MIG 21 को यूं ही नहीं कहते उड़ता हुआ ताबूत, अब तक ले चुका है 200 से अधिक पायलटों की जान

Published : Dec 24, 2021, 11:55 PM ISTUpdated : Dec 25, 2021, 12:16 AM IST
MIG 21 को यूं ही नहीं कहते उड़ता हुआ ताबूत, अब तक ले चुका है 200 से अधिक पायलटों की जान

सार

भारतीय वायु सेना का एक मिग 21 बाइसन (MiG 21 Bison) विमान शुक्रवार को क्रैश हो गया। राजस्थान के जैसलमेर के पास हुए हादसे में पायलट विंग कमांडर हर्षित सिन्हा शहीद हो गए। साल 2021 में मिग 21 विमान का यह 5वां हादसा है। वायुसेना ने हादसे की जांच के आदेश दिए हैं।

नई दिल्ली। डेल्टा विंग डिजाइन और एक इंजन वाला छोटा लड़ाकू विमान MIG 21 60 के दशक में जब आसमान में आया था तो इसने खलबली मचा दी थी। रूस द्वारा बनाए गए इस सूपर सोनिक (आवाज की गति से अधिक रफ्तार से उड़ने वाला) विमान का जवाब यूरोप और अमेरिका के पास नहीं था। लंबे समय तक आसमान पर इसका राज रहा। हालांकि वक्त गुजरने के साथ ही इस विमान के सुनहरे दिन खत्म हो गए। अधिक हादसे और पायलटों की मौत की वजह से इसे उड़ने वाला ताबूत (Flying Coffin) और 'Widow Maker' तक कहा जाने लगा। 

शुक्रवार को भारतीय वायु सेना का एक मिग 21 बाइसन (MiG 21 Bison) विमान क्रैश हो गया। राजस्थान के जैसलमेर के पास हुए हादसे में पायलट विंग कमांडर हर्षित सिन्हा शहीद हो गए। साल 2021 में मिग- 21 विमान का यह 5वां हादसा है। वायुसेना ने हादसे की जांच के आदेश दिए हैं। बता दें कि मिग- 21 विमान की गिनती दुनिया में सबसे अधिक बनाए गए विमानों में होती है। 10 हजार से अधिक मिग- 21 विमान बनाए गए थे। इन्हें 50 देशों की सेनाओं ने इस्तेमाल किया। हालांकि अब भारत समेत कम ही देश बचे हैं, जो इस पुराने पड़ चुके विमान का इस्तेमाल कर रहे हैं। 

वायु सेना के पास हैं MIG-21 के चार स्क्वाड्रन्स
भारतीय वायु सेना MIG-21 के अपडेटेड वर्जन MiG-21 Bison का इस्तेमाल कर रही है। इसके चार स्क्वाड्रन्स काम कर रहे हैं। एक स्क्वाड्रन में 16-18 विमान हैं। 90 के दशक में ही इस विमान के बदले दूसरे हल्के वजन वाले विमान को सेना में शामिल करने का प्लान तैयार किया गया था, लेकिन लड़ाकू विमान नहीं मिलने के चलते वायु सेना को इसका इस्तेमाल जारी रखना पड़ा। वर्तमान में वायु सेना इसे इंटरसेप्टर के रूप में इस्तेमाल कर रही है। विमानों को पाकिस्तान से लगी सीमा के करीब के एयरबेस पर तैनात किया गया है ताकि ये हमला होने की स्थिति में दुश्मन के विमान को नष्ट कर सकें। 

भारतीय वायु सेना में 874 मिग 21 शामिल किए गए थे। इनमें से 60 फीसदी से अधिक विमान रूस से लाइसेंस लेकर भारत में ही बनाए गए थे। एक रिपोर्ट के अनुसार 6 दशक में मिग 21 विमानों के 400 से अधिक हादसे हुए। इनमें 200 से अधिक पायलटों की मौत हो गई। मिग 21 विमानों के अधिक हादसे की एक वजह विशेषज्ञ भारतीय सेना में इसके अधिक संख्या में और अधिक समय तक इस्तेमाल भी बताते हैं।

दो साल पहले मिग 21 ने किया था F-16 का शिकार
मिग 21 विमान भले ही पुराना हो गया हो, लेकिन इसकी ताकत कम नहीं है। 27 फरवरी 2019 को विंग कमांडर (अब ग्रुप  कैप्टन) अभिनंदन वर्धमान ने इसी विमान से पाकिस्तान के एफ-16 विमान को मार गिराया था। 2230 किलोमीटर प्रतिघंटा की अधिकतम रफ्तार, हल्का वजन और छोटा आकार इस विमान को हवाई लड़ाई में घातक बनाता है। इसे उड़ाने के लिए एक पायलट की जरूरत होती है। 

पहले कहा जा रहा था कि हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा बनाए गए हल्के वजन वाले लड़ाकू विमान तेजस से मिग-21 को रिप्लेस किया जाएगा। हालांकि भारत सरकार ने पिछले दिनों यह स्पष्ट कर दिया है कि तेजस मिग-21 का रिप्लेसमेंट नहीं है। चीन और पाकिस्तान से एक साथ जंग की स्थिति में भारतीय वायु सेना को 42 स्क्वार्ड्न की जरूरत है। वायुसेना वर्तमान में लड़ाकू विमानों की कमी का सामना कर रही है, जिसके चलते मिग 21 को पुराना पड़ने के बाद भी इस्तेमाल किया जा रहा है।
 

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