5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था में Digital India का बड़ा रोल, फास्टटैग से E-संजीवनी तक...Apps से संवर रहा देश

नैस्कॉम (NASSCOM) ने अपनी ‘डिजिटल इंडियाः द प्लेटफॉर्माइजेशन प्ले‘ रिपोर्ट में कहा है कि भारत की बढ़ती खुली डिजिटल प्रणाली 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था हासिल करने में प्रमुख भूमिका निभाएगी। 

नई दिल्ली। डिजिटल इंडिया, भारत की इकोनॉमी को बूस्ट करने में सबसे बड़ा प्लेटफार्म साबित हो रही है। नैस्कॉम (NASSCOM) ने अपनी ‘डिजिटल इंडियाः द प्लेटफॉर्माइजेशन प्ले‘ रिपोर्ट में कहा है कि भारत की बढ़ती खुली डिजिटल प्रणाली 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था हासिल करने में प्रमुख भूमिका निभाएगी।

कोविड की जानकारियां हो या रुपयों का ट्रांजैक्शन, हर क्षेत्र में डिजिटल इंडिया की धमक बढ़ी है। आधार, भीम एप की तो दुनिया में धूम मची है। यूपीआई और भीम एप दुनिया के कई देश इस्तेमाल कर रहे। आधार तो पहचान का सबसे बड़ा डिजिटल प्लेटफार्म बन चुका है। डिजिटल इंडिया ने एक ऐसे इकोसिस्टम का निर्माण कर दिया है जो साल 2030 तक 700 बिलियन डॉलर के अवसर को खोल रहा है। इन प्लेटफार्म्स से 500 बिलियन डॉलर की बचत का अनुमान लगाया गया है जो देश की जीडीपी का 5.5 प्रतिशत है। 

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इन डिजिटल एप्स की है भारत के लोगों में धूम

आधारः भारतीय नागरिकों के पहचान का सबसे बड़ा डिजिटल माध्यम आधार है। यह भारत सरकार की ओर से यूआईडीएआई की ओर से जारी किया जाता है। 

भीम यूपीआईः भारत सहित कई देशों में डिजिटल पेमेंट के लिए इसका उपयोग किया जा रहा है। डिजिटल पेमेंट के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले इस एप से करीब 235 बैंक जुड़े हैं। अभी तक करीब 600 बिलियन रुपये का ट्रांजैक्शन किया जा चुका है। यह ऑनलाइन ट्रांसफर का सबसे आसान माध्यम है। 

भारत बिल पेः विभिन्न प्रकार के बिलों को पे करने का यह देश का सबसे बड़ा डिजिटल प्लेटफार्म है। 

आईएमपीएसः इस प्लेटफार्म से हम किसी को भी कुछ ही पल में पैसे भेज सकते हैं। 

जेम पोर्टलः हर प्रकार की सरकारी खरीदी के लिए इस पोर्टल का प्रयोग अनिवार्य है। सरकारी खरीद का यह सबसे बड़ा प्लेटफार्म है। 

आरोग्य सेतुः कोविड महामारी के दौरान कोरोना मरीजों की जानकारी के लिए यह एप बहुत ही उपयोगी साबित हुआ है। 

जीएसटीएनः टैक्स पेयर्स का सबसे सुविधाजनक ऑनलाइन प्लेटफार्म कुछ ही सालों में बना है। 

दीक्षा: एडवांस डिजिटल लर्निंग के लिए दीक्षा की लांचिंग क्रांतिकारी साबित हुई है। 

स्वयंम: ऑनलाइन एजुकेशन का सबसे बड़ा प्लेटफार्म जिस पर 18.4 मिलियन स्टूडेंट्स एनरोल्ड हैं।

माईगॉवः यह सिटीजन एंगेजमेंट प्लेटफार्म है जिसका उपयोग करोड़ों लोग आज की तारीख में कर रहे हैं। 

कोविनः दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीनेशन ड्राइव के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण एप है। भारत में उपयोग किए जा रहे इस एप से वैक्सीनेशन के लिए रजिस्ट्रेशन कराया जा रहा है।

ई-संजीवनीः कोरोना काल में ऑनलाइन चिकित्सीय परामर्श पर लोग अधिक भरोसा कर रहे हैं। इस पोर्टल से जाने-माने चिकित्सकों व विशेषज्ञों से ऑनलाइन मेडिकल हेल्प लिया जा रहा है। 

फ्यूचर स्किल्स प्राइमः इस एप्लीकेशन पर कौशल विकास से जुड़े कोर्स करने में सहूलियतें मिल रही। 

डिजी लॉकरः अब शैक्षिक डिग्रियां व अन्य कागजात रखने की झंझट से मुक्ति मिल रही है। डिजिटल लॉकर में अपनी डिग्रियां सुरक्षित रखने के साथ उनका उपयोग भी कहीं से किया जा सकता है। 

परिवहन सेवाः किसी भी गाड़ी के कागजात रखने, गाडि़यों के टैक्स भरने, रजिस्ट्रेशन सहित अन्य सभी परिवहन सेवाओं का लाभ एक जगह पर उपलब्ध हो सका है।

एईपीएसः आधार से पैसे निकालने के लिए उपयोग किए जाने वाला एप जिसका काफी उपयोग किया जा रहा है। 

राष्ट्रीय कृषि बाजारः किसानों को यहां अपनी फसल बेचने व खरीदारों को खरीदने में आसानी हो रही है। 

उमंगः सरकारी सेवाओं, पेंशन धारियों, ईपीएफओ आदि के लिए इस सेवा के उपयोग ने कई कागजी कार्रवाई और भागदौड़ को आसान कर दिया है। 

फास्टैग: टोल पर पेमेंट आसान होने से गाड़ियां भर रही आसानी से फर्राटा।

पब्लिक डिजिटल प्लेटफार्म पर सरकार और नागरिकों को सुविधा

पब्लिक डिजिटल प्लेटफार्म्स की वजह से सरकार और नागरिकों को फायदा हो रहा है। नागरिक इस वजह से एम्पावर हो रहे तो गर्वनेंस में भी आसानी के साथ साथ बिजनेस सुविधाजनक हो रहा है। सुरक्षित, सुविधाजनक सरकारी सुविधाओं की पहुंच आसान हुई तो अधिक से अधिक लोग सरकारी सुविधाओं और नागरिक सहूलियतों का लाभ उठा पा रहे हैं। 

इंडियन पब्लिक डिजिटल प्लेटफार्म्स ने 1.4 बिलियन लोगों पर प्रभाव डाला

डिजिटल इंडिया का प्रभाव देश में जिस तेजी से बढ़ा है उससे 1.4 बिलियन लोगों को प्रभावित किया है। आंकड़ों पर अगर गौर करें तो फास्टटैग से अभी तक 192 मिलियन ट्रांजैक्शन हो चुके हैं जबकि 1.3 बिलियन लोग अभी तक आधार जनरेट करा चुके हैं। जुलाई 2021 तक 3.2 बिलियन ट्रांजैक्शन भीम-यूपीआई से हो चुके हैं। जबकि बिल पेमेंट प्लेटफार्म से 50 मिलियन ट्रांजैक्शन हुए हैं।

इसी तरह ई-संजीवनी पर 9 मिलियन ऑनलाइन कंसल्टेशन पूरा हो चुका है तो आईएमपीएस से 3 ट्रिलियन भारतीय रुपये ट्रांसफर हुए हैं। जेम से 1.2 ट्रिलियन वैल्यू की खरीदारी हुई है तो आरोग्य सेतु 198 मिलियन डाउनलोड कर चुके हैं। जीएसटीएन पर 13 मिलियन टैक्सपेयर रजिस्टर्ड हैं तो दीक्षा पर 3.3 बिलियन लर्निंग सेशन्स हो चुके। माई गॉव पर तीस मिलियन यूजर्स हैं तो उमंग पर 1.7 बिलियन मंथली ट्रांजैक्शन हुआ।

राष्ट्रीय कृषि बाजार पर 17 मिलियन रजिस्टर्ड किसान हैं। परिवहन सेवा पर 273 मिलियन वाहन रजिस्टर्ड हैं। एईपीएस से 344 मिलियन ट्रांजैक्शन अप्रूव्ड हुए हैं। डिजीलॉकर में 4.3 बिलियन डॉक्यूमेंटृस हैं। इसी तरह फ्यूचर स्किल प्राइम पर 30 लाख से अधिक पढ़ने वाले एनरोल्ड हुए हैं। 

राज्य सरकारें भी डिजिटल प्लेटफार्म्स को बढ़ाने में पीछे नहीं

राज्य सरकारें भी डिजिटल प्लेटफार्म्स के प्रमोशन और उस पर डिपेंडेंसी बढ़ाने में पीछे नहीं हैं। तेलंगाना सरकार ने एमएसएमई नेटवर्क प्लेटफार्म ग्लोबल लिंकर से अपने राज्य के उद्यमियों को उड़ान के लिए पंख दिया है। इसी तरह केरल सरकार ने डिजिटल एजुकेशनल प्लेटफार्म केआईटीई को लांच कर यहां के शिक्षा व्यवस्था को क्रांतिकारी बूस्ट दी है। 

कर्नाटक सरकार का फार्मर्स ई-गर्वनेंस प्लेटफार्म ने किसानों की जिंदगियों को बदलने में अहम भूमिका निभाया है। तो त्रिपुरा सरकार की जागृत त्रिपुरा से यहां के लोग सरकार की विभिन्न योजनाओं का सीधे लाभ पा रहे हैं। 

हर क्षेत्र में डिजिटल प्लेटफार्म का भरपूर उपयोग

भारत में डिजिटल प्लेटफार्म का उपयोग हर क्षेत्र में खूब लोकप्रिय हो रहा है। आधार, डिजिलॉकर, बिल पेमेंट जैसे एप यूटिलिटी को सहुलियतें दे रहा तो हेल्थ केयर में ई-संजीवनी, आरोग्य सेतु और कोविन। एजुकेशन के क्षेत्र में स्वयंम, दीक्षा, फ्यूचर स्किल, केआईटीई से सुविधा मिल रहा। ट्रेवेल ट्रांसपोर्टेशन के क्षेत्र में परिवहन सेवा एप, फास्टटैग, पासपोर्ट सेवा लोगों की जिंदगियों को आसान कर रहा।

फाइनेंस व बैंकिंग में जीएसटीएन, भीम-यूपीआई, एईपीएस, आईएमपीएस बेजोड़ है तो कृषि क्षेत्र के लिए राष्ट्रीय किसान बाजार, एम-किसान काफी उपयोगी साबित हो रहा। खरीदी के लिए जेम पोर्टल सबसे आसान माध्यम है तो वेलफेयर स्कीम्स को लागू करने में माई गॉव, जागृत त्रिपुरा, जीवन प्रमाण, उमंग, ग्लोबल लिंकर सफल साबित हुए हैं। 

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