
मदुरै। तमिलनाडु (Tamil Nadu) के एक मेडिकल कॉलेज में विवादित शपथ दिलाने के आरोपी डीन का ट्रांसफर कर दिया गया है। डीन पर आरोप है कि उन्होंने पारंपरिक हिप्पोक्रेटिक शपथ के बजाय फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट्स केा संस्कृत में विवादास्पद शपथ दिलाए जाने की अनुमति दी। डीन को वेटिंग लिस्ट में शासन ने रख दिया है। राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि मेडिकल छात्रों ने शनिवार को अपने इंडक्शन सेरेमनी के दौरान संस्कृत शपथ "चरक शपथ" का अंग्रेजी अनुवाद लिया था। हालांकि, डीन ने दावा किया कि छात्रों ने खुद ही शपथ ली।
बीजेपी ने बताया राजनीति से प्रेरित
उधर, इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए, भाजपा के नारायणन थिरुपति ने दावा किया कि डीन को हटाने का निर्णय एक राजनीतिक कदम है। बीजेपी नेता ने कहा कि हिप्पोक्रेटिक शपथ लेने का एक पश्चिमी तरीका है। एनएमसी ने पुराने भारतीय चिकित्सा पद्धति (महर्षि चरक शपथ) की सिफारिश की है। अनावश्यक राजनीति से बचा जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि शपथ लेने को लेकर केंद्र ने कहा कि यह वैकल्पिक है। अगर यह सब वैकल्पिक है तो डीन को निलंबित क्यों करना चाहिए? द्रमुक को हमेशा पश्चिमी मॉडल पसंद आया है।
किसी भी डॉक्टर को संस्कृत में शपथ लेने को मजबूर नहीं किया जाएगा
राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि डीन ए रथिनवेल को इस संवेदनशील मुद्दे में सावधान रहना चाहिए था। डीन का दावा है कि चिकित्सकों ने अपने दम पर ऐसा करने का फैसला किया है, वह अस्वीकार्य है। यहां तक कि चिकित्सा आयोग का भी कहना है कि चिकित्सकों को संस्कृत में शपथ लेने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा।
चरक शपथ आयुर्वेद में एक संस्कृत पाठ
चरक शपथ आयुर्वेद पर एक संस्कृत पाठ है। यह चरक संहिता में पाठ का एक निश्चित अंश है। इस शपथ में छात्र जीवन के दौरान तपस्या का अभ्यास करने जैसी कई विवादास्पद स्थितियां हैं। यह वैदिक काल में चिकित्सा विज्ञान में पढ़ाए जाने के लिए एक पूर्व शर्त रहा है। निर्देशों में से एक यह है कि महिलाओं का इलाज केवल ब्राह्मण / परिवार के पुरुष सदस्य की उपस्थिति में किया जाए।
जांच का आदेश
तमिलनाडु के स्वास्थ्य मंत्री ने राज्य में चिकित्सा शिक्षा निदेशक को जांच शुरू करने का आदेश दिया है। राज्य सरकार ने भी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों को केवल सदियों पुराने हिप्पोक्रेटिक शपथ का उपयोग करने के लिए एक सर्कुलर जारी किया है।
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