अफगानिस्तान के हालात पर चर्चा: मोदी-रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच 2 मुद्दों पर हुई 45 मिनट बातचीत

फिलहाल, विश्व के देशों के सामने तालिबान की सरकार को मान्यता देने या नहीं देने का सवाल खड़ा है। ये लोग पहले इसी मुद्दे पर मंथन करने में लगे हुए हैं। मान्यता देने पर कई देशों ने खुलकर विरोध किया है। जबकि कुछ देशों ने तालिबान के समर्थन की भी घोषणा की है।

Asianet News Hindi | Published : Aug 24, 2021 10:06 AM IST / Updated: Aug 24 2021, 04:48 PM IST

नई दिल्ली। अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के साथ ही तालिबान के कब्जे से पूरी दुनिया के देश चिंतित हैं। हालांकि, कई देशों ने तालिबान को अफगानिस्तान में मान्यता देने का मन बना लिया है तो कई देश इसके खिलाफ हैं। भारत अभी कुछ स्पष्ट नहीं कर सका है लेकिन रणनीतिक तौर पर वह सुरक्षित रास्ते की तलाश में है। इन सब संकटों के बीच मंगलवार को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने अफगानिस्तान की स्थितियों पर डिटेल्ड डिस्कशन किया। पीएमओ के अनुसार दोनों राष्ट्र प्रमुखों ने करीब 45 मिनट तक वार्ता की है। 

पीएम ने ट्वीट कर जानकारी दी

पीएम मोदी ने ट्वीट कर रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के साथ हुई बातचीत की जानकारी दी है। पीएम मोदी ने ट्वीट कर बताया, 'अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम पर अपने मित्र राष्ट्रपति पुतिन के साथ विस्तृत और उपयोगी विचारों का आदान-प्रदान किया। हमने द्विपक्षीय एजेंडे के मुद्दों पर भी चर्चा की, जिसमें कोविड-19 COVID-19 के खिलाफ भारत-रूस सहयोग शामिल है। हम महत्वपूर्ण मुद्दों पर करीबी परामर्श जारी रखने पर सहमत हुए।'

दुनिया के देश तालिबान को मान्यता देने के मुद्दे पर एकमत नहीं

फिलहाल, विश्व के देशों के सामने तालिबान की सरकार को मान्यता देने या नहीं देने का सवाल खड़ा है। ये लोग पहले इसी मुद्दे पर मंथन करने में लगे हुए हैं। मान्यता देने पर कई देशों ने खुलकर विरोध किया है। जबकि कुछ देशों ने तालिबान के समर्थन की भी घोषणा की है। चीन व पाकिस्तान तो फिलहाल तालिबान के साथ दिख रहा। बताया जा रहा है कि तालिबान की चीन और पाकिस्तान के वरिष्ठ मंत्रियों के साथ अलग-अलग बैठक भी हो चुकी है। 

रूस का भी रूख तालिबान के प्रति नरम 

तालिबान को लेकर रूस ने भी विरोध नहीं किया है, अभी तक उसका स्टैंड उसके प्रति नरम ही दिख रहा है। अफगानिस्तान में तैनात रूसी राजदूत दिमित्री झिरनोव ने तालिबान की प्रशंसा की थी। उन्होंने कहा था कि कट्टरपंथी इस्लामी समूह ने पहले 24 घंटों में काबुल को पिछले अधिकारियों की तुलना में अधिक सुरक्षित बना दिया है।

मॉस्को के एको मोस्किवी रेडियो स्टेशन से बात करते हुए ज़िरनोव ने कहा था, "स्थिति शांतिपूर्ण और अच्छी है और शहर में सब कुछ शांत हो गया है। तालिबान के तहत अब काबुल में स्थिति अशरफ गनी की तुलना में बेहतर है।" हालांकि, अफगानिस्तान पर रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के विशेष प्रतिनिधि ज़मीर काबुलोव का कहना था कि काबुल से गनी की भागना शर्मनाक था। 

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