लेह में प्रति व्यक्ति रोज 1.2 KG कचरा पैदा कर रहा, नीति आयोग के CEO बोले- वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम सभी जगह जरूरी

किताब में सामने आया है कि सॉलिड वेस्ट (Solid Waste) के मामले में देश में लेह (Leh) देश के 15 राज्यों पहले नंबर पर है। यहां प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 1.2 किलोग्राम सॉलिड वेस्ट निकल रहा है। गंगटोक में यह महज 200 ग्राम ही है। 

नई दिल्ली। नगर पालिकाओं में सॉलिड वेस्ट के मैनेजमेंट (solid waste management) पर नीति आयोग (Niti Ayog) और सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायर्नमेंट (CSE) की एक रिपोर्ट सामने आई है। इस रिपोर्ट के आधार पर नीति आयोग 'वेस्ट वाइज सिटीज :  बेस्ट प्रैक्टिस इन म्युनिसिपल सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट' नाम की पुस्तक का विमोचन किया। इसमें बताया गया है कि भारतीय शहर किस तरह से अपने सॉलिड वेस्ट का मैनेजमेंट कर रहे हैं। इस किताब में 28 शहरों के सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के क्षेत्र में किए जा रहे कामों को दर्शाया गया है। इसमें बताया गया है कि लद्दाख के लेह से केरल के अलाप्पुझा तक, मध्य प्रदेश के इंदौर से लेकर ओडिशा के ढेंकनाल तक और सिक्किम के गंगटोक से गुजरात के सूरत तक 15 राज्यों के 28 शहर किस तरह वेस्ट मैनेजेंट कर रहे हैं। किताब में सामने आया है कि सॉलिड वेस्ट के मामले में देश में लेह देश के 15 राज्यों पहले नंबर पर है। यहां प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 1.2 किलोग्राम सॉलिड वेस्ट निकल रहा है। गंगटोक में यह महज 200 ग्राम ही है। यह किताब नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार, सीईओ अमिताभ कांत, विशेष सचिव डॉ. के राजेश्वर राव और सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायर्नमेंट (CSE) की महानिदेशक (DG) सुनीता नारायण ने जारी की। नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि भारतीय विकास के भविष्य को देखते हुए शहरीकरण बहुत महत्वपूर्ण और शहरों में कुशल अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली को लागू करना बहुत आवश्यक है।

15 राज्यों के 25 शहरों का डेटा इकट्‌ठा किया 
यह रिपोर्ट स्वच्छ भारत के मिशन 2 की शुरुआत के बाद तैयार की गई है। इसमें देश के 15 राज्यों के 28 शहरों का जिक्र है जिन्होंने इस क्षेत्र में बेहतर काम किया है। जुलाई 2021 में इस रिपोर्ट का काम शुरू किया गया था। पांच महीने तक इसमें अलग-अलग डाटा जुटाए गए। इसमें सॉलिड वेस्ट से जुड़े 10 अलग-अलग पहलुओं के क्रॉस-सेक्शन से देखा गया। इनमें स्रोत पृथक्करण (सोर्स सेग्रिगेशन), रीसाइकिलिंग,  टेक्नोलॉजी इनोवेशन से लेकर विभिन्न प्रकार के अपशिष्‍टों और प्रणालियां जैसे बायोडिग्रेडेबल्स, प्लास्टिक, ई-अपशिष्‍ट, सी एंड डी अपशिष्ट और लैंडफिल का प्रबंधन शामिल है। 

Latest Videos

इन शहरों पर सर्वे 
इंदौर, अलाप्पुझा, पणजी, मैसुरू, वेंगुर्ला, बोब्बिली, भोपाल, सूरत, जमशेदपुर, ढेंकनाल, गंगटोक, बिचोलिम, कोंकण, नॉर्थ दिल्ली, गुरुग्राम, पुणे, करड, चंद्रपुर, तालीपरम्बा, अंबिकापुर, बेंगलुरू, लेह, विजयवाड़ा, केंदुझार, काकीनाडा, पारादीप, तिरुवनंतपुरम, पंचगनी और जमशेदपुर शामिल हैं। 

देश में प्रति व्यक्ति औसत 500 ग्राम कचरा रोज पैदा कर रहा 
इस किताब के मुताबिक 28 शहरों में प्रतिदिन प्रति व्यक्ति 0.19 से लेकर 0.99 किग्रा सॉलिड वेस्ट पैदा हो रहा है। सभी शहरों का औसत देखें तो यह प्रति व्यक्ति 0.39 KG है। यह बताता है कि छोटे शहर भी बड़े शहरों की अपेक्षा अधिक सॉलिड वेस्ट पैदा कर रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक टूरिस्ट सिटी पणजी और लेह में प्रति व्यक्ति सॉलिड वेस्ट देश भर की अपेक्षा अधिक हो रहा है। देश में प्रति व्यक्ति 0.3 से 0.5 किग्रा सॉलिड वेस्ट पैदा कर रहा है, जबकि लेह में प्रति व्यक्ति 1.2 KG सॉलिड वेस्ट निकल रहा। दूसरे नंबर पर पणजी है। यहां हर व्यक्ति 1 किलो सॉलिड वेस्ट निकल रहा है। गंगटोक इस मामले में सबसे बेहतर है। यहां प्रति व्यक्ति सॉलिड वेस्ट 0 है। देश का सबसे साफ शहर इंदौर प्रति व्यक्ति 400 ग्राम सॉलिड वेस्ट पैदा कर रहा है, जबकि भोपाल में यह प्रति व्यक्ति 600 ग्राम है। 

वेस्ट प्रोसेसिंग में इंदौर-भोपाल आगे, बेंगलुरू सिर्फ 60% का कर रहा प्रोसेसिंग : 
28 शहरों में से 16 शहर 90 फीसदी तक कचरे की प्रसेसिंग कर रहे हैं, जबकि बेंगलुरू, गंगटोक, गुरुग्राम और उत्तरी दिल्ली अभी इस अंतर को पाटने में लगे हैं। यह शहर 60 प्रतिशत वेस्ट प्रोसेसिंग ही कर रहे हैं।  

अलाप्पुझा ने शुरू की क्लीन होम क्लीन सिटी परियोजना 
रिपोर्ट में बताया गया है कि अलाप्पुझा ने कचरे से निपटने के लिए क्लीन होम क्लीन सिटी नामक प्रोजेक्ट शुरू किया है। इसका पहला और महत्वपूर्ण कदम सोर्स सेग्रिगेशन है। सोर्स सेग्रिगेशन से इस परियोजना में आने वाला खर्च कम हुआ है। 

इंदौर में कचरा प्रबंधन के लिए शहर के अधिकारियों ने एक कम्युनिकेशन सिस्टम बनाया। इसका उद्देश्य नागरिकों को अलगाव को अपनाने के लिए प्रेरित करना था।
इसकी मॉनीटरिंग भी तेज की गई। अधिकारियों ने पता लगाया कि हर वार्ड में कचरे की मात्रा कितनी होती है और इसकी के हिसाब से कचरा उठाने की गाड़ियां और कर्मचारी लगाए। हर वार्ड की मांग आधारित व्यवस्था, संचार तंत्र और जनता की भागीदारी से इंदौर स्वच्छता में नंबर वन बन सका।  

यह भी पढ़ें
आत्मनिर्भर भारत का मतलब खुद को अलग-थलग करना नहीं, जल्द मैन्युफैक्चरिंग हब बनेगा भारत - NITI आयोग सीईओ अमिताभ
महामारी में किसानी सुचारु रूप से चलती रही... सरकार के इस जवाब पर राहुल गांधी बोले - क्या मजाक है?

Share this article
click me!

Latest Videos

Kharmas 2024: दिसंबर में कब से लग रहे हैं खरमास ? बंद हो जाएंगे मांगलिक कार्य
'भविष्य बर्बाद न करो बेटा' सड़क पर उतरे SP, खुद संभाला मोर्चा #Shorts #Sambhal
महाराष्ट्र में सत्ता का खेल: एकनाथ शिंदे का इस्तीफा, अगला सीएम कौन?
'चुनाव में उस वक्त ही हार गई थी भाजपा जब...' फिर चर्चा में आई यूपी उपचुनाव की एक घटना #Shorts
संभल मस्जिद विवाद: हिंसा के बाद इंटरनेट सेवा पर रोक, स्कूल-कॉलेज बंद