इंदिरा गांधी के हत्यारे गार्ड बेअंत सिंह का बेटा सरबजीत सिंह चुनाव मैदान में, फरीदकोट से लड़ेगा चुनाव, मां-दादा रह चुके हैं सांसद

Published : Apr 11, 2024, 06:43 PM ISTUpdated : Apr 12, 2024, 12:43 AM IST
Old Newspaper about Indira Gandhi's murder

सार

बेअंत सिंह का बेटा सरबजीत सिंह खालसा लोकसभा चुनाव लड़ रहा है। फरीदकोट सुरक्षित सीट से सरबजीत सिंह खालसा ताल ठोक रहा है। वह निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं।

Beant Singh son contesting election: पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को गोलियों से छलने वाले उनके सुरक्षा गार्ड्स बेअंत सिंह और सतवंत सिंह एक बार फिर सुर्खियों में हैं। बेअंत सिंह का बेटा सरबजीत सिंह खालसा लोकसभा चुनाव लड़ रहा है। फरीदकोट सुरक्षित सीट से सरबजीत सिंह खालसा ताल ठोक रहा है। वह निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं।

कौन है सरबजीत सिंह खालसा?

45 वर्षीय सरबजीत सिंह खालसा, पंजाब के फरीदकोट सुरक्षित संसदीय सीट से निर्दलीय प्रत्याशी है। सरबजीत सिंह खालसा, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के गार्ड रहे बेअंत सिंह का बेटा है। 1984 में बेअंत सिंह और सतवंत सिंह ने भी तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी को गोलियों से छलनी कर देश में सनसनी फैला दी थी। तत्कालीन पीएम को उनके ही सुरक्षागार्ड्स द्वारा मौत के घाट उतारे जाने के बाद पूरा देश दंगों की चपेट में आ गया था। पूरे देश में सिख आबादी के साथ नरसंहार हुआ। आक्रोशित लोगों ने सिख बस्तियों में तबाही मचाई।

सरबजीत सिंह 12वीं तक पढ़ा है। वह तीसरी बार चुनाव मैदान में हैं। तीनों बार उसने संसदीय क्षेत्र बदले। वह 2014 में फतेहगढ़ साहिब सुरक्षित सीट से चुनाव लड़ा था लेकिन जीत न सका। इसके बाद सरबजीत सिंह खाला ने 2019 में बठिंडा सीट से बसपा के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा। लेकिन इस बार भी असफल रहा। अब वह फरीदकोट से भाग्य आजमा रहा है।

साढ़े तीन करोड़ की संपत्ति

सरबजीत सिंह खालसा ने अपने चुनावी हलफनामा में करीब 3.5 करोड़ रुपये की संपत्ति करीब दस साल पहले घोषित की थी। सरबजीत सिंह की मां यानी बेअंत सिंह की पत्नी बिमल कौर और दादा सुच्चा सिंह बठिंडा से सांसद रह चुके हैं। दोनों 1989 में चुनाव जीते थे। दरअसल, इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उपजे आक्रोश में सिखों के नरसंहार से पंजाब सहित अन्य सिख इलाकों में कांग्रेस के प्रति घोर विरोध दिखा। 1989 में सिख बहुल इलाकों में कांग्रेस को बड़ी पराजय का सामना करना पड़ा था।

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