सार

सुप्रीम कोर्ट ने रेपिस्टों को नपुंसक बनाने की याचिका पर केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया है। याचिका में मुफ्त ऑनलाइन पोर्न पर प्रतिबंध लगाने की भी मांग की गई है। अगली सुनवाई जनवरी 2025 में होगी।

Supreme Court PIL: रेपिस्टों को नपुंसक बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट कोई बड़ा फैसला दे सकता है। एक जनहित याचिका पर एपेक्स कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया गया है। याचिका में यौन अपराधियों को नपुंसक बनाने की मांग के अलावा फ्री ऑनलाइन पोर्न मटेरियल्स पर बैन लगाने के लिए डायरेक्शन देने की अपील की गई है। जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने याचिकाकर्ता के नए विचार को सराहते हुए उसे बेहद महत्वपूर्ण बताया है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई जनवरी 2025 में करेगा।

सुरक्षा को लेकर किया आश्वस्त

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जवल भुइयां की बेंच ने केंद्र और राज्यों को नोटिस जारी करते हुए कहा कि याचिका में कई विचार बिल्कुल नया है। लेकिन यह एक महत्वपूर्ण मुद्दे को संबोधित है इसलिए इस पर विचार करना चाहिए। बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता की मांग की हम सराहना करते हैं लेकिन जिन दिशानिर्देशों की मांग की गई है उसमें कई बर्बरतापूर्ण भी है। लेकिन हम आम महिलाओं को सड़कों से लेकर हर जगह सुरक्षित करने के लिए जरूरी कदम उठाए जाने पर विचार करेंगे। महिलाएं, जोकि असुरक्षित और रोजमर्रा की जिंदगी में चुनौतियों का सामना कर रही हैं उनकी सुरक्षा खातिर दिशानिर्देश की आवश्यकता है।

रेपिस्टों को केमिकल तरीके से नपुंसक बनाया जाए

याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट महालक्ष्मी पावनी ने कोर्ट को बताया कि 2012 में हुए गैंगरेप की घटना को कई साल बीत जाने के बाद अभी भी महिलाओं के साथ रेप और हत्याएं नहीं रुकी हैं। सीनियर एडवोकेट महालक्ष्मी ने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर रेप और मर्डर का भी जिक्र किया। आरजी कर रेप कांड के बाद भी 94 घटनाएं हुई लेकिन मीडिया ने उसे हाईलाइट नहीं किया न ही उजागर करने की जहमत उठायी। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट से मांग किया कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाया जाना चाहिए। इसके लिए कड़े दंड और कानून बनाया जाना चाहिए और प्रभावी ढंग से लागू हो, यह सुनिश्चित होना चाहिए। उन्होंने मांग किया कि रेप जैसे यौन अपराधियों की सजा के रूप में केमिकल तरीके से नपुंसक बनाया जाए। पोर्न कंटेंट पर रोक लगायी जाए। याचिकाकर्ता, सीनियर एडवोकेट महालक्ष्मी पावनी, सुप्रीम कोर्ट महिला वकील एसोसिएशन की अध्यक्ष हैं।

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