Manipur Violence updates: मणिपुर में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। राज्य में एक साल से निरंतर हिंसा को लेकर मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कुछ एजेंसियों को हिंसा प्रभावित राज्य के बारे में गलत सूचना देने का आरोप लगाया है। केंद्र को सारी हकीकत का पता है और वह ग्राउंड लेवल पर जानकारी ले रही है। सीएम ने कहा कि केंद्र सरकार को गलत और जोड़तोड़ वाली राजनीतिक जानकारी कुछ एजेंसियां भेज रही हैं। हिंसा काफी हद तक नियंत्रण में है और शांति के लिए सारे कदम उठाए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने यह नहीं बताया कि किन एजेंसियों ने केंद्र को गलत जानकारी दी।
उधर, मणिपुर में हिंसा के दौरान दो प्रवासी मजदूरों की हत्या के मामले में सात लोग अरेस्ट कर लिए गए हैं। दोनों पीड़ित बिहार राज्य के थे। पुलिस ने प्रवासी मजदूरों की हत्या के आरोप में कांगलीपाक कम्युनिस्ट पार्टी (पीपुल्स वार ग्रुप) या केसीपी (पीडब्ल्यूजी) के सात उग्रवादियों को गिरफ्तार किया गया है। केसीपी गृह मंत्रालय की प्रतिबंधित संगठनों की सूची में आठ मैतेई विद्रोही समूहों में से एक है। कथित उग्रवादियों से सुरक्षा बल पूछताछ कर रहे हैं। केसीपी (पीडब्लूजी) पर आरोप है कि वह हिंसा के लिए भाड़े के बंदूकधारियों का इस्तेमाल कर रहा है और नागरिकों पर अत्याचार कर रहा। हालांकि, पूछताछ में यह सामने नहीं आया है कि आखिर किसके इशारे पर केसीपी ने राज्य में हिंसा बढ़ाने के लिए भाड़े के लोगों का इस्तेमाल किया। मजदूरों की हत्या के बाद पीड़ित परिवारों को बिहार सरकार ने दो लाख तो मणिपुर सरकार ने दस लाख रुपये सहायता का ऐलान किया था। 18 वर्षीय सुनालाल कुमार और 17 वर्षीय दशरथ कुमार की गोली मारकर हत्या की गई थी।
उधर, केंद्र सरकार ने मणिपुर में जातीय हिंसा को देखते हुए बीते 14 नवम्बर को राज्य के छह नए जगहों पर सुरक्षा बलों की सिक्योरिटी के लिए सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम या AFSPA को फिर से लागू कर दिया। नए छह क्षेत्रों में जिरीबाम भी शामिल था जहां सुरक्षा बलों ने 10 कथित कुकी उग्रवादियों को मार गिराया था। कुकी उग्रवादियों ने मैतेई समाज के एक ही परिवार के आधा दर्जन लोगों का अपहरण कर बर्बर तरीके से मार डाला था।
यह भी पढ़ें:
श्रीलंका ने भारत को दिया आश्वासन, चीन का खेल होगा बंद? जानें क्या है पूरा मामला