगों ने रेप किया था। उसकी बेरहमी से हत्या की गई।
2. जल्दबाजी में शव का किया अंतिम संस्कार
कोलकाता पुलिस डॉक्टर की हत्या के मामले को रफा-दफा करने की जल्दबाजी में नजर आई। पीड़िता के माता-पिता को शव देखने के लिए 3 घंटे तक इंतजार करना पड़ा। लाश का जल्दबाजी में अंतिम संस्कार किया गया।
3. जांच में लापरवाही, 10 लाख रुपए मुआवजा की पेशकश
कोलकाता पुलिस ने शुरू में पीड़िता के माता-पिता को बताया कि उसने आत्महत्या कर ली है। बाद में पता चला कि महिला के साथ बलात्कार किया गया और उसकी हत्या कर दी गई। जांच में लापरवाही और मामले को दबाने के प्रयास के चलते पुलिस की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े हुए हैं। पुलिस पर सबूत नष्ट करने का आरोप लगाया गया है। पीड़िता के पिता ने आरोप लगाया कि उनकी बेटी की डायरी का एक पन्ना फटा हुआ था। ममता बनर्जी ने पीड़िता के परिजनों को 10 लाख रुपए मुआवजा की पेशकश की, डॉक्टर के माता-पिता ने कहा कि वे न्याय चाहते थे, मुआवजा नहीं।
4. घटनास्थल के पास की गई तोड़फोड़
अस्पताल के सेमिनार हॉल में डॉक्टर का शव मिला था। इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे थे। इस बीच घटनास्थल के पास चिनाई का काम कराया गया। सेमिनार हॉल से सटे बाथरूम की दीवार का एक हिस्सा तोड़ा गया। इससे सबूतों को नष्ट करने के प्रयास का शक पैदा हुआ। कलकत्ता हाईकोर्ट ने इसपर सवाल पूछे हैं।
5. प्रिंसिपल ने इस्तीफा दिया तो मिली अच्छी पोस्टिंग
आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल संदीप घोष पर ममता खूब मेहरबान दिखीं। घटना के बाद संदीप ने इस्तीफा दिया। कुछ ही घंटों बाद उन्हें कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल का प्रिंसिपल बना दिया गया।
6. विरोध प्रदर्शनों से सख्ती से निपटना
डॉक्टर की हत्या के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन से ममता सरकार ने सख्ती से निपटने की कोशिश की। राज्य सरकार ने डॉक्टरों पर हड़ताल करके जनता को परेशान करने का आरोप लगाया। डॉक्टरों पर तुरंत काम पर लौटने के लिए दबाव डाला।
7. पुलिस रोक नहीं पाई अस्पताल में तोड़फोड़
महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के कुछ दिनों बाद 14 अगस्त की रात को एक शांतिपूर्ण सभा अराजकता में बदल गई। आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में तोड़फोड़ की गई। 40 मिनट तक उत्पात मचाया गया। कोलकाता पुलिस देखती रही। तोड़फोड़ रोकने की कोशिश नहीं की।
8. डर्बी मैच रद्द किया
रविवार को कोलकाता में मोहन बागान और ईस्ट बंगाल के बीच डर्बी मैच होना था। मैच रद्द कर इसका आयोजन स्थल झारखंड के जमशेदपुर में कर दिया गया। पुलिस ने कहा कि दोनों क्लबों के समर्थक दोपहर में स्टेडियम के सामने अपनी-अपनी टीमों के झंडे लेकर इकट्ठा हुए और "हमें न्याय चाहिए" के नारे लगाए। इसे मौजूदा ममता बनर्जी की सरकार के खिलाफ जनता के आक्रोश को दबाने के प्रयास के रूप में देखा गया।
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9. सोशल मीडिया आलोचकों पर कार्रवाई
14 अगस्त की रात को आरजी कर अस्पताल में हुई तोड़फोड़ के लिए कोलकाता पुलिस आयुक्त ने मीडिया को दोषी ठहराया। तृणमूल कांग्रेस के मंत्री उदयन गुहा ने बनर्जी पर आरोप लगाने वालों की "उंगलियां तोड़ने" की धमकी दी। पुलिस ने सोशल मीडिया पर आलोचना कर रहे लोगों पर कार्रवाई की।
10. ममता बनर्जी ने किया खुद के खिलाफ विरोध प्रदर्शन
कोलकाता रेप-हत्याकांड पर आक्रोश बढ़ने और मामले को सीबीआई को सौंपे जाने के बाद ममता बनर्जी सड़कों पर उतर आईं। उन्होंने दोषियों के लिए मौत की सजा की मांग की। उन्होंने अपने खिलाफ ही विरोध प्रदर्शन किया। हत्याकांड की जांच पहले कोलकाता पुलिस कर रही थी। उसपर गंभीर लापरवाही करने के आरोप लगे। कोलकाता पुलिस राज्य के गृह मंत्रालय के अधीन आती है। इसकी सीधे तौर पर सीएम ममता बनर्जी खुद निगरानी करती हैं।
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