महाराष्ट्रः बीजेपी ने इन 7 बातों का रखा ध्यान, जिससे फडणवीस सरकार पर नहीं आएगी कोई कानूनी अड़चन

महाराष्ट्र में बीजेपी के नेतृत्व वाली फडणवीस की सरकार की वैधानिकता को लेकर कई सवाल किए जा रहे हैं। लेकिन ये सवाल वास्तव में सियासतदानों के सामने बहुत टिकने वाले नहीं हैं, क्‍योंकि सरकार बनाने के लिए बीजेपी के दिग्गजों ने कानूनी दांव पेंच का पूरा ध्यान रखा है। 

नई दिल्‍ली. महाराष्‍ट्र में शनिवार को हुए सियासी उलटफेर ने सभी को हैरान कर दिया। तड़के सुबह देवेंद्र फडणवीस ने दूसरी बार प्रदेश के मुख्‍यमंत्री पद की शपथ ली। जिसके बाद से बीजेपी के नेतृत्व वाली इस सरकार की वैधानिकता को लेकर कई सवाल किए जा रहे हैं। लेकिन ये सवाल वास्तव में सियासतदानों के सामने बहुत टिकने वाले नहीं हैं, क्‍योंकि सरकार बनाने में कानूनी नुक्‍तों का पूरा ख्‍याल रखा गया है। 

ये हैं सवाल 

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1. सरकार बनने के बाद पहला सवाल यह उठा कि राष्‍ट्रपति शासन के बीच में सरकार कैसे बन सकती है। तो इसका जवाब यह है कि सुबह साढ़े पांच बजे ही राष्‍ट्रपति शासन हटा लिया गया। उसके बाद फडणनवीस और अजित पवार को शपथ दिलाई गई। 

2. शपथ ग्रहण होने के बाद दूसरा सवाल यह उठ रहा है कि अजित पवार के पास समर्थन देने का अधिकार था या नहीं। इसका जवाब यह है कि अजित पवार एनसीपी विधायक दल के नेता हैं और उनके पास ऐसा करने का पूरा अधिकार है। 

3. तीसरा सवाल यह उठाया जा रहा है कि राज्‍यपाल ने विधायकों के समर्थन की लिस्‍ट नहीं मांगी। लेकिन इसकी कोई जरूरत ही नहीं है, राज्‍यपाल चाहते तो बिना समर्थन के भी भाजपा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित कर सकते थे क्‍योंकि वह सबसे बड़ी पार्टी है। 


4.अगर कोई विपक्षी दल अदालत जाता है तो भी उसे वहां बहुत राहत नहीं मिलेगी क्‍योंकि दल-बदल कानून की प्रक्रिया तब ही शुरू होगी जब विधानसभा के सदन में विधायक पहुंच जाएंगे। 

5.अगर अजित पवार के पास पार्टी तोड़ने लायक पर्याप्‍त विधायक नहीं भी हुए तो भी इस फैसला लेने का पहला अधिकार विधानसभा अध्‍यक्ष का होगा, जो बहुत संभव है कि भाजपा का ही हो। 

6.अगर शरद पवार के विधायक बड़ी संख्‍या में अजित पवार के साथ चले गए और शरद पवार नहीं माने तो हो सकता है कि एनसीपी पर पूरी तरह अजित पवार का कब्‍जा हो जाए। शरद पवार की वही स्थिति हो सकती है जो एक जमाने में चंद्र बाबू नायडू की टूट के बाद एनटी रामराव और समाजवादी पार्टी में बगावत के बाद मुलायम सिंह यादव की हुई थी। 

7.बहुमत के लिए अगर जरूरत पड़ी तो भाजपा कर्नाटक की तर्ज पर ऑपरेशन लोटस भी कर सकती है, जहां कांग्रेस और जेडीएस के विधायकों ने इस्‍तीफे दे दिए थे, इसी तर्ज पर विपक्षी पार्टियों के विधायकों के इस्‍तीफे भी कराए जा सकते हैं। 

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