इस पहाड़ी राज्य में हर साल मानसून लाता है मौत का खौफ: 5 साल में 1,550 लोग मारे गए , 6,537.39 करोड़ का नुकसान

हर साल मानसून के सीजन में बाढ़, लैंडस्लाइड्स और इससे रिलेटेड अन्य हादसों में सैकड़ों लोग जानें गंवाते हैं। इस साल भी विभिन्न राज्यों में मानसून सीजन में हुए हादसों में कई लोगों की मौत हुई।अकेले हिमाचल प्रदेश में पिछले 5 साल में 1,550 से ज्यादा लोगों की मौतें हो चुकी हैं।

Amitabh Budholiya | Published : Aug 29, 2022 2:09 AM IST / Updated: Aug 29 2022, 07:42 AM IST

शिमला. भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने  दक्षिण पश्चिम मानसून( Southwest monsoon) की विदाई का ऐलान कर दिया है। सितंबर के पहले सप्ताह में इसकी वापसी संभव है। लेकिन जाने से पहले मानसून कई राज्यों में हाहाकार मचा गया। कहीं बाढ़ आई, तो कहीं लैंडस्लाइड्स हुईं। हर साल मानसून के सीजन में बाढ़, लैंडस्लाइड्स और इससे रिलेटेड अन्य हादसों में सैकड़ों लोग जानें गंवाते हैं। इस साल भी विभिन्न राज्यों में मानसून सीजन में हुए हादसों में कई लोगों की मौत हुई। खासकर पहाड़ी राज्यों में हर साल खतरा अधिक होता है। अकेले हिमाचल प्रदेश में पिछले 5 साल में  1,550 से ज्यादा लोगों की मौतें हो चुकी हैं। जानिए हिमाचल में कब कितनी मौतें हुईं...

पिछले साल सबसे अधिक मौतें हुई थीं
राज्य के आपदा प्रबंधन निदेशक सुदेश मोख्ता(state disaster management director Sudesh Mokhta) ने के अनुसार, हिमाचल प्रदेश में पिछले पांच साल में मानसून के मौसम में 1,550 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। इसका आफिसियल डेटा मुहैया कराते हुए मोख्ता ने कहा कि 2021 में मानसून में सबसे अधिक 476 लोगों की मौत हुई थी। इसके बाद 2018 में 343 लोगों की मौत हुई। मौजूदा वर्ष में अब तक 276 की मौत हो चुकी है। जबकि 2020 में 240 और 2019 में 218 लोगों की मौत हुई थी। 2022 में 29 जून से 27 अगस्त तक 276 मौतों के अलावा, 508 लोग घायल हुए, जबकि 9 लोग इस समय के दौरान बारिश से संबंधित घटनाओं में लापता हो गए।

बारिश के कारण रोड एक्सीडेंट में सबसे अधिक मौतें
मौजूदा वर्ष में 276 मौतों में से सबसे ज्यादा 134 की मौत 49 रोड एक्सीडेंट के दौरान हुई। 36 लोगों की मौत पेड़ और चट्टान गिरने की घटनाओं में हुई। 30 लोग अलग-अलग 12 घटनाओं में डूब गए। 19 लोग 75 भूस्खलन में मारे गए। 5 लोग 65 बाढ़ जैसी घटनाओं में बह गए। 13 लोग तीन बादल फटने की घटनाओं में मारे गए। जबकि 49 लोग बारिश के दौरान करंट लगने, बिजली गिरने, सांप के डसने और आग लगने की अन्य 29 घटनाओं में मारे गए।

6,537.39  करोड़ का सरकारी प्रापर्टी का नुकसान
सुदेश मोख्ता के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में मानसून में 6,537.39 करोड़ रुपए की सरकारी संपत्ति बर्बाद हो गई। सरकारी संपत्ति को सबसे ज्यादा 1,732.58 करोड़ रुपए का नुकसान 2022 में हुआ था। उसके बाद 2018 में 1,578.08 करोड़ रुपए, 2021 में 1,151.72 करोड़ रुपए, 2019 में 1,202.69 करोड़ रुपउ और 2020 में 8,72.32 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।

2022 में अकेले लोक निर्माण विभाग को 949.62 करोड़ रुपए की संपत्ति का नुकसान हुआ, इसके बाद जल शक्ति विभाग को 710.23 करोड़ रुपए और बिजली विभाग को 5.72 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इसके अलावा पांच वर्षों में मानसून में 12,444 घर क्षतिग्रस्त हुए।

2018 में सबसे ज्यादा 5,160 घर क्षतिग्रस्त हुए थे। इसके बाद 2019 में 3,031, 2021 में 1,976, 2020 में 1,346 और 2022 में 931 घर क्षतिग्रस्त हुए थे।

नुकसान का आकलन करने पहुंची टीम
इस बीच, छह सदस्यीय केंद्रीय दल ने नुकसान का आकलन करने के लिए रविवार से राज्य का दौरा शुरू किया। मोख्ता ने कहा कि गृह मंत्रालय के जॉइट सेक्रेट्री सुनील कुमार बरनवाल की अध्यक्षता में अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय टीम (आईएमसीटी) मौजूदा मानसून के मौसम में प्राकृतिक आपदाओं, बादल फटने, अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन से हुए नुकसान का आकलन करेगी। टीम को दो ग्रुप में बांटा गया है। पहला दल कांगड़ा और चंबा जिलों का दौरा करेगा, जबकि दूसरा 28 और 29 अगस्त को कुल्लू और मंडी जिलों का दौरा करेगा। उसके बाद 30 अगस्त को शिमला में राज्य स्तरीय अधिकारियों के साथ बैठक होगी।

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