MORBI BRIDGE TRAGEDY: मरने वालों की फैमिली को 10 लाख, घायलों को 2-2 लाख मुआवजा, अनाथ बच्चों की परवरिश करेगी कंपनी

मोरबी ब्रिज हादसे को लेकर गुजरात हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला दिया है। मोरबी सस्पेंशन ब्रिज का मेंटेनेंस करने वाली कंपनी ओरेवा ग्रुप को मृतकों के परिजनों को 10 लाख रुपए, जबकि प्रत्येक घायल को 2-2 लाख रुपये देने का आदेश दिया है।

Amitabh Budholiya | Published : Feb 23, 2023 5:36 AM IST

अहमदाबाद. 30 अक्टूबर, 2022 को गुजरात में हुए मोरबी ब्रिज हादसे को लेकर गुजरात हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला दिया है। मोरबी सस्पेंशन ब्रिज का मेंटेनेंस करने वाली कंपनी ओरेवा ग्रुप को मृतकों के परिजनों को 10 लाख रुपए, जबकि प्रत्येक घायल को 2-2 लाख रुपये देने का आदेश दिया है। जानिए पूर डिटेल्स...

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गुजरात हाईकोर्ट ने बुधवार(22 फरवरी) को क्लॉक मेन्युफेक्चरिंग फर्म ओरेवा ग्रुप को निर्देश दिया कि प्रत्येक मृतक के परिजनों को 10 लाख रुपये का अंतरिम मुआवजा दिया जाए और चार सप्ताह के भीतर प्रत्येक घायल को दो लाख रुपए दिए जाएं। चीफ जस्टिस सोनिया गोकानी और जस्टिस संदीप भट्ट की डिविजन बेंच ने कंपनी को यह निर्देश दिया।

बता दें कि मोरबी शहर में मच्छू नदी पर बना ब्रिटिश काल का सस्पेंशन ब्रिज 30 अक्टूबर, 2022 को गिर गया था, जिसमें 135 लोगों की मौत हो गई थी और 56 अन्य घायल हो गए थे।

बता दें कि पिछले साल हादसे के बाद स्वीकार की गई जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान मंगलवार(21 फरवरी) को अजंता मैन्युफैक्चरिंग लिमिटेड (ओरेवा ग्रुप) ने मरने वालों के परिजनों को 5 लाख रुपये और घायल व्यक्ति के पीड़ितों को 1 लाख रुपये देने की पेशकश की थी।

लेकिन कोर्ट के अंतरिम आदेश में जस्टिस गोकानी ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों ने मिलकर अब तक प्रत्येक पीड़ित के परिजनों को 10-10 लाख रुपये मुआवजा दिया किया है। कंपनी ने मरने वालों के परिजनों को 5 लाख रुपये और घायलों को 1 लाख रुपये देने की पेशकश की है, जो यह पर्याप्त नहीं है। कंपनी को प्रत्येक पीड़ित के परिजनों को 10 लाख रुपये और घायलों को 2 लाख रुपये का मुआवजा देना होगा।

पीड़ितों का प्रतिनिधित्व करने वाले एडवोकेट केआर कोष्टी ने कहा था कि कई परिवारों ने अपने रोटी कमाने वाले सदस्यों को खो दिया है। कई बच्चे और महिलाएं अकेले पड़ गए हैं। अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा कि कंपनी ने त्रासदी में अनाथ हुए सात बच्चों की जिम्मेदारी लेने की पेशकश की है। अदालत ने कहा, "वे (कंपनी) शिक्षा के लिए भुगतान करेंगे और तब तक हाथ पकड़ेंगे जब तक वे समाज में पैर नहीं जमा लेते।"

बेंच ने पहले यह भी स्पष्ट कर दिया था कि ओरेवा की मुआवजे की पेशकश उसे किसी भी दायित्व से मुक्त नहीं करेगी।

ओवरा ग्रुप के एमडी जयसुख पटेल को मोरबी पुलिस पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है। ओरेवा ग्रुप पुल के संचालन और रखरखाव के लिए जिम्मेदार था। राज्य सरकार द्वारा गठित एक विशेष जांच दल (SIT) ने फर्म की ओर से कई खामियों की ओर इशारा किया है।

मोरबी पुलिस ने ओरेवा ग्रुप के एमडी जयसुख पटेल सहित 10 आरोपियों को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या), 308 (गैर इरादतन हत्या करने का प्रयास), 336 (ऐसा कृत्य जो मानव जीवन को खतरे में डालता है), 337 (किसी भी उतावलेपन या लापरवाही से किसी भी व्यक्ति को चोट पहुंचाना) और 338 के तहत (उतावलेपन या लापरवाही से कार्य करके गंभीर चोट पहुंचाना) के तहत गिरफ्तार किया था।

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