कानून मंत्री ने उठाया कॉलेजियम सिस्टम पर सवाल, बोले-समय आ गया है इस सिस्टम पर पुनर्विचार करे ज्यूडिशियरी

रिजिजू ने कहा कि भारत सरकार का उच्च न्यायालयों में प्रभावी प्रतिनिधित्व हो सके इसके लिए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल की नियुक्ति की जाएगी। देश में अदालतों का डिजिटलीकरण किया जा रहा है जिससे लोगों को उनके मामलों की जानकारी प्राप्त करने में मदद मिलेगी।

Dheerendra Gopal | Published : Sep 17, 2022 7:28 PM IST

Collegium System: कॉलेजियम सिस्टम पर एक बार फिर सवाल उठे हैं। केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री किरन रिजिजू ने कॉलेजियम सिस्टम की वजह से न्यायपालिकाओं में जजों की नियुक्ति में देरी पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि हॉयर ज्यूडिशियरी को कॉलेजियम सिस्टम पर एक बार फिर विचार करना चाहिए। सिस्टम की वजह से न्यायपालिका में नियुक्तियां लंबित पड़ी हुई हैं। इसमें तेजी लाने के लिए सिस्टम में बदलाव पर गहन विमर्श करने की जरूरत है।

राजस्थान के उदयपुर में एक कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय कानून मंत्री रिजिजू ने कहा कि हॉयर कोर्ट्स में नियुक्तियां लंबित होने की वजह से काफी दबाव में काम हो रहा है। न्याय में देरी हो रही है। नियुक्तियों में देरी के लिए कानून मंत्री नहीं बल्कि कॉलेजियम सिस्टम दोषी है। अब समय आ गया है कि इस सिस्टम पर पुनर्विचार किया जाए ताकि नियुक्तियों में तेजी आ सके।

न्यायपालिकाओं के सम्मेलनों में ऐसे मुद्दे उठने चाहिए

कानून मंत्री ने कहा कि सरकार नियुक्तियों में तेजी लाने के लिए काफी प्रयास कर रही है लेकिन कानूनविदों को भी इस बारे में सोचना चाहिए। अगर इस तरह के मुद्दों को ऐसे सम्मेलनों में उठाया जाता है तो मौजूद लोगों को पता चलता है कि कानून मंत्री के दिमाग में क्या है और सरकार क्या सोच रही है।

कानून मंत्री के सामने उठा था मुद्दा

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के जजों ने हाल में न्यायाधीशों की नियुक्ति में देरी का मामला उठाया है। बताया जा रहा है कि हॉयर ज्यूडिशियरी में नियुक्ति के लिए कॉलेजियम द्वारा सुझाए गए नामों को मंजूर करने में सरकार देरी करती है। सरकार की देरी की वजह से हॉयर कोर्ट्स में काफी पद भरे नहीं जा सके हैं।  

एनडीए ने कॉलेजियम को बदलने की कोशिश की थी

एनडीए की सरकार 2014 में बनी तो जजों की नियुक्ति की व्यवस्था को बदलने की कोशिश की गई थी। सरकार ने राष्ट्रीय न्यायिक आयोग एक्स को पास कराया था। इस एक्ट के तहत हॉयर ज्यूडिशियरी में जजों की नियुक्ति में कार्यपालिका की भी अहम भूमिका सुनिश्चित की गई थी। हालांकि, इसका काफी विरोध हुआ था। 2015 में सरकार द्वारा लागू की गई व्यवस्था को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था।

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल की नियुक्ति हाईकोर्ट्स में

रिजिजू ने कहा कि भारत सरकार का उच्च न्यायालयों में प्रभावी प्रतिनिधित्व हो सके इसके लिए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल की नियुक्ति की जाएगी। उन्होंने कहा कि देश में अदालतों का डिजिटलीकरण किया जा रहा है जिससे लोगों को उनके मामलों की जानकारी प्राप्त करने में मदद मिलेगी। सरकार उच्च न्यायालयों और निचली अदालतों में बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए प्रभावी कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि देश में 4.85 करोड़ केस लंबित हैं। इस पेंडेंसी को खत्म करने के लिए न्यायापालिकाओं में जजों के खाली पदों को भरने में तेजी करने की आवश्यकता है और इसके लिए कॉलेजियम पर पुनर्विचार फिर से होनी चाहिए।

वीडियो संदेश से हुआ उद्घाटन

उदयपुर में दो दिवसीय कांफ्रेंस में इमरजिंग लीगल इश्यूस 2022 कार्यक्रम के उद्घाटन में किरन रिजिजू बतौर मुख्य अतिथि मौजूद थे। कार्यक्रम का शुभारंभ उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और पीएम नरेंद्र मोदी के वीडियो संदेश से किया गया। केंद्रीय विधि एवं न्याय राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल ने भी सम्मेलन को संबोधित किया। उद्घाटन सत्र में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस अजय रस्तोगी, राजस्थान उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव, गुजरात उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार और भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

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