टाटा संस के अध्यक्ष एन चंद्रशेखरन (N Chandrasekaran) को सोमवार को आधिकारिक तौर पर एयर इंडिया (Air India) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। सोमवार को एयर इंडिया की हुई बोर्ड बैठक में नियुक्ति को मंजूरी दी गई।
नई दिल्ली। टाटा संस के अध्यक्ष एन चंद्रशेखरन (N Chandrasekaran) को सोमवार को आधिकारिक तौर पर एयर इंडिया (Air India) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। सोमवार को एयर इंडिया की हुई बोर्ड बैठक में नियुक्ति को मंजूरी दी गई। चंद्रशेखरन को फरवरी 2022 में 5 साल के दूसरे कार्यकाल के लिए टाटा संस के चेयरमैन के रूप में फिर से नियुक्त किया गया था।
चंद्रशेखरन की नियुक्ति तुर्की एयरलाइंस के पूर्व अध्यक्ष इल्कर आईसी द्वारा प्रस्ताव अस्वीकार किए जाने के बाद हुई है। इस महीने की शुरुआत में टाटा समूह के एयर इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रबंध निदेशक बनने का प्रस्ताव इल्कर आईसी को दिया था। उन्होंने इस प्रस्ताव को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया था कि भारतीय मीडिया के कुछ वर्गों ने उनकी नियुक्ति को अवांछनीय तरीके से रंग देने का प्रयास किया है।
हालांकि एयर इंडिया के सीईओ की तलाश अभी भी जारी है। इसके अलावा जनरल इंश्योरेंस कॉरपोरेशन के पूर्व सीएमडी एलिस गीवर्गीस वैद्यन और हिंदुस्तान यूनिलीवर के चेयरमैन संजीव मेहता को भी बोर्ड में स्वतंत्र निदेशक के रूप में शामिल किया गया है।
TCS में फ्रेशर के तौर पर आए थे एन चंद्रशेखरन
नटराजन चंद्रशेखरन टाटा संस के बोर्ड के अध्यक्ष हैं। वह होल्डिंग कंपनी और 100 से अधिक टाटा ऑपरेटिंग कंपनियों के प्रमोटर हैं। अध्यक्ष के रूप में उनकी नियुक्ति टीसीएस में 30 साल के प्रोफेशनल करियर के बाद हुई। उन्होंने कंप्यूटर एप्लीकेशन में पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद 1987 में फ्रेशर के तौर पर TCS ज्वाइन किया था। वह टीसीएस में लगातार तरक्की करते रहे और काफी सालों तक टीसीएस के सीईओ और प्रबंध निदेशक रहे।
उन्होंने टाटा संस के पूर्व अध्यक्ष साइरस मिस्त्री के साथ लंबी कानूनी लड़ाई में टाटा समूह की जीत में प्रमुख भूमिका निभाई। मिस्त्री को 2012 में रतन टाटा ने टाटा संस के अध्यक्ष के रूप में स्थान दिया था, लेकिन चार साल बाद गोपनीयता भंग करने के आरोप में उन्हें बाहर कर दिया गया था। पूर्व अध्यक्ष रतन टाटा फिर अंतरिम अध्यक्ष के रूप में लौटे और कुछ महीने बाद चंद्रशेखरन को कंपनी का नया अध्यक्ष बना दिया। उनके नेतृत्व में, टीसीएस ने 2015-16 में कुल 16.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर का राजस्व अर्जित किया और भारत में सबसे बड़े निजी क्षेत्र के नियोक्ता और देश की सबसे मूल्यवान कंपनी के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत किया।