सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त वार्ताकार संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन बुधवार को शाहीन बाग पहुंचे। शाहीन बाग में नागरिकता कानून को लेकर करीब 2 महीने से प्रदर्शन चल रहा है। इसके चलते सड़क भी जाम है। इससे लोगों को काफी परेशानी हो रही है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रदर्शनकारियों से बातचीत के लिए मध्यस्थता कमेटी बनाई थी।
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त वार्ताकार संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन बुधवार को शाहीन बाग पहुंचे। इस दौरान साधना रामचंद्रन ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सभी को विरोध करने का अधिकार है। नागरिकता कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। लेकिन हमारे जैसा ही लोगों के पास सड़कों का इस्तेमाल करने और अपनी दुकान खोलने का अधिकार है। साथ ही उन्होंने यह साफ कर दिया कि शाहीनबाग में प्रदर्शनकारियों से बिना मीडिया के बातचीत होगी।
शाहीन बाग में नागरिकता कानून को लेकर करीब 2 महीने से प्रदर्शन चल रहा है। इसके चलते सड़क भी जाम है। इससे लोगों को काफी परेशानी हो रही है। सुप्रीम कोर्ट ने सड़क खुलवाने की याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रदर्शनकारियों से बातचीत के लिए मध्यस्थता कमेटी बनाई थी। पिछली सुनवाई में जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस एसके कौल की बेंच ने कहा, लोगों को अपनी बात रखने का अधिकार है। लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि वे रास्ता बंद कर दें। ऐसे में हर कोई प्रदर्शन कर रास्ता रोकने लगेगा।
24 फरवरी को होगी अगली सुनवाई
इससे पहले जस्टिस के एम जोसेफ ने कहा, लोगों को प्रदर्शन करने की इजाजत होनी चाहिए। हम सिर्फ नागरिकता कानून की बात नहीं कर रहे हैं, लेकिन लोगों को विरोध करने का, प्रदर्शन करने का अधिकार होना चाहिए। नियमों के मुताबिक, प्रदर्शन करने की जगह जंतर मंतर है। इस मामले में अब अगली सुनवाई 24 फरवरी को होगी।
15 दिसंबर से ही विरोध प्रदर्शन हो रहा है
शाहीन बाग में 15 दिसंबर से नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी है। प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे हैं। दिल्ली चुनाव में शाहीन बाग का मुद्दा जोरों पर था। यहां तक की गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि 8 फरवरी को मतदान के दिन ईवीएम की बटन इतनी तेजी से दबाना की करंट शाहीन बाग में लगे।
क्या है नागरिकता संशोधन कानून?
नागरिकता संशोधन विधेयक को 10 दिसंबर को लोकसभा ने पारित किया। इसके बाद राज्य सभा में 11 दिसंबर को पारित हुआ। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद 12 दिसंबर को यह विधेयक कानून बन गया। इस कानून के मुताबिक, बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को भारत में नागरिकता दी जाएगी। नागरिकता के लिए संबंधित शख्स 6 साल पहले भारत आया हो। इन देशों के छह धर्म के अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता मिलने का रास्ता खुला। ये 6 धर्म हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी हैं।